Thursday 26 December 2013

खूब खाओ नाचो-गाओ, आ रहा है नया साल

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नया साल आने वाला है। पूरी दुनिया इसके स्वागत में लगी है। ऐसा माना जाता है कि अगर नए साल की शुरुआत हर्षोल्लास और परंपरागत तरीकों से की जाए तो पूरा साल अच्छा बीतता है। इसलिए 31 दिसंबर रात 12 बजे से लेकर 1 जनवरी रात 12 बजे तक लोग अपने-अपने तरीकों से नए वर्ष के स्वागत में लगे रहते हैं।
खाओ-पिओ जमकर..
- पर्शिया में लोग इस मौके पर एक-दूसरे को तोहफे के रूप में अंडे देते हैं।
- आयरिश लोग पेस्ट्री खाते हैं।
- स्पेन में लोग 12 अंगूर आधी रात को खाते हैं। इस दौरान वे अपनी विश भी मांगते हैं। यह परंपरा 1895 से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि उस समय में स्पेन में अंगूर की खूब खेती होती थी, इसलिए अंगूर खपाने के लिए किसानों ने इस तरह की परंपरा चलाई।
- डेनमार्क में लोग इस दिन क्रांसेकेज नामक डेजर्ट बनाते हैं। यह डेजर्ट सिर्फ नए साल पर ही बनता है। यह कोन के आकार का केक होता है।
- एसटोनिया में कुछ लोग यह मानते हैं कि उन्हें नए साल की शाम को 7, 9 या 12 तरह के भोजन करने चाहिए। चाहे पूरा भोजन न किया जाए, लेकिन हर तरह के भोजन का कुछ हिस्सा खाना शुभ माना जाता है।
- जर्मनी में तो लोग खूब सारी मिठाइयां खाते हैं और टीवी देखते हैं। इस दौरान वे जैम से भरे हुए डोनट्स खाते हैं। हर साल नए साल की संध्या पर जर्मन टीवी स्टेशंस पर 1920 का ब्रिटिश कैबरे प्ले डिनर फॉर वन नामक शो ब्रॉडकास्ट किया जाता है, जिसे पूरा देश देखना पसंद करता है। यह शो आज भी ब्लैक एंड व्हाइट में ही प्रसारित होता है।
- नॉर्वे, स्विट्जरलैंड में लोग राइस पुडिंग खाते हैं।
यूं शुरुआत हुई न्यू ईयर सेलिब्रेशन की
तुम अकसर सोचते हो न कि न्यू ईयर सेलिब्रेशन कब शुरू हुआ, इसे 1 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है? चलो, आज हम तुम्हारे इस कन्फ्यूजन को भी दूर कर देते हैं। जानते हो, न्यू ईयर सेलिब्रेशन के इतिहास को लेकर कोई एकमत नहीं है। अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग मान्यताएं हैं। ऐसा माना जाता है कि न्यू ईयर सेलिब्रेशन दुनिया का सबसे पुराना सेलिब्रेशन फेस्टिवल है। लगभग 4,000 वर्ष पूर्व प्राचीन बेबिलोन में इसकी शुरुआत हुई थी। लेकिन उस वक्त यह मार्च महीने में सेलिब्रेट किया जाता था। रोमन कैलेंडर के अनुसार भी 1 मार्च को ही नया साल मनाया जाता था। मेसोपोटामिया में न्यू ईयर सेलिब्रेशन की शुरुआत दो हजार ईसा पूर्व हुई थी। शुरुआत में विश्व की कई जगहों पर 1 मार्च को न्यू ईयर मनाया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे इसमें बदलाव आते चले गए। 46 ईसा पूर्व में जूलियस सीजर ने सौर-ऊर्जा आधारित कैलेंडर की शुरुआत की और 1 जनवरी को साल का पहला दिन माना। तब से 1 जनवरी को न्यू ईयर मनाया जा रहा है। कुछ इतिहासकारों के अनुसार, सन 1582 में पोप ग्रेगरी तेरहवें ने ग्रेगेरियन कैलेंडर की शुरुआत की, जिसके मुताबिक 1 जनवरी से साल शुरू होता है। पोप द्वारा ग्रेगेरियन कैलेंडर शुरू करते ही यूरोप में इसे मान लिया गया और 1 जनवरी को न्यू ईयर के रूप में सेलिब्रेट करना शुरू कर दिया गया। 1752 में यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका में भी यह सेलिब्रेट किया जाने लगा। इसके बाद धीरे-धीरे पूरे विश्व में ग्रेगेरियन कैलेंडर को स्वीकार करते हुए 1 जनवरी को नया साल मनाया जाने लगा। ये परंपराएं भी हैं कुछ अलग
