Monday, 1 July 2013

लंबी यात्रा में हमेशा बैठे न रहें

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big desitnation
यात्रा के दौरान लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठे रहने से टांगों में खून का थक्का बनने का डर रहता है। यह काफी नुकसानदेह होता है। चार घंटे से अधिक की यात्रा में कई बार खून का थक्का बनना जानलेवा भी साबित होता है। इससे बचने के लिए या त्रा के दौरान क्या करें, क्या नहीं, बता रहे हैं कार्डियोलॉजिस्ट डॉं अनिल बंसल
क्या आप अक्सर देश-दुनिया का सफर करते हैं? लंबे समय तक हवाई जहाज की सीट से चिपके बैठे रहते हैं? किताब या वीडियो में सिर डुबोए रहते हैं? मंजिल आने पर ही सिर उठा कर देखते हैं और निकलने के लिए ही खड़े होते हैं? यदि हां, तो यह जानना बेहद जरूरी है कि बार-बार चलना-फिरना कितना आवश्यक है। घंटों सीट से चिपके रहना खतरनाक है। इससे खून के थक्के जमेंगे, जो कई बार तो जानलेवा भी साबित हो सकते हैं। कुर्सी से न चिपके रहें
देश-देशांतर घूमने वाले इस जानकारी से चौंक सकते हैं, पर यह सच है। थक्का जमने की समस्या को डीवीटी (डीप वेन थ्रोम्बोसिस) यानी नस की गहराई में थक्का जमना कहते हैं। टांग या जांघ के ऊपरी भाग में यह समस्या अधिक होती है। लंबे समय कुर्सी से चिपके रहने के बाद उठने के साथ खून के थक्के खून के प्रवाह में बह कर फेफड़ों तक पहुंचते हैं, जो पल्मोनरी इम्बोलिज्म का रूप लेते हैं। पड़ सकता है दिल का दौरा
पल्मोनरी इम्बोलिज्म फेफड़े की मुख्य धमनी या उसकी शाखा का ब्लॉकेज है, जो खून में अन्य हिस्से से आए पदार्थ से होता है। इससे फेफड़ों में खून का प्रवाह या ऑक्सीजन का प्रवाह रुक सकता है और दौरा पड़ सकता है।  जानलेवा हो सकता है
समय पर इलाज न हो तो यह जानलेवा है। इसलिए सतर्कता, रोकथाम व जागरूकता जरूरी है। इसमें छाती में दर्द व सांस की तकलीफ होती है। लंबे सफर में बनता है खून का थक्का
शरीर या किसी अंग में लंबे समय तक गति नहीं रहने से खून का प्रवाह बाधित होता है। टांग में एक जगह खून जम जाता है और प्लैटलेट्स आपस में चिपक जाते हैं और खून का थक्का जम जाता है। मुख्य लक्षण
प्रभावित भाग में दर्द, कमजोरी और सूजन होती है। जांच से समय पर पता चल जाए तो उपचार किया जा सकता है अन्यथा थ्रोम्बोइम्बोलिज्म नामक बीमारी हो सकती है, जो जानलेवा है। इसमें थक्का आगे बढ़ते हुए फेफड़ों में अटक जाता है और खून के प्रवाह को बाधित कर देता है।  विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोध ने बताया कि हवाईजहाज, रेलगाड़ी या सड़क मार्ग से चार घंटे या उससे लंबे समय तक के सफर के दौरान सीट पर बैठे रहने से वीटीई का खतरा है। गतिशून्य होने से नसों में खून स्थिर हो जाता है, जिससे खून के थक्के जम सकते हैं।    क्या है उपचार
यह हम सभी जानते हैं कि मसल्स को गतिशील रखने से खून का प्रवाह बढ़ता है। इसलिए यदि आप इस तरह के हवाई सफर किया करते हैं तो एड़ी के जोड़ों के बल पर पैरों को ऊपर-नीचे करते रहें। इससे खून का प्रवाह बढ़ता है और उसका ठहराव नहीं होता है। हवाई जहाज में हर 30 मिनट पर सीट से उठ कर टहल लें। कार से भी लंबे सफर के दौरान बार-बार रुक कर टहल लें। एक अन्य समस्या यह है कि सफर में शरीर में जल की मात्रा बनाए रखने की जगह लोग अक्सर कम या न्यूनतम पानी पीते हैं, ताकि बार-बार वॉशरूम न जाना पड़े, जो गलत है। पहले से दिल की बीमारी हो तो लंबे सफर से पहले अपने डॉंक्टर से परामर्श ले लें और अपने साथ जरूरी दवाइयां भी रख लें। तीन खतरनाक स्थितियां दस्त में अधिक मात्रा में खून आना।
रक्तचाप कम होना, जिसके कारण गुर्दे तक खून नहीं पहुंच पाता और गुर्दे फेल हो जाते हैं।
शरीर में से जब तेजी से पानी की मात्रा कम होने लगती है तो मस्तिष्क में खून का संचार कम होने से रोगी की मृत्यु हो जाती है। तो खतरा दोगुना हो जाता है
2007 में जारी ग्लोबल हैजर्डस ऑफ ट्रैवल पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोध में पाया गया कि चार घंटे या उससे अधिक समय तक सफर करने से थक्का जमने का खतरा दोगुना हो जाता है।

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