Monday, 26 December 2011

गुप्त योजनाओं से बनाते हैं ये लोग अपना भाग्य


वृष लग्न की कुंडली के सप्तम भाव में राहु हो तो...

कुंडली का सातवां भाव स्त्री तथा व्यवसाय से संबंधित है। इस लग्न में सप्तम भाव वृश्चिक राशि का है और इसका स्वामी है मंगल। मंगल की राशि में राहु होने पर व्यक्ति को पत्नी की ओर से कई प्रकार के कष्ट झेलने पड़ते हैं। इन लोगों को आय के संबंध में कई परेशानियां रहती है।

वृष लग्न की कुंडली के अष्टम भाव में राहु हो तो...

ज्योतिष के अनुसार कुंडली का अष्टम भाव आयु एवं पुरातत्व से संबंधित होता है। इस भाव धनु राशि का स्वामी गुरु है। गुरु की राशि में राहु होने पर व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आयु के घर में राहु होने से आयु में भी कमी हो सकती है। धनु राशि में राहु होने से व्यक्ति व्यवहारिक तथा सज्जन होता है। जीवन में काफी मेहनत के बाद सफलता प्राप्त करते हैं।

वृष लग्न की कुंडली के नवम भाव में राहु हो तो...

इस लग्न की कुंडली का नवम भाव मकर राशि का स्थान होता है। इसका स्वामी शनि है। कुंडली का नवम भाव भाग्य एवं धर्म से संबंधित होता है। इस स्थान पर राहु होने से व्यक्ति का स्वभाव धार्मिक नहीं होता है लेकिन वह खुद धर्म के प्रति लगाव रखने वाला ही बताता है। इन लोगों के पास काफी पैसा रहता है। इस ग्रह स्थिति के कारण व्यक्ति कई गुप्त योजनाओं से ही स्वयं का भाग्य बनाता है।

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