उच्चतम न्यायालय अपने पूर्व न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार के खिलाफ जांच कराने
के लिए पूर्व इंटर्न की याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा। इस इंटर्न ने
न्यायमूर्ति कुमार के खिला
फ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। प्रधान
न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ बुधवार की सुबह पहले मामले
के रूप में इंटर्न की जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी।
इस इंटर्न ने याचिका में शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों की बैठक में पांच दिसंबर 2013 को पारित उस प्रस्ताव को चुनौती दी है जिसमें यह फैसला किया गया था कि उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के खिलाफ किसी भी शिकायत पर गौर नहीं किया जाएगा। याचिका में इस तरह के मामलों की जांच के लिए समुचित मंच गठित करने और पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों के मामले की तरह ही उसकी शिकायत पर भी विचार करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार, उच्चतम न्यायालय के महासचिव और केन्द्र सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है। इंटर्न का तर्क है कि कथित घटना के वक्त न्यायमूर्ति कुमार पीठासीन न्यायाधीश थे और शीर्ष अदालत को विशाखा दिशानिर्देशों के अनुरूप ही उसकी शिकायत पर भी गौर करना चाहिए। न्यायमूर्ति कुमार इस समय राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के अध्यक्ष हैं और उन्होंने इंटर्न के आरोपों को अविश्वासपूर्ण और असत्य करार देते हुये इसे किसी तरह की साजिश बताया है। उच्चतम न्यायालय के प्रशासनिक पक्ष ने पांच दिसंबर के प्रस्ताव का हवाला देते हुए न्यायमूर्ति कुमार के खिलाफ इस इंटर्न की शिकायत पर विचार करने से इंकार कर दिया था। इसके बाद इंटर्न ने यह याचिका दायर की है। याचिका में पांच दिसंबर, 2013 का प्रस्ताव निरस्त करने और यौन उत्पीड़न की शिकायतों पर गौर करने के लिए एक व्यवस्था स्थापित करने का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति कुमार के खिलाफ लगे आरोपों की उच्चतम न्यायालय से जांच कराने की इंटर्न की मांग का अतिरिक्त सालिसीटर जनरल इन्दिरा जयसिंह, वकील कामिनी जायसवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और वकील वन्दा ग्रोवर ने समर्थन किया है।
इस इंटर्न ने याचिका में शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों की बैठक में पांच दिसंबर 2013 को पारित उस प्रस्ताव को चुनौती दी है जिसमें यह फैसला किया गया था कि उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के खिलाफ किसी भी शिकायत पर गौर नहीं किया जाएगा। याचिका में इस तरह के मामलों की जांच के लिए समुचित मंच गठित करने और पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों के मामले की तरह ही उसकी शिकायत पर भी विचार करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार, उच्चतम न्यायालय के महासचिव और केन्द्र सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है। इंटर्न का तर्क है कि कथित घटना के वक्त न्यायमूर्ति कुमार पीठासीन न्यायाधीश थे और शीर्ष अदालत को विशाखा दिशानिर्देशों के अनुरूप ही उसकी शिकायत पर भी गौर करना चाहिए। न्यायमूर्ति कुमार इस समय राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के अध्यक्ष हैं और उन्होंने इंटर्न के आरोपों को अविश्वासपूर्ण और असत्य करार देते हुये इसे किसी तरह की साजिश बताया है। उच्चतम न्यायालय के प्रशासनिक पक्ष ने पांच दिसंबर के प्रस्ताव का हवाला देते हुए न्यायमूर्ति कुमार के खिलाफ इस इंटर्न की शिकायत पर विचार करने से इंकार कर दिया था। इसके बाद इंटर्न ने यह याचिका दायर की है। याचिका में पांच दिसंबर, 2013 का प्रस्ताव निरस्त करने और यौन उत्पीड़न की शिकायतों पर गौर करने के लिए एक व्यवस्था स्थापित करने का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति कुमार के खिलाफ लगे आरोपों की उच्चतम न्यायालय से जांच कराने की इंटर्न की मांग का अतिरिक्त सालिसीटर जनरल इन्दिरा जयसिंह, वकील कामिनी जायसवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और वकील वन्दा ग्रोवर ने समर्थन किया है।
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