लंदन।
फ्रांस की मारियन बार्तोली ने जर्मनी की सबाइन लिसिकी के स्वप्निल अभियान
को यहां 6-1, 6-4 से थामते हुए विंबलडन टेनिस चैंपियनशिप में महिला एकल का
खिताब जीत लिया। अपने फाइनल तक के सफर में विश्व की नंबर एक खिलाड़ी
अमेरिका की सेरेना विलियम्स और गत उपविजेता पोलैंड की एग्निस्जका रदवांस्का
की चुनौती को ध्वस्त करने वाली लिसिकी फाइनल में बार्तोली के समक्ष कोई
खास चुनौती पेश नहीं कर पाई और उन्होंने लगातार सेटों में हथियार डाल दिए।
15वीं
सीड बार्तोली का यह दूसरा विंबलडन फाइनल था जबकि 23वीं सीड लिसिकी पहली
बार किसी ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट के फाइनल में खेल रही थीं। बार्तोली को
इससे पहले 2007 में अमेरिका की वीनस विलियम्स के हाथों फाइनल मे हार का
सामना करना पड़ा था। 23 साल की लिसिकी जर्मनी के 16 साल के खिताबी सूखे को
खत्म करने के इरादे से खिताबी मुकाबले में उतरी थीं और उन्होंने पहले ही
गेम में बार्तोली की सर्विस को भंग करते हुए अपने इरादे भी जाहिर कर दिए
थे।
लेकिन
28 साल की बार्तोली ने अपने अनुभव और लिसिकी की गलतियों का फायदा उठाते
हुए एक घंटे 21 मिनट में मुकाबला निपटा दिया। वह टेनिस के आधुनिक दौर में
यह खिताब जीतने वाली फ्रांस की दूसरी महिला खिलाड़ी है। इससे पहले एमिली
मोरेस्मो ने 2006 में यह खिताब जीता था।
लिसिकी
ने पूरे मैच में 25 बेजा भूले की और आठ में से दो ब्रेक अंक ही भुना पाई
जबकि बार्तोली ने 13 में से पांच ब्रेक अंक भुनाए। लिसिकी ने हालांकि दूसरे
सेट में 1-5 से पिछड़ने के बाद स्कोर 4-5 तक खींचा, लेकिन बार्तोली ने
अगले गेम में अपनी सर्विस बरकरार रखते हुए खिताब पर कब्जा कर लिया।
लिसिकी
ने चौथे दौर में 16 बार की ग्रैंड स्लैम चैपियन सेरेना को हराकर
टूर्नामेंट का सबसे बड़ा उलटफेर किया था और फिर सेमीफाइनल में चौथी सीड
रदवांस्का को हराकर खिताब के लिए अपना दावा मजबूत किया था। वह इस
टूर्नामेंट में जर्मनी का 16 साल का खिताबी सूखा खत्म करने के इरादे से
फाइनल में उतरी थीं। जर्मनी के लिए अंतिम बार 1996 में स्टेफी ग्राफ को
विंबलडन में वीनस रोजवाटर डिश ट्रॉफी उठाने का सम्मान प्राप्त हुआ था।
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