Wednesday, 11 September 2013

दामिनी के गुनहगारों ने मीडियावालों को दी गाली, बचाव पक्ष के वकील के पर उठे चप्‍पल

दामिनी के गुनहगारों ने मीडियावालों को दी गाली, बचाव पक्ष के वकील के पर उठे चप्‍पल
नई दिल्‍ली। दामिनी गैंगरेप केस में दोषियों की सजा पर फैसला अब शुक्रवार को सुनाया जाएगा। साकेत की फास्‍ट ट्रैक कोर्ट में तीन घंटे से ज्‍यादा चली बहस के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। अब शुक्रवार को दोपहर ढाई बजे सजा सुनाई जाएगी। अदालत ने कल आरोपी विनय शर्मा, पवन गुप्ता उर्फ कालू, अक्षय कुमार सिंह उर्फ ठाकुर व मुकेश को आईपीसी के लगभग सभी गंभीर प्रावधानों के तहत दोषी करार दिया था। सरकारी वकील ने इनके लिए फांसी की सजा मांगी है। वहीं बचाव पक्ष का कहना है कि फांसी की सजा मौलिक अधिकारों का उल्‍लंघन है। (दिल्‍ली गैंगरेप: जज ने फैसले में कहा, यह निर्दयता से किया गया कत्‍ल और गैंगरेप था)
दामिनी के गुनहगारों को फांसी होगी या उम्रकैद, इस राज से पर्दा शुक्रवार को ही खुल पाएगा लेकिन इन अपराधियों के चेहरे पर सजा का खौफ नहीं दिख रहा था। कोर्ट में भी ये बेखौफ खडे़ थे। यहीं नहीं साकेट कोर्ट से जब इन्‍हें जेल ले जाया जा रहा था तो कोर्ट परिसर के बाहर मौजूद मीडियाकर्मियों पर इन्‍होंने अपनी भड़ास भी निकाली। इन्‍होंने मीडियाकर्मियों को गंदी-गंदी गालियां दी। वहीं दूसरी तरफ, दामिनी के गुनहगारों के ख‌िलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बचाव पक्ष के वकील के साथ हाथापाई और गाली गलौज की। गैंगरेप के दोषियों की पैरवी करने के लिए प्रदर्शनकारियों ने बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह को अपशब्द कहे। प्रदर्शनकारियों में शामिल एक महिला ने वकील के कपड़े खींचकर फाड़ने की कोशिश की। तो एक महिला ने उन्हें मारने के लिए चप्पल तक उठा ली। इसके चलते वकील को पुलिस बुलानी पड़ी और उन्‍होंने सुरक्षा दिए जाने की मांग की। 
 
सजा पर जिरह के दौरान अभियोजन ने अपनी दलील में कहा, 'अदालत को दोषियों पर दया करने की कोई जरूरत नहीं। क्‍यों‍कि उन्‍होंने अपराध करते समय पीड़िता पर कोई दया नहीं दिखाई, उन्‍हें सजा सुनाते वक्‍त भी कोई दया नहीं दी जानी चाहिए।' वहीं, दोषियों के वकील ने अदालत से दोषियों के प्रति नरमी बरते जाने की मांग करते हुए कहा कि उम्रकैद एक नियम है और मृत्युदंड एक अपवाद है। बचाव पक्ष ने कहा, 'केस को रेयर ऑफ द रेयरेस्‍ट न माना जाए। ऐसे अपराध जघन्‍य अपराधों की श्रेणी में नहीं आते।' 
 
 
बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह ने अदालत में दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा, 'फांसी दिए जाने के बाद क्‍या गारंटी है कि इस तरह के अपराध खत्‍म हो जाएंगे। इंदिरा गांधी की हत्‍या के बाद उनके हत्‍यारे बेअंत सिंह को फांसी पर चढ़ा दिया गया तो क्‍या राजीव गांधी की हत्‍या नहीं हुई। फांसी अपराधी को खत्‍म कर सकती है, लेकिन अपराध को नहीं।' 
 
बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि राजनीतिक दबाव में फैसला नहीं लिया जाना चाहिए। उनके मुवक्किल के सुधार की पूरी गुंजाइश है। बचाव पक्ष के वकील ने राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी के बयान की दलील देते हुए कहा कि भगवान जिंदगी देता है और वहीं ले भी सकता है। इंसान की बनाई अदालतें किसी को सजा-ए-मौत नहीं दे सकती हैं। बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह ने कहा कि सभी आरोपियों का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है। उन्हें सुधरने और दोबारा से जिंदगी शुरू करने का मौका दिया जाना चाहिए। हालांकि जज बचाव पक्ष की इस दलील से सहमत नहीं हुए। 
 
विनय और अक्षय के वकील एपी सिंह ने सजा पर जिरह के दौरान कहा कि सभी आरोपियों का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है। उन्‍हें सुधरने का मौका देना चाहिए, ताकि वह दोबारा से अपनी जिंदगी शुरू कर सकें। उन्‍होंने कहा, ‘मानवाधिकारों के मामले में भारत दुनिया के शिखर पर है। फांसी की सजा मानवाधिकारों को खत्‍म करती है। यह दोषी न तो आतंकवादी हैं न देशद्रोही है। बड़े-बड़े राजनेता बड़े-बड़े घोटाले करते हैं और जमानत पर आकर कोई देशभक्ति का काम नहीं करते हैं बल्कि फिर घोटाले करते हैं। राजनेताओं के साथ धनबल, जनबल और बाहुबल रहता है इसलिए यह लोग बच जाते हैं। गैंगरेप के दोषियों के पास न धनबल है, न जनबल है और न ही बाहुबल है। इसलिए इन लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। इस मामले पर दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं और खासतौर पर दुनियाभर के मानवाधिकार संगठनों की इस मामले में अदालत का फैसला क्‍या होगा। अगर हम फांसी की सजा मांगते हैं, तो हम मानवाधिकारों का उल्‍लंघन करने की ओर बढ़ रहे हैं।' 
 

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