Friday 27 December 2013

आपकी शादी को खास बनाती हैं ये सामग्री

Image Loadingभारतीय शादी से जुड़े रीति-रिवाजों की तुलना किसी अन्य देश के रीति-रिवाजों से नहीं की जा सकती। हर दिन इस्तेमाल में आने वाली आम चीजें, शादी की रीति-रिवाजों में खास हो जाती हैं। पान, सुपारी और हल्दी जैसी चीजें कैसे बनाती हैं आपकी शादी को खास।
खूबसूरत त्वचा के लिए हल्दी
शादी से जुड़ी सबसे आम रस्म है हल्दी लगाना। शादी से एक दिन पहले दूल्हा और दुल्हन को शादीशुदा महिलाएं हल्दी लगाती हैं। पारंपरिक रूप से हल्दी की इस विधि में दुल्हन पीले रंग का कपड़ा पहनती है। हल्दी के कार्यक्रम के बाद दूल्हा और दुल्हन को एक-दूसरे से मिलने की इजाजत नहीं होती है। हल्दी, बेसन और तेल को मिलाकर इस दिन के लिए उबटन बनाया जाता है। हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण होता है, वहीं बेसन त्वचा को साफ करके उसमें चमक लाता है और तेल त्वचा को जरूरी नमी प्रदान करके उसकी खूबसूरती बढ़ाता है। कई बार इस उबटन में चंदन और केसर भी मिलाया जाता है ताकि त्वचा की खूाबसूरती और बढ़ सके। समृद्धि का प्रतीक है चावल
भारतीय खानपान में चावल का प्रमुखता से इस्तेमाल होता है और चावल के इसी गुण के कारण उसे शुद्ध और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। शुद्धता के इस प्रतीक का इस्तेमाल हमारे यहां के समारोह और रीति-रिवाजों में बहुलता से किया जाता है। हिंदू विवाह के दौरान नए जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए उनके ऊपर चावल छिड़का जाता है। ऐसी मान्यता है कि चावल नकारात्मक चीजों को दूर भगाता है, इसलिए विवाह के दौरान प्रज्वलित अग्नि में दूल्हे के द्वारा चावल भी डाला जाता है। घर की देवी को भी चावल अर्पित किया जाता है। शादी के बाद विदाई के वक्त दुल्हन अपने हाथों में चावल भरकर उसे अपने सिर के पीछे की ओर फेंकती है, वहीं अपने ससुराल पहुंचकर वह चावल से भरे बरतन को अपने पैरों से गिराकर घर में प्रवेश करती है। इन दोनों रिवाजों के माध्यम से दुल्हन यह प्रार्थना करती है कि उसके मायके और साथ ही साथ उसके ससुराल में समृद्धि हमेशा बनी रहे। पान-सुपारी भी हैं खास
हर धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ-साथ शादी से जुड़े विभिन्न विधि-विधानों का अहम हिस्सा है पान और सुपारी। कई धार्मिक रीति-रिवाजों में तो सुपारी को देवी का प्रतीक भी माना जाता है। वहीं, पान का पत्ता ताजगी और समृद्धि का प्रतीक है। कई हिंदू विवाह में पान के पत्ते को दूल्हा और दुल्हन के सिर पर लगाया जाता है। दूल्हे के परिवार का स्वागत भी पान के पत्ते से किया जाता है और अमूमन शादी की हर विधि में पान के पत्ते का इस्तेमाल होता है। वहीं, पान का पत्ता और नारियल सभी मेहमानों को धन्यवाद के प्रतीक के रूप में भी दिया जाता है। शुद्ध नदियों का प्रतीक पानी
शादी के विभिन्न रीति-रिवाजों में पानी का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है। पानी शुद्ध नदियों का प्रतीक है। इसे जिंदगी और जीवन चक्र का आधार माना जाता है। सभी धर्म और समुदाय में सफाई करने के लिए, सेहत को बेहतर बनाने के लिए, अच्छे भविष्य और समृद्धि के लिए शादी के रीति-रिवाजों में पानी का इस्तेमाल किया जाता है। इनका भी होता है इस्तेमाल
-आम, केला, नीम और तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल भी शादी के विभिन्न रीति-रिवाजों में किया जाता है। ये सभी पत्ते शुद्धता के प्रतीक हैं।
-जब दुल्हन गृह-प्रवेश करती है, उस समय गुड़ खिलाकर उसका स्वागत किया जाता है। शादी के बाद के विभिन्न रिवाजों में दही का इस्तेमाल भी होता है।
-घी को पवित्र माना जाता है और शादी के अमूमन सभी रिवाजों में घी का इस्तेमाल दीप जलाने के लिए किया जाता है।
-कई समुदायों में दुल्हन के पैर धोने के लिए दूध और नारियल पानी का इस्तेमाल किया जाता है।

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