भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का मानना है कि कर की ऊंची दरों से विदेशी बैंकों में काला धन रखने को बढ़ावा मिला और कर चोरी के मामले भी बढ़े। कालेधन पर लोकसभा में चर्चा शुरू करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि पिछले दो वर्षों के दौरान भ्रष्टाचार और महंगाई को लेकर कई बार संसद में चर्चा हुई लेकिन ऐसा नहीं लगता कि काला धन के मसले पर भी कोई चर्चा हुई हो।
आडवाणी ने कहा, ‘हमें यह समझना होगा कि काला धन के मामले में दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने की वजह से ही सुप्रीम कोर्ट की नजर में हम एक ‘मृदु राष्ट्र’ हैं।’ केंद्र सरकार पर काला धन को लेकर कोई गंभीर कदम नहीं उठाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने कर चोरी करने वाले 782 लोगों के नाम गोपनीय रखे हैं।
भाजपा नेता ने 'ग्लोबल फाइनेंसियल इंटेग्रिटी' की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि स्विस बैंक में भारतीयों का 25 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। सरकार को विदेशी बैंकों में जमा धन को देश में लाए जाने की जरूरत है। उन्होंने वित्त मंत्री से इस रकम वापस लाए जाने और इसका इस्तेमाल देश के छह लाख गांवों के विकास में किए जाने की अपील की। उन्होंने देश के सबसे बड़े टैक्स चोर हसन अली के मामले का पूरा ब्यौरा भी वित्त मंत्री से मांगा कि यह शख्स कौन है, इसके किसके साथ संबंध हैं?
सरकार को उन लोगों के नाम देश के सामने रखने चाहिए जिनके स्विस बैंकों में अवैध खाते हैं। आडवाणी ने कहा, 'वित्त मंत्री से अपील करता हूं कि विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले किसी भी शख्स का नाम छिपाया न जाए। यदि मेरा नाम है तो उसे भी उजागर करें। उम्मीद करता हूं कि आज की चर्चा के बाद काला धन रखने वालों के नाम सामने आ जाएंगे।' हम इसे ब्लैक मनी कहते हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे ‘डर्टी मनी’ कहा जाता है क्योंकि इसका इस्तेमाल गलत और गैरकानूनी धंधे में किया जाता है।’
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की माली हालत के लिए भ्रष्टाचार प्रमुख तौर पर जिम्मेदार है। विकासशील देशों में भ्रष्टाचार के गंभीर परिणाम होते हैं। पहले कर चोरी को अपराध नहीं माना जाता था। भारत में काला धन का मसला इतना जटिल है कि समझ नहीं आता कि हकीकत क्या है। भाजपा नेता ने कहा, 'जब नेताओं की आलोचना होती है तो लोग तालियां बजाते हैं। यह सही नहीं है। सभी दल के नेताओं और सांसदों को यह घोषणा करनी होगी कि विदेशी बैंकों में हमारा कोई गैरकानूनी खाता नहीं है। तब लोग हमारी इज्जत करेंगे।’
हमारे लिए बेइज्जती की बात होगी कि हमें सरकार के बताने से पहले विकीलीक्स से पता चल जाए कि किन भारतीयों के विदेशी बैंकों के अवैध खाते हैं। आडवाणी ने इस बात से भी इनकार नहीं किया विदेशी बैंकों में जमा काला धन का संबंध आतंकवादियों से हो सकता है। उन्होंने काला धन के मसले पर संसद में श्वेतपत्र लाने की सरकार से मांग की। लोकसभा में कालेधन के मुद्दे पर बीजेपी का स्थगन प्रस्ताव मंजूर करने के लिए आडवाणी ने लोकसभा अध्यक्ष का शुक्रिया अदा भी किया।
केंद्रीय मंत्री फारुक अब्दुल्ला ने आडवाणी के भाषण में दखल देते हुए कहा कि विदेशी बैंकों में काला धन के अलावा हवाला के जरिए अवैध रकम की हेराफेरी भी गंभीर मसला है। इस पर आडवाणी ने फारुक की बात का समर्थन किया।
आडवाणी के सवालों का सरकार की तरफ से जवाब देते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि एनडीए नहीं चाहता है कि काला धन वापस आए बल्कि वह इस मसले पर राजनीति कर रहा है। यह एनडीए बनाम यूपीए की बहस नहीं है। कांग्रेस नेता ने कहा कि विदेशी बैंकों और स्थानीय बैंकों में जमा काला धन में कोई फर्क नहीं है। तिवारी ने कहा, ‘मैं एनडीए के सांसदों की इस घोषणापत्र का स्वागत करता हूं कि उनका विदेशी बैंकों में कोई पैसा नहीं है लेकिन उन्हें अपने देश के बैंकों में जमा पैसे की भी जानकारी देनी चाहिए।’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘काला धन के लिए यूपीए को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है। कांग्रेस भी काला धन को वापस लाना चाहती है और यह बिल्कुल गलत है कि काला धन रखने वालों को हम संरक्षण देते हैं। फ्रांस ने करीब 70 ऐसे लोगों की जानकारी दी थी जिनका टैक्स बाकी था। यूपीए सरकार ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की है। हसन अली की कमाई एनडीए के कार्यकाल में बढ़ी है। एनडीए की सरकार ने हसन अली के खिलाफ क्यों नहीं कार्रवाई की।’
कांग्रेस और बीजेपी की यह चर्चा उस वक्त और तीखी हो गई जब भाजपा के यशवंत सिन्हा ने मनीष तिवारी पर तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि इस बात की खबरें मिली हैं कि निचले दर्जे के सरकारी कर्मचारियों का भी विदेशी बैंकों में पैसा जमा है।
आडवाणी ने कहा, ‘हमें यह समझना होगा कि काला धन के मामले में दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने की वजह से ही सुप्रीम कोर्ट की नजर में हम एक ‘मृदु राष्ट्र’ हैं।’ केंद्र सरकार पर काला धन को लेकर कोई गंभीर कदम नहीं उठाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने कर चोरी करने वाले 782 लोगों के नाम गोपनीय रखे हैं।
भाजपा नेता ने 'ग्लोबल फाइनेंसियल इंटेग्रिटी' की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि स्विस बैंक में भारतीयों का 25 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। सरकार को विदेशी बैंकों में जमा धन को देश में लाए जाने की जरूरत है। उन्होंने वित्त मंत्री से इस रकम वापस लाए जाने और इसका इस्तेमाल देश के छह लाख गांवों के विकास में किए जाने की अपील की। उन्होंने देश के सबसे बड़े टैक्स चोर हसन अली के मामले का पूरा ब्यौरा भी वित्त मंत्री से मांगा कि यह शख्स कौन है, इसके किसके साथ संबंध हैं?
