शहर के एक सरकारी बंगले में कड़ी सुरक्षा के बीच रहने वाली करीब डेढ़ साल पहले 8 जुलाई 2010 की आधी रात दंतेवाड़ा के नकुलनार में इनके घर पर हