Yemla Pagla diwana |
'यमला पगला दीवाना 2' देखते हुए किरदारों और स्थितियों से अधिक उस उद्देश्य और इरादे पर हंसी आई, जिसकी वजह से आनन-फानन में यह फ्रेंचाइजी लाई गई। इरादा स्पष्ट था कि सफल फिल्म, देओल परिवार और कॉमेडी की त्रिवेणी से एक मुनाफेदार फिल्म बनाई जाए। हो सकता है 'यमला पगला दीवाना 2' से मुनाफा हो, लेकिन यकीनन आप तीनों घाटे में रहेंगे। सम्मान, प्रतिष्ठा और योगदान में घाटा होगा। इस बार देओल परिवार ने अपने नाम का ही बट्टा लगा दिया। एक साधारण सी फिल्म के धुआंधार प्रचार के समय भी क्या फिल्मों के जानकार के हैसियत से आप तीनों ने विचार नहीं किया कि क्या परोसने जा रहे हैं?
हिंदी सिनेमा का लोकप्रिय हिस्सा लगातार गर्त में जा रहा है। 100 करोड़ यानी 1 अरब की कमाई के पीछे सभी बेसुध हैं। यही बेसुधी 'यमला पगला दीवाना 2' में भी दिख रही है। सिनेमा कहीं पीछे छूट गया है और व्यवसाय हावी हो गया है। निश्चित ही सिनेमा व्यावसायिक कलात्मक उद्यम है। व्यवसाय होना भी चाहिए, लेकिन उसके लिए क्या अपने करिअर के हासिल को भी ताक पर रखा जा सकता है?
'यमला पगला दीवाना 2' एक साधारण फिल्म है। कहानी, संवाद, दृश्य संयोजन, फोटोग्राफी, एक्शन सभी क्षेत्रों में जल्दबाजी और फौरी तरीके से काम किया गया है। आप तीनों की प्रतिभा भी इस कमजोर फिल्म को नहीं बचा सकी। माफ करें, इस बार सनी देओल का मुक्का भी फिल्म को नहीं संभाल सका।
अंत में इतना ही कि आप तीनों इस फिल्म का स्वयं मूल्यांकन करें और अगली सामूहिक कोशिश पर पुनर्विचार करें। मेरी उम्मीदें नहीं चूकी हैं। बेहतर फिल्म की प्रतीक्षा रहेगी।
आपका,
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