Thursday, 2 January 2014

रिमी का बाल बैंड

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पांच साल की नन्ही सी रिमी बहुत शरारती थी और होती भी क्यों ना? भला बिना शरारत क्या बचपन और कैसा बच्चा? रिमी की मां रोली टीचर थीं। उनके घर में खूब पत्र-पत्रिकाएं आती थीं। कभी-कभी रिमी शरारत करते हुए पुरानी पत्रिकाओं को अपने इर्द-गिर्द फैलाकर बैठ जाती और फिर मोटे-मोटे अक्षरों को अपनी रफ कॉपी में लिखकर शाम को अपनी मम्मी को दिखाती। उसकी मां रोली रिमी की तीव्र बुद्धि देखकर दंग रह जातीं। रिमी बड़े-बड़े वाक्यों को हुबहू कॉपी में उतारकर मां के पास ले जाती और कहती, ‘मां पढ़ो तो। भला मैंने क्या लिख दिया?’ उसकी भोली बात पर रोली मुस्कराती। नन्ही रिमी का ‘भला’ तकियाकलाम बन गया था।
एक दिन रिमी की मां रोली तैयार होकर स्कूल के लिए निकल रही थीं। उस दिन रिमी की छुट्टी थी। रिमी ने रोली को लिपस्टिक लगाते हुए देखकर कहा, ‘मम्मी भला एक बात तो बताओ।’ रोली समझ गईं कि रिमी की प्रश्नों की टेप शुरू हो गई।
वह बोलीं, ‘बोलो, भला क्या बात बताऊं?’ इस पर रिमी बोली, ‘मम्मी जब आप बूढ़ी हो जाओगी, तब भी लिपस्टिक लगाओगी।’ रिमी के मासूम सवाल पर रोली ऐसे हंसी कि लिपस्टिक उसके हाथ से फिसलकर गाल पर लगते हुए रिमी की गोद में जा गिरी। रोली ने रिमी को ढेर सा प्यार किया और बोली, ‘बेटा, भला ऐसा कौन कहता है कि बूढ़े लोग लिपस्टिक नहीं लगा सकते।’ मम्मी के जवाब पर रिमी कुछ सोचती रही और इसी बीच रोली उसे प्यार कर अपने स्कूल के लिए निकल पड़ी। रिमी अकसर अपनी मां की हर चीज की कॉपी करती थी। कभी उनके दुपट्टे की साड़ी बनाकर पहनती थी तो कभी उनकी क्लिप अपने बालों में लगाती थी। रिमी को रंग-बिरंगे हेयर बैंड लगाने का बहुत शौक था। रोली ने रिमी के लिए ढेर सारे हेयर बैंड लाकर रखे हुए थे। उसके पास उसकी ड्रेस से मैच करते अनेकों हेयर बैंड थे। रिमी घूमने जाते समय अपनी ड्रेस से मैच करके हेयर बैंड लगाकर और अपने कंधे पर छोटा सा पर्स टांग कर कहती थी, ‘मम्मा मैं तो कब से तैयार हो गई हूं और आप अभी तक ऐसे ही खड़े हो।’ रिमी को गुलाबी रंग का हेयर बैंड बहुत खूबसूरत लगता था। वह हेयर बैंड काफी महंगा भी था। उसमें सिल्वर रंग के नग लगे हुए थे और रेशमी महीन गुलाबी धागे। रिमी उस हेयर बैंड को पहनकर बिल्कुल परी लगती थी। एक दिन रोली बाजार जा रही थी तो रिमी ने भी जिद पकड़ ली कि वह भी मां के साथ बाजार जाएगी और वापसी में आइसक्रीम खाएगी। रोली उसे अपने साथ ले जाने लगी तो रिमी बोली, ‘एक मिनट मम्मा, मैं जरा अपना हेयर बैंड लगा आऊं ।’ कुछ ही देर बाद रिमी अपने गुलाबी हेयर बैंड को सिर का ताज बनाकर चली आई। रोली उसे लेकर बाजार में घूमने लगी। रोली ने कुछ सब्जी-फल और जरूरत की वस्तुएं खरीदीं और फिर रिमी को आइसक्रीम पार्लर की ओर लेकर चल दीं। आइसक्रीम पार्लर से कुछ दूरी पर बहुत सारे बच्चे फटे हुए चिथड़ों में एक सड़े हुए सेब को पाने के लिए लड़ रहे थे। यह देखकर रोली अत्यंत गमगीन हो गई। तभी उसकी नजर रिमी पर गई तो उसने देखा कि एक मैली-कुचैली सी लड़की रिमी से कुछ बोल रही थी। रोली ने उस लड़की को देखा। वह लड़की रिमी के गुलाबी हेयर बैंड की तरफ इशारा करते हुए बोली, ‘मुझे, यह दे दो। मैं भी इसे अपने बालों में लगाऊं गी और तुम्हारी तरह सुंदर बन जाऊंगी।’ नन्ही रिमी ने अपनी बड़ी आंखों से उस लड़की को देखा और कुछ सोचते हुए अपना हेयर बैंड उतारकर उसकी ओर बढ़ा दिया। लड़की ने लपककर हेयर बैंड ले लिया और खुश होकर अपने साथियों के बीच पहुंच गई। यह देखकर रोली बोली, ‘बेटा, यह तुमने क्या किया? गुलाबी हेयर बैंड तो तुम्हारा फेवरेट बैंड था। तुमने उसे क्यों दे दिया?’ इस पर रिमी बोली, ‘मम्मा, मेरे पास एक नहीं बहुत सारे हेयर बैंड हैं। अगर वह मेरा फेवरेट भी था तो क्या हुआ? उसे भी तो वही पसंद था।’ मासूम रिमी की बात सुनकर रोली दंग रह गई। रिमी की बात पर रोली ने उन सभी बच्चों के लिए ढेर से फल खरीदे और उन में बांट दिए। उनमें वह लड़की भी थी, जिसे रिमी ने अपना हेयर बैंड दिया था। अब वह हेयर बैंड उस लड़की के बालों की शोभा बढ़ा रहा था। उसके बालों में गुलाबी हेयर बैंड को लगा हुआ देखकर रिमी रोली से बोली, ‘मम्मा, इस लड़की के बालों में हेयर बैंड लगा देखकर मुझे इसका एक नया नाम सूझा है।’ रोली उसकी बात समझ नहीं पाई और बोली, ‘क्या बेटा?’ रिमी तपाक से बोली, ‘भला, मम्मी हेयर बैंड को हम बालों में लगाते हैं तो वह हिन्दी में बाल बैंड हुआ ना। हेयर बैंड तो अंग्रेजी का शब्द है।’ नन्ही मासूम रिमी के हेयर बैंड के नए शब्द बाल बैंड की खोज पर रोली मुस्करा उठी और उसे गोद में उठाकर आइसक्रीम पार्लर में चली गई।

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