Tuesday 31 December 2013

बैंकों के एनपीए में 2014 में हो सकती है और बढ़ोतरी

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बैंकों की गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में अगले वर्ष भी कोई कमी आने की उम्मीद नहीं है और यह  2014 के अंत तक बढ़कर डेढ़ लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। वाणिज्य एवं उद्योग संगठन एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक अर्थव्यवस्था के कमजोर पड़ने से बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में और गिरावट आएगी।

ठीक इसी तरह अर्थव्यवस्था में मजबूती आने से इनकी गुणवत्ता में सुधार होता है। वित्त वर्ष 2014 की दूसरी छमाही में बैंकों पर एनपीए के दबाव में और बढ़ोतरी होगी। रिजर्व बैंक के अन्य बैंकों विशेषकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की परिसंपदा गुणवत्ता की खराब स्थिति पर चिंता जाहिर करने के एक दिन बाद जारी एसोचैम की रिपोर्ट में कहा गया है कि  इस वर्ष 30 सितंबर में 40 सूचीबद्ध बैंकों का कुल एनपीए 31 मार्च के एक लाख 79 हजार 891 करोड़ रुपये की तुलना में 27 प्रतिशत बढ़कर 229007 करोड़ रुपये पहुंच गया था।

रिपोर्ट में बैंकों का एनपीए बढ़ने के लिए त्रुटिपूर्ण ऋण प्रबंधन, कर्मचारियों में पेशेवर तरीके का अभाव, पुनर्भुगतान की गैर जिम्मेदाराना पद्धति, ग्राहकों द्वारा कर्ज का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं करना, अदालतों में दर्ज मामलों का समय पर समाधान न न हो पाना और स्थानीय स्तर पर राजनीतिक हस्तक्षेप को जिम्मेदार बताया गया है।

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