Saturday 28 December 2013

गैर परंपरागत राजनीति के प्रतीक हैं आम मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

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राजनीति के वैकल्पिक ब्रांड के प्रतीक के रूप में उभरे और इंजीनियर से लोकसेव क बने अरविंद केजरीवाल ने आप को सत्ता में लाकर राजनीतिक सोच बदल दी है। आम आदमी पार्टी की इस जीत से कार्यकर्ताओं की उस पार्टी ने उस व्यंग्य का एक मीठा सा बदला ले लिया है, जिसमें उसे कभी बेहद कमजोर बताया गया था।
     
आम आदमी पार्टी के 45 वर्षीय नेता ने सामने से मोर्चा संभालकर गैर परंपरागत तरीके से अपनी मुहिम शुरू की और उनकी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर कांग्रेस के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया। आप के एजेंडे में आम आदमी के हितों को केंद्र में रखते हुए केजरीवाल ने तीन बार मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षित को हरा दिया।
देश के राजनैतिक क्षितिज पर नए सितारे की तरह उभरकर पहली बार में चुनावी मैदान में सफलता हासिल कर लेने वाले केजरीवाल की पार्टी आप को अपना सबसे यादगार उपनाम उस समय मिला था, जब कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने इस साल की शुरुआत में आप को मैंगो पीपुल इन बनाना रिपब्लिक यानि राजनैतिक रूप से बेहद कमजोर देश के लोग कहा था।
    
चेहरे मोहरे से वास्तविक आम आदमी की छवि को साकार करने वाले केजरीवाल को देखकर कहीं यह महसूस नहीं होता कि विनम्र वाणी और सादा हावभाव वाला यह शख्स दिल्ली की सियासत का चेहरा बदलने की कुव्वत रखता है। भ्रष्टाचार के खिलाफ बरसों पहले शुरू की गई अपनी मुहिम को आईआईटी के इस पूर्व छात्र ने धीरे-धीरे एक जन आंदोलन में बदल दिया और राजनीति के दिग्गजों को जब तक उनका खेल समझ में आता, वह सत्ता के गलियारों तक अपनी पहुंच बना चुके थे।
   
परिवर्तन का सपना लेकर राजनीति में उतरे केजरीवाल अपनी विनम्र वाणी और सहज व्यक्तित्व से राजधानी के लोगों को एक बेहतर कल का सपना दिखाने और नयेपन की उम्मीद जगाने में कामयाब रहे और महंगाई, भ्रष्टाचार, लाल फीताशाही और नौकरशाही से आजिज मतदाताओं ने 4 दिसंबर को केजरीवाल को अपना नया नेता चुन डाला।
   
लंबे समय से समाजिक क्षेत्र में सक्रिय रहे जिस केजरीवाल को राजनीति का नौसीखिया कहकर खारिज किया जा रहा था, उसी केजरीवाल ने एक शानदार राजनैतिक शुरुआत करते हुए महज एक साल की आम आदमी पार्टी के जरिए वर्षों से स्थापित राजनैतिक तंत्र को चुनौती देकर राजनीति में अपनी मजबूत जगह बना ली।
   
केजरीवाल ने भारतीय राजनीति के खेल के पुराने नियम-कायदों को हटाते हुए इस खेल के नए मापदंड तय किए। भ्रष्टाचार विरोधी पार्टी के रूप में शुरू हुए इस सामाजिक आंदोलन ने पूरे भारत में मौजूद छात्रों, किसानों, नागरिक अधिकार समूहों, गैर सरकारी संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, महिला समूहों और शहरी युवाओं की असीमित उर्जा अपने साथ ले ली।

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