- चीन में लोग नए साल के दिन नई चप्पलें पहनते हैं। इसे वे 31 दिसंबर के पहले ही खरीद लेते हैं। इस दिन वे पटाखे भी जलाते हैं। इनका मानना है कि नए वर्ष के मौके पर यदि पटाखे जलाए जाएं तो बुरी आत्माएं दूर रहती हैं और देश में खुशहाली बनी रहती है।
- 31 दिसंबर की शाम को जापान के लोग बकवीट (एक प्रकार का अनाज) नूडल्स खाते हैं। वे इसे टोशीकोशीसोबा कहते हैं, जिसका अर्थ है साल बीतने पर खाने वाले नूडल्स। साथ ही लोग आधी रात को 108 बार बजायी जाने वाली बौद्ध मंदिरों की बेल्स की आवाज सुनते हैं। यह आवाज शुद्ध करने वाली और बुरी आत्माओं को भगाने वाली मानी जाती है।
- फिलीपींस में लोग 1 जनवरी को पोल्का डॉट्स वाले कपड़े पहनते हैं और गोल फल जैसे संतरा, चैरी आदि खाते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से उनका पूरा साल शुभ रहेगा। रात को 12 बजते ही लोग मुट्ठी भर अंगूर अवश्य खाते हैं। बैल्जियम में बच्चों नए साल के मौके पर अपने माता-पिता को चिट्ठी लिखते हैं। वे एक कार्ड बनाते हैं, उसे सजाते हैं और फिर उसमें अपनी चिट्ठी रख देते हैं। कई बच्चों तो खुद ही माता-पिता को चिट्ठी पढ़कर सुनाते हैं। हमारे देश में नया साल
बैसाखी : पंजाबी लोग मध्य अप्रैल में बैशाखी मनाते हैं। पंजाबियों के लिए यह नया साल होता है।
नवरेश : कश्मीरी चैत्र के पहले दिन को नए साल के रूप में मनाते हैं और इसे नवरेश कहते हैं।
नब बर्ष : बंगाली नए साल को नब बर्ष कहते हैं और इसे 14 या 15 अप्रैल को मनाते हैं।
रोंगली बिहू: असम के लोग न्यू ईयर अप्रैल महीने के मध्य में मनाते हैं।
उगाडी : आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के लोग चैत्र महीने के पहले दिन को न्यू ईयर मानते हैं। इस त्योहार का नाम उन लोगों ने उगाडी दिया है। उनका मानना है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन ब्रह्मांड की रचना शुरू की थी।
महाविष्णु संक्रांति : ओडिशा के लोग 13 या 14 अप्रैल को अपना नया वर्ष मनाते हैं। नए वर्ष को वे महाविष्णु संक्रांति कहते हैं। इस दिन वे लोग फलों से तैयार पेय लेते हैं, जिसे ‘पाना’ कहा जाता है।
विशु : तमिलनाडु में 14 अप्रैल को विशु के नाम से नया साल धूमधाम से मनाया जाता है। नए साल से करो वायदे
- नहीं बनाओगे अब बहाने। किसी भी काम को अगर करने को कहा जाएगा तो तुम उसे नहीं करने के लिए तरह-तरह के जो बहाने बनाते हो, ऐसा अब नहीं करोगे।
- रोज दूध पिओगे। दूध पीने में आनाकानी करने से तुम्हारे शरीर पर ही बुरा असर होता है, इसलिए दूध रोज समय पर पी लोगे और मम्मी को पीछे-पीछे नहीं भगाओगे।
- सुबह खुद जाग जाओगे। चाहो तो इसके लिए अलार्म घड़ी की मदद भी ले सकते हो।
- प्रतिदिन स्कूल जाओगे, छुट्टी के लिए बहाने नहीं करोगे। समय पर पढ़ाई करोगे।
- रखोगे सफाई का ध्यान। रोज दो बार अपने दांतों को अच्छी तरह ब्रश करोगे।
- अपने खिलौनों को साफ रखोगे और जहां से उठाया वहीं रख दोगे।
- खाने से पहले तो अकसर ही तुम हाथ धोना भूल जाते हो, पर अब नहीं करोगे ऐसा।
- मम्मी-पापा की बात मानोगे। ये बनाओ..खुद पियो.दोस्तों को भी पिलाओ
स्ट्रॉबेरी बनाना स्मूदी
समय लगेगा- 10 मिनट
ये चाहिए तुम्हें- 1 केला, 1 कप स्ट्रॉबेरी, तीन चौथाई कप वेनिला फ्लेवर वाला दही और आधा कप संतरे का जूस।
ऐसे बनेगा- मम्मी की मदद से मिक्सी में केला, स्ट्रॉबेरी, दही और संतरे का जूस डालो। फिर उसे 2 मिनट तक ब्लेंडर में घुमाओ। शीशे के गिलास में डालो और स्ट्रॉबेरी से सजाकर सर्व करो।

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