केन्द्र की संप्रग सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना करते हुए भाजपा के
प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि देश में जारी
नैराश्य के पीछे मुख्य कारण यह है कि कोई जिम्मेदारी स्वीकार नही कर रहा
है।
मोदी ने कहा कि भारत योजना नहीं होने के चलते कम उपलब्धि पाने वालों (अंडर-अचीवर्स) का देश बन गया है और विश्वास का माहौल बना कर इस हालत से निकलने की जरूरत है।
उन्होंने फिक्की की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि अगर आपने ठीक से योजना बनाई होती तो आज हम महान बुलंदियों तक पहुंचे होते। आज, भारत कम उपलब्धि पाने वालों (अंडर-अचीवर्स) का देश बन गया है। देश में उद्योग के विकास के लिए अवसरों की कमी नहीं है। इस हताशा से निकलने की जरूरत है। अब, भारत में विश्वास और भरोसे का माहौल बहुत जरूरी है।
मोदी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर हमले करते हुए कहा कि हमारे प्रधानमंत्री समावेशी विकास पर कहना पसंद करते हैं। जब तक हम शिक्षा के माध्यम से गरीबों में क्षमता का निर्माण नहीं करते, यह कैसे अंजाम पा सकता है।
मोदी ने समग्र रुख की वकालत करते हुए कहा कि अगर हम खनिजों का निर्यात करना जारी रखते हैं तो देश रोजगार या विकास सजित नहीं करेगा। प्रत्येक संसाधन के साथ समग्र रुख बहुत जरूरी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अर्थव्यवस्था की खराबी के लिए मौजूदा सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, जब हम विकास के बारे में बातें करते हैं, बुनियादी ढांचा आता है और वह उर्जा सेक्टर पर निर्भर है। उद्योग ईंधन की कमी की वजह से बंद होते हैं। किसी को जिम्मेदारी लेनी होगी। निराशा का कारण यह है कि इस देश में कोई जिम्मेदारी नहीं स्वीकार करता।
मोदी ने कहा कि देश 21वीं सदी की शुरुआत में था और उत्सुकता थी। नयी सदी के आने की चर्चा थी लेकिन कोई रणनीति अभी बननी बाकी है। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा कि दो क्षेत्र सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं - कृषि और सेवा क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कृषि में उत्पादकता सुधारने और मूल्यवर्धन पर ध्यान केन्द्रित करने की जरूरत है।
मोदी ने कहा, भूमि का परिमान बढ़ नहीं रहा है, बल्कि आबादी के बढ़ने से वास्तव में गिर रहा है। मूल्यवर्धन सेवा एवं कृषि क्षेत्र में बेहतरीन योग है।
मोदी ने कहा कि हमें आम आदमी को विकास में साझेदार बनाना है। हमें ज्यादा लघु उद्योग बनाना है। समग्र विकास के लिए छोटी चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र की चर्चा करते हुए कहा कि आम आदमी सस्ते उपचार की बाट जोहता है। भारतीय अस्पताल विश्व में मशहूर हैं लेकिन भारत में बीमा प्रक्रिया हमें रोकता है।
मोदी ने कहा, अगर लोग जानेंगे कि हम में बीमा प्रदान करने की शक्ति है, विदेशी इलाज के लिए आएंगे। उन्होंने कहा कि रेलवे और रक्षा सेवाओं को इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में रिक्तियां भरने के लिए अपने विश्वविद्यालय खोलने चाहिए।
मोदी ने कहा कि हम आयात पर करोड़ों खर्च कर रहे हैं, ऐसी कोई चीज हमारे देश के युवा प्रदान कर सकते हैं। भारत के बाहर से लोगों की सेवाएं लेने के बजाय, क्या हमें भारत में कॉलेज शुरू नहीं करने चाहिए।