सरकार को उन लोगों के नाम देश के सामने रखने चाहिए जिनके स्विस बैंकों में अवैध खाते हैं। आडवाणी ने कहा, 'वित्त मंत्री से अपील करता हूं कि विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले किसी भी शख्स का नाम छिपाया न जाए। यदि मेरा नाम है तो उसे भी उजागर करें। उम्मीद करता हूं कि आज की चर्चा के बाद काला धन रखने वालों के नाम सामने आ जाएंगे।' हम इसे ब्लैक मनी कहते हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे ‘डर्टी मनी’ कहा जाता है क्योंकि इसका इस्तेमाल गलत और गैरकानूनी धंधे में किया जाता है।’
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की माली हालत के लिए भ्रष्टाचार प्रमुख तौर पर जिम्मेदार है। विकासशील देशों में भ्रष्टाचार के गंभीर परिणाम होते हैं। पहले कर चोरी को अपराध नहीं माना जाता था। भारत में काला धन का मसला इतना जटिल है कि समझ नहीं आता कि हकीकत क्या है। भाजपा नेता ने कहा, 'जब नेताओं की आलोचना होती है तो लोग तालियां बजाते हैं। यह सही नहीं है। सभी दल के नेताओं और सांसदों को यह घोषणा करनी होगी कि विदेशी बैंकों में हमारा कोई गैरकानूनी खाता नहीं है। तब लोग हमारी इज्जत करेंगे।’
हमारे लिए बेइज्जती की बात होगी कि हमें सरकार के बताने से पहले विकीलीक्स से पता चल जाए कि किन भारतीयों के विदेशी बैंकों के अवैध खाते हैं। आडवाणी ने इस बात से भी इनकार नहीं किया विदेशी बैंकों में जमा काला धन का संबंध आतंकवादियों से हो सकता है। उन्होंने काला धन के मसले पर संसद में श्वेतपत्र लाने की सरकार से मांग की। लोकसभा में कालेधन के मुद्दे पर बीजेपी का स्थगन प्रस्ताव मंजूर करने के लिए आडवाणी ने लोकसभा अध्यक्ष का शुक्रिया अदा भी किया।
केंद्रीय मंत्री फारुक अब्दुल्ला ने आडवाणी के भाषण में दखल देते हुए कहा कि विदेशी बैंकों में काला धन के अलावा हवाला के जरिए अवैध रकम की हेराफेरी भी गंभीर मसला है। इस पर आडवाणी ने फारुक की बात का समर्थन किया।
आडवाणी के सवालों का सरकार की तरफ से जवाब देते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि एनडीए नहीं चाहता है कि काला धन वापस आए बल्कि वह इस मसले पर राजनीति कर रहा है। यह एनडीए बनाम यूपीए की बहस नहीं है। कांग्रेस नेता ने कहा कि विदेशी बैंकों और स्थानीय बैंकों में जमा काला धन में कोई फर्क नहीं है। तिवारी ने कहा, ‘मैं एनडीए के सांसदों की इस घोषणापत्र का स्वागत करता हूं कि उनका विदेशी बैंकों में कोई पैसा नहीं है लेकिन उन्हें अपने देश के बैंकों में जमा पैसे की भी जानकारी देनी चाहिए।’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘काला धन के लिए यूपीए को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है। कांग्रेस भी काला धन को वापस लाना चाहती है और यह बिल्कुल गलत है कि काला धन रखने वालों को हम संरक्षण देते हैं। फ्रांस ने करीब 70 ऐसे लोगों की जानकारी दी थी जिनका टैक्स बाकी था। यूपीए सरकार ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की है। हसन अली की कमाई एनडीए के कार्यकाल में बढ़ी है। एनडीए की सरकार ने हसन अली के खिलाफ क्यों नहीं कार्रवाई की।’
कांग्रेस और बीजेपी की यह चर्चा उस वक्त और तीखी हो गई जब भाजपा के यशवंत सिन्हा ने मनीष तिवारी पर तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि इस बात की खबरें मिली हैं कि निचले दर्जे के सरकारी कर्मचारियों का भी विदेशी बैंकों में पैसा जमा है।
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