3.2 अरब अमेरिकी डॉलर में
सन फार्मा द्वारा संकटग्रस्त दवा कंपनी रैनबैक्सी लेबरेटरी की पूरी
हिस्सेदारी का अधिग्रहण शेयर बाजार के कई ऐनालि
स्टों के गले नहीं उतर रहा
है। कहा जा रहा है कि सनफार्मा की कंपनी सिल्वर स्ट्रीट ने बहुत पहले से ही
रैनबैक्सी के शेयर भारी मात्रा में खरीदना शुरू कर दिए थे। कुछ निवेशकों
ने पिछले सप्ताह से ही रैनबैक्सी के शेयरों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया
था। पिछले 3-4 दिन में रैनबैक्सी के शेयर में लगभग 35 पर्सेंट की बढ़ोतरी
इस बात की ओर इशारा करती है कि डील से पहले ही कई बायर्स के पास डील से
जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी थी।
- आखिर किसी विदेशी कंपनी ने क्यों बेचा घाटे में
सीएनआई रिसर्च के सीएमडी किशोर.पी.ओस्तवाल कहते हैं, ' जापानी कंपनी दाइची सैंक्यो ने 2008 में रैनबैक्सी को 4.8 बिलियन डॉलर में खरीदा था और उस समय डॉलर 40 रुपये पर था। अब डॉलर 60 पर है और इसकी वैल्यू अब 7.2 बिलियन डॉलर बैठती है। लेकिन दाइची ने इसे 3.2 बिलियन डॉलर में बेच दिया। पहली बार किसी विदेशी कंपनी ने 4 बिलियन डॉलर का घाटा उस समय उठाया है, जब कि रैनबैक्सी को बहुत जल्द ही डायोविन नामक ड्रग ( जो कि 2 बिलियन डॉलर का मार्केट है) का अप्रूवल मिलने वाला था। ऐसे में लोगों के मन में यह सौदा संशय पैदा करता है और दलाल स्ट्रीट में यह कहा जाने लगा कि क्या दाइची फ्रंट रनिंग कर रही थी? हालांकि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं लेकिन सवालों के घेरे में जरूर है यह डील।'
- आखिर किसी विदेशी कंपनी ने क्यों बेचा घाटे में
सीएनआई रिसर्च के सीएमडी किशोर.पी.ओस्तवाल कहते हैं, ' जापानी कंपनी दाइची सैंक्यो ने 2008 में रैनबैक्सी को 4.8 बिलियन डॉलर में खरीदा था और उस समय डॉलर 40 रुपये पर था। अब डॉलर 60 पर है और इसकी वैल्यू अब 7.2 बिलियन डॉलर बैठती है। लेकिन दाइची ने इसे 3.2 बिलियन डॉलर में बेच दिया। पहली बार किसी विदेशी कंपनी ने 4 बिलियन डॉलर का घाटा उस समय उठाया है, जब कि रैनबैक्सी को बहुत जल्द ही डायोविन नामक ड्रग ( जो कि 2 बिलियन डॉलर का मार्केट है) का अप्रूवल मिलने वाला था। ऐसे में लोगों के मन में यह सौदा संशय पैदा करता है और दलाल स्ट्रीट में यह कहा जाने लगा कि क्या दाइची फ्रंट रनिंग कर रही थी? हालांकि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं लेकिन सवालों के घेरे में जरूर है यह डील।'
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