कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में सीबीआई ने आज सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफा
फे
में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की। सीबीआई को 60 कोयला ब्लॉकों के आवंटन में
कोई भी अपराध नहीं मिला है और उम्मीद है कि वह उन्हें सुप्रीम कोर्ट की
अनुमति के बाद जांच के अपने दायरे से बाहर कर देगी।
सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी ने रिकॉर्डों का विस्तृत विश्लेषण किया और यह निष्कर्ष निकाला है कि इन कोयला ब्लॉकों के आवंटन में कोई भी अपराध नहीं हुआ है। सूत्रों ने कहा कि 195 कोयला ब्लॉकों का आवंटन की जांच की जा रही है, जिसमें से सीबीआई ने 16 मामलों को प्रथम दृष्टया ऐसी सामग्री मिली है जो धोखाधड़ी, आपराधिक दुराचरण और भ्रष्टाचार की ओर इंगित करती है, जिसके बाद एजेंसी ने प्राथमिकियां दर्ज की। इसके बावजूद 60 कोयला ब्लॉकों के आवंटन के विश्लेषण के दौरान रिकार्ड सही पाए गए और तय नियमों और प्रक्रियाओं से कोई भी विचलन नहीं मिला। सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान एजेंसी ने राज्य सरकारों की रिपोर्टों, दिलचस्पी रखने वाले मंत्रालयों, छानबीन समिति के ब्योरे और लाभ उठाने वाली कंपनियों की ओर से जमा किये गए फॉर्म और दस्तावेजों का विश्लेषण किया। सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी ने इन कंपनियों के कुछ अधिकारियों को भी बुलाया और वे सीबीआई जांच दल द्वारा उठाये गए सभी सवालों को समझाने में सफल रहे। सीबीआई ने एएमआर आयरन एंड स्टील, जेएलडी यवतमाल एनर्जी, विनी आयरन एंड स्टील उद्योग, जेएएस इंफ्रास्ट्रक्चर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड, विकास मेटल्स, ग्रेस इंडस्ट्रीज, गगन स्पांज, जिंदल स्टील एंड पावर, राठी स्टील एंड पावर लिमिटेड, झारखंड इस्पात, ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर, कमल स्पांज, पुष्प स्टील, हिंडाल्को, बीएलए इंस्डस्ट्रीज, कैस्ट्रान टेक्नोलाजीस और कैस्ट्रान माइनिंग के खिलाफ 16 प्राथमिकियां दर्ज की हैं। सभी प्राथमिकियां 2006 और 2009 के बीच तथा 1993 से 2004 के बीच हुए कोयला ब्लाकों के आवंटनों तथा सरकारी वितरण योजना के तहत दी गई परियोजनाएं की तीन प्रारंभिक जांचों पर आधारित हैं। दो अन्य प्रारंभिक जांच भी हैं जो कि फाइल गुम होने से संबंधित हैं। सूत्रों ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई भी सबूत सामने नहीं आया है, जिससे यह बात सामने आती हो कि कोयला मंत्रालय के अधिकारियों ने फाइलों को जांच एजेंसी के हाथों में पड़ने से रोकने के लिए कोई आपराधिक या जानबूझकर कोई कृत्य किया।
सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी ने रिकॉर्डों का विस्तृत विश्लेषण किया और यह निष्कर्ष निकाला है कि इन कोयला ब्लॉकों के आवंटन में कोई भी अपराध नहीं हुआ है। सूत्रों ने कहा कि 195 कोयला ब्लॉकों का आवंटन की जांच की जा रही है, जिसमें से सीबीआई ने 16 मामलों को प्रथम दृष्टया ऐसी सामग्री मिली है जो धोखाधड़ी, आपराधिक दुराचरण और भ्रष्टाचार की ओर इंगित करती है, जिसके बाद एजेंसी ने प्राथमिकियां दर्ज की। इसके बावजूद 60 कोयला ब्लॉकों के आवंटन के विश्लेषण के दौरान रिकार्ड सही पाए गए और तय नियमों और प्रक्रियाओं से कोई भी विचलन नहीं मिला। सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान एजेंसी ने राज्य सरकारों की रिपोर्टों, दिलचस्पी रखने वाले मंत्रालयों, छानबीन समिति के ब्योरे और लाभ उठाने वाली कंपनियों की ओर से जमा किये गए फॉर्म और दस्तावेजों का विश्लेषण किया। सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी ने इन कंपनियों के कुछ अधिकारियों को भी बुलाया और वे सीबीआई जांच दल द्वारा उठाये गए सभी सवालों को समझाने में सफल रहे। सीबीआई ने एएमआर आयरन एंड स्टील, जेएलडी यवतमाल एनर्जी, विनी आयरन एंड स्टील उद्योग, जेएएस इंफ्रास्ट्रक्चर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड, विकास मेटल्स, ग्रेस इंडस्ट्रीज, गगन स्पांज, जिंदल स्टील एंड पावर, राठी स्टील एंड पावर लिमिटेड, झारखंड इस्पात, ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर, कमल स्पांज, पुष्प स्टील, हिंडाल्को, बीएलए इंस्डस्ट्रीज, कैस्ट्रान टेक्नोलाजीस और कैस्ट्रान माइनिंग के खिलाफ 16 प्राथमिकियां दर्ज की हैं। सभी प्राथमिकियां 2006 और 2009 के बीच तथा 1993 से 2004 के बीच हुए कोयला ब्लाकों के आवंटनों तथा सरकारी वितरण योजना के तहत दी गई परियोजनाएं की तीन प्रारंभिक जांचों पर आधारित हैं। दो अन्य प्रारंभिक जांच भी हैं जो कि फाइल गुम होने से संबंधित हैं। सूत्रों ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई भी सबूत सामने नहीं आया है, जिससे यह बात सामने आती हो कि कोयला मंत्रालय के अधिकारियों ने फाइलों को जांच एजेंसी के हाथों में पड़ने से रोकने के लिए कोई आपराधिक या जानबूझकर कोई कृत्य किया।
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