Monday 30 December 2013

मुशर्रफ को मलाल, कयानी ने नहीं की उनकी मदद

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पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ को इस बात का मलाल है कि उनके खिलाफ चल रहे देशद्रोह के मामले में सेवानिवृत्त सेना प्रमुख अशफाक परवेज कयानी ने उनकी मदद नहीं की। मुशर्रफ ने विशेष अदालत द्वारा खुद को दोषी ठहराए जाने की स्थिति में माफी मांगने की संभावना से इनकार किया है।
पाकिस्तान के इतिहास में यह पहली बार है जब सैन्य शासक रहे किसी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जा रहा है। मुशर्रफ पर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है। मामले की सुनवाई विशेष अदालत में हो रही है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति 70 वर्षीय परवेज मुशर्रफ को इस बात का मलाल है कि कयानी ने उस समय उनका समर्थन नहीं किया जब उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया। कयानी को मुशर्रफ ने ही सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किया था। कयानी पिछले महीने ही सेवानिवृत्त हुए हैं। मुशर्रफ ने कल रात एक्सप्रेस न्यूज चैनल से कहा कि मैं क्षमादान का आग्रह नहीं करूंगा (यदि दोषी ठहराया जाता हूं) मैं किसी ऐसे समाधान का भी विकल्प नहीं चुनूंगा जिससे यह संकेत जाए कि मैं डर गया। वर्ष 2007 में आपातकाल लगाने के लिए देशद्रोह के आरोप का सामना कर रहे मुशर्रफ को यदि दोषी ठहराया जाता है तो उन्हें उम्रकैद या मौत की सजा हो सकती है। कई साल के स्व निर्वासन के बाद मार्च में अपनी देश वापसी के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मुझे कोई पछतावा नहीं है। मैं अपने खिलाफ मामलों को सामना करने के लिए पाकिस्तान लौटा क्योंकि लोग परिवर्तन चाहते थे। मुशर्रफ ने यह भी कहा कि उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया जाएगा। उन्होंने देशद्रोह के आरोप से संबंधित संवैधानिक प्रावधान के संबंध में कहा कि हां, आप कह सकते हैं कि यह मेरा गलत फैसला था। मुझे अपने पर अनुच्छेद 6 लगाए जाने की उम्मीद नहीं थी।

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