वाशिंगटन। अमेरिकी सांसदों और विशेषज्ञों ने भारत में कन्या भू्रण हत्या
के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने अमेरिकी सरकार से
लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ जारी इस कुरीति पर अंकुश लगाने में मददगार की
भूमिका निभाने को कहा है।
'भारत की लापता लड़कियां' विषय पर कांग्रेसशनल सुनवाई के दौरान उन्होंने अपनी यह चिंता प्रकट की। भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद अमी बेरा ने कहा कि भारत अपने नियमों को सख्ती से लागू करे। उन्होंने इस कुप्रथा के लिए सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कारकों की जटिल बनावट को जिम्मेदार ठहराते हुए इसके प्रति जागरूकता बढ़ाए जाने पर जोर दिया।
हाल में ही भारत यात्रा से लौटे बेरा ने कहा कि महिला सशक्तीकरण के लिए उन्हें अधिकार और निर्णय लेने की आजादी दिलाने में अमेरिका विश्व समुदाय में महत्वपूर्ण समर्थक की भूमिका निभा सकता है।
सुनवाई की अध्यक्षता कर रहे सांसद क्रिस्टोफर स्मिथ ने कहा कि समस्या की जड़ केवल सांस्कृतिक ही नहीं हैं। अमेरिका में तैयार जनसंख्या नियंत्रण की नीतियों और नीतिगत फैसलों का भारत की महिलाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह सुनवाई यह समझने में हमारी मदद करेगी कि आखिर लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ इस कुप्रथा पर अंकुश लगाने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है। एक स्वतंत्र शोधकर्ता साबू जार्ज ने सांसदों से अपील करते हुए कहा कि अमेरिकी सहयोग में भारतीय कानून का ख्याल रखा जाए।
बच्चों के लिंगानुपात में गिरावट
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में लिंगानुपात प्रति एक हजार पुरुषों की तुलना में 940 महिलाओं का है। हालांकि इसमें मामूली वृद्धि हुई है लेकिन बच्चों के लिंगानुपात में गिरावट आई है। 2011 में एक हजार लड़कों की तुलना में महज 914 लड़कियां थीं। 2001 की जनगणना में यह आंकड़ा 927 का था, जबकि 1991 में 945 लड़कियां थीं।
'भारत की लापता लड़कियां' विषय पर कांग्रेसशनल सुनवाई के दौरान उन्होंने अपनी यह चिंता प्रकट की। भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद अमी बेरा ने कहा कि भारत अपने नियमों को सख्ती से लागू करे। उन्होंने इस कुप्रथा के लिए सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कारकों की जटिल बनावट को जिम्मेदार ठहराते हुए इसके प्रति जागरूकता बढ़ाए जाने पर जोर दिया।
हाल में ही भारत यात्रा से लौटे बेरा ने कहा कि महिला सशक्तीकरण के लिए उन्हें अधिकार और निर्णय लेने की आजादी दिलाने में अमेरिका विश्व समुदाय में महत्वपूर्ण समर्थक की भूमिका निभा सकता है।
सुनवाई की अध्यक्षता कर रहे सांसद क्रिस्टोफर स्मिथ ने कहा कि समस्या की जड़ केवल सांस्कृतिक ही नहीं हैं। अमेरिका में तैयार जनसंख्या नियंत्रण की नीतियों और नीतिगत फैसलों का भारत की महिलाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह सुनवाई यह समझने में हमारी मदद करेगी कि आखिर लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ इस कुप्रथा पर अंकुश लगाने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है। एक स्वतंत्र शोधकर्ता साबू जार्ज ने सांसदों से अपील करते हुए कहा कि अमेरिकी सहयोग में भारतीय कानून का ख्याल रखा जाए।
बच्चों के लिंगानुपात में गिरावट
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में लिंगानुपात प्रति एक हजार पुरुषों की तुलना में 940 महिलाओं का है। हालांकि इसमें मामूली वृद्धि हुई है लेकिन बच्चों के लिंगानुपात में गिरावट आई है। 2011 में एक हजार लड़कों की तुलना में महज 914 लड़कियां थीं। 2001 की जनगणना में यह आंकड़ा 927 का था, जबकि 1991 में 945 लड़कियां थीं।
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