केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने दिल्ली में बहु-ब्रांड
खुदरा क्षेत्र में एफडीआई का
निर्णय पलटने के दिल्ली की नई सरकार के निर्णय
की तीखी आलोचना करते हुए मंगलवार को इसे अकस्मात, गैर-जिम्मेदाना और बिना
सोचा समझा निर्णय करार दिया।
शर्मा ने कहा कि भारत कोई ऐसा हल्का फुल्का देश नहीं है जहां नीतिगत निर्णयों को यूं ही पलट दिया जाए। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार की ओर से बहु ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई की अनुमति को पलटे के निर्णय के बारे में दी गई सूचना की समीक्षा करेगा। शर्मा ने कहा कि कांग्रेस नीत पूर्वीवर्ती दिल्ली सरकार द्वारा नीति को मंजूरी दिए जाने के बाद राजपत्र में अधिसूचना जारी की गई थी। यह अधिसूचित है। हमारा देश कोई बनाना रिपब्लिक (अस्थिर देश) नहीं है। भारत में कभी भी नीतिगत निर्णयों को इस तरह नहीं पलटा गया था। मंत्री ने कहा कि नई सरकार अल्पमत में है, उसका यह निर्णय गैर-जिम्मेदाराना और बिना सोचा समझा निर्णय है। यह एक उल्टा निर्णय है। जिम्मेदार सरकारें ऐसा मनमाना निर्णय या इस तरह की बिना सोची समझी प्रतिक्रिया नहीं कर सकती हैं। उल्लेखनीय है कि कल एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में आप पार्टी की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार ने दिल्ली में बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में पूर्ववर्ती शीला दीक्षित सरकार द्वारा दी गई मंजूरी को वापस लेने के लिए केंद्र को पत्र लिख। दिल्ली सरकार ने कहा कि वालमार्ट और टेस्को जैसी वैश्विक खुदरा कंपनियों के भारत आने से बड़ी तादाद में लोग बेरोजगार होंगे। शर्मा ने हालांकि कहा कि केंद्र ने किसान यूनियनों, एमएसएमई और राज्य सरकारों सहित सभी भागीदारों के साथ व्यापक परामर्श के बाद यह नीति बनाई है। शर्मा ने कहा कि अब सवाल यह उठता है कि क्या किसान, उपभोक्ता और छोटे उद्यमी आम आदमी का हिस्सा हैं या उनसे बाहर हैं। वैश्विक रिटेलरों के भारत आने से बेरोजगारी बढ़ेगी, इस बात में कोई दम नहीं है। उन्होंने कहा कि बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति देने की नीति का उद्देश्य फसल तैयार होने के बाद उसे नुकसान से बचाना है और शीतघर और भंडारगृह जैसी ढांचागत सुविधाएं खड़ा करना है जिससे रोजगार सृजन होगा और किसानों को उनके उत्पादों का बेहतर मूल्य मिलेगा। मंत्री ने कहा कि अब सवाल है कि बाहर से समर्थन ले रही एक अल्पमत की सरकार क्या इस तरह के निर्णयों को पलट सकती है। हमें इसकी समीक्षा करनी होगी। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने सितंबर, 2012 में बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी है और इसका क्रियान्वयन राज्यों पर छोड़ दिया है। दिल्ली और राजस्थान सहित कांग्रेस शासित 12 राज्यों ने अपने यहां बहु ब्रांड खुदरा बाजार में विदेशी कंपनियों को प्रवेश की अनुमति देने पर सहमति जता दी थी। दिल्ली और राजस्थान में पिछले चुनाव के बाद अब सत्ता बदल गई है। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की नई सरकार का रुख अभी स्पष्ट नहीं है। केंद्र ने ब्रिटेन की टेस्को को भारत में खुदरास्टोर चलाने की अनुमति दे दी है। यह इस क्षेत्र में स्वीकृत पहला और बड़ा प्रस्ताव है।
शर्मा ने कहा कि भारत कोई ऐसा हल्का फुल्का देश नहीं है जहां नीतिगत निर्णयों को यूं ही पलट दिया जाए। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार की ओर से बहु ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई की अनुमति को पलटे के निर्णय के बारे में दी गई सूचना की समीक्षा करेगा। शर्मा ने कहा कि कांग्रेस नीत पूर्वीवर्ती दिल्ली सरकार द्वारा नीति को मंजूरी दिए जाने के बाद राजपत्र में अधिसूचना जारी की गई थी। यह अधिसूचित है। हमारा देश कोई बनाना रिपब्लिक (अस्थिर देश) नहीं है। भारत में कभी भी नीतिगत निर्णयों को इस तरह नहीं पलटा गया था। मंत्री ने कहा कि नई सरकार अल्पमत में है, उसका यह निर्णय गैर-जिम्मेदाराना और बिना सोचा समझा निर्णय है। यह एक उल्टा निर्णय है। जिम्मेदार सरकारें ऐसा मनमाना निर्णय या इस तरह की बिना सोची समझी प्रतिक्रिया नहीं कर सकती हैं। उल्लेखनीय है कि कल एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में आप पार्टी की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार ने दिल्ली में बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में पूर्ववर्ती शीला दीक्षित सरकार द्वारा दी गई मंजूरी को वापस लेने के लिए केंद्र को पत्र लिख। दिल्ली सरकार ने कहा कि वालमार्ट और टेस्को जैसी वैश्विक खुदरा कंपनियों के भारत आने से बड़ी तादाद में लोग बेरोजगार होंगे। शर्मा ने हालांकि कहा कि केंद्र ने किसान यूनियनों, एमएसएमई और राज्य सरकारों सहित सभी भागीदारों के साथ व्यापक परामर्श के बाद यह नीति बनाई है। शर्मा ने कहा कि अब सवाल यह उठता है कि क्या किसान, उपभोक्ता और छोटे उद्यमी आम आदमी का हिस्सा हैं या उनसे बाहर हैं। वैश्विक रिटेलरों के भारत आने से बेरोजगारी बढ़ेगी, इस बात में कोई दम नहीं है। उन्होंने कहा कि बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति देने की नीति का उद्देश्य फसल तैयार होने के बाद उसे नुकसान से बचाना है और शीतघर और भंडारगृह जैसी ढांचागत सुविधाएं खड़ा करना है जिससे रोजगार सृजन होगा और किसानों को उनके उत्पादों का बेहतर मूल्य मिलेगा। मंत्री ने कहा कि अब सवाल है कि बाहर से समर्थन ले रही एक अल्पमत की सरकार क्या इस तरह के निर्णयों को पलट सकती है। हमें इसकी समीक्षा करनी होगी। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने सितंबर, 2012 में बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी है और इसका क्रियान्वयन राज्यों पर छोड़ दिया है। दिल्ली और राजस्थान सहित कांग्रेस शासित 12 राज्यों ने अपने यहां बहु ब्रांड खुदरा बाजार में विदेशी कंपनियों को प्रवेश की अनुमति देने पर सहमति जता दी थी। दिल्ली और राजस्थान में पिछले चुनाव के बाद अब सत्ता बदल गई है। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की नई सरकार का रुख अभी स्पष्ट नहीं है। केंद्र ने ब्रिटेन की टेस्को को भारत में खुदरास्टोर चलाने की अनुमति दे दी है। यह इस क्षेत्र में स्वीकृत पहला और बड़ा प्रस्ताव है।
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