प्रधानमंत्री पद के भाजपा के उम्मीदवार ने खुद को आशावादी शख्स बताते हुए कहा, अगर कोई ग्लास पानी से आधा भरा है तो मैं कहूंगा कि आधे में पानी है और आधे में हवा, और इस तरह पूरा भरा है।
मोदी ने कहा कि भारत योजना नहीं होने के चलते कम उपलब्धि पाने वालों (अंडर-अचीवर्स) का देश बन गया है और विश्वास का माहौल बना कर इस हालत से निकलने की जरूरत है।
उन्होंने फिक्की की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि अगर आपने ठीक से योजना बनाई होती तो आज हम महान बुलंदियों तक पहुंचे होते। आज, भारत कम उपलब्धि पाने वालों (अंडर-अचीवर्स) का देश बन गया है। देश में उद्योग के विकास के लिए अवसरों की कमी नहीं है। इस हताशा से निकलने की जरूरत है। अब, भारत में विश्वास और भरोसे का माहौल बहुत जरूरी है।
मोदी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर हमले करते हुए कहा कि हमारे प्रधानमंत्री समावेशी विकास पर कहना पसंद करते हैं। जब तक हम शिक्षा के माध्यम से गरीबों में क्षमता का निर्माण नहीं करते, यह कैसे अंजाम पा सकता है।
मोदी ने समग्र रुख की वकालत करते हुए कहा कि अगर हम खनिजों का निर्यात करना जारी रखते हैं तो देश रोजगार या विकास सजित नहीं करेगा। प्रत्येक संसाधन के साथ समग्र रुख बहुत जरूरी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अर्थव्यवस्था की खराबी के लिए मौजूदा सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, जब हम विकास के बारे में बातें करते हैं, बुनियादी ढांचा आता है और वह उर्जा सेक्टर पर निर्भर है। उद्योग ईंधन की कमी की वजह से बंद होते हैं। किसी को जिम्मेदारी लेनी होगी। निराशा का कारण यह है कि इस देश में कोई जिम्मेदारी नहीं स्वीकार करता।
मोदी ने कहा कि देश 21वीं सदी की शुरुआत में था और उत्सुकता थी। नयी सदी के आने की चर्चा थी लेकिन कोई रणनीति अभी बननी बाकी है। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा कि दो क्षेत्र सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं - कृषि और सेवा क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कृषि में उत्पादकता सुधारने और मूल्यवर्धन पर ध्यान केन्द्रित करने की जरूरत है।
मोदी ने कहा, भूमि का परिमान बढ़ नहीं रहा है, बल्कि आबादी के बढ़ने से वास्तव में गिर रहा है। मूल्यवर्धन सेवा एवं कृषि क्षेत्र में बेहतरीन योग है।
मोदी ने कहा कि हमें आम आदमी को विकास में साझेदार बनाना है। हमें ज्यादा लघु उद्योग बनाना है। समग्र विकास के लिए छोटी चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र की चर्चा करते हुए कहा कि आम आदमी सस्ते उपचार की बाट जोहता है। भारतीय अस्पताल विश्व में मशहूर हैं लेकिन भारत में बीमा प्रक्रिया हमें रोकता है।
मोदी ने कहा, अगर लोग जानेंगे कि हम में बीमा प्रदान करने की शक्ति है, विदेशी इलाज के लिए आएंगे। उन्होंने कहा कि रेलवे और रक्षा सेवाओं को इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में रिक्तियां भरने के लिए अपने विश्वविद्यालय खोलने चाहिए।
मोदी ने कहा कि हम आयात पर करोड़ों खर्च कर रहे हैं, ऐसी कोई चीज हमारे देश के युवा प्रदान कर सकते हैं। भारत के बाहर से लोगों की सेवाएं लेने के बजाय, क्या हमें भारत में कॉलेज शुरू नहीं करने चाहिए।
प्रधानमंत्री पद के भाजपा के उम्मीदवार ने खुद को आशावादी शख्स बताते हुए कहा, अगर कोई ग्लास पानी से आधा भरा है तो मैं कहूंगा कि आधे में पानी है और आधे में हवा, और इस तरह पूरा भरा है।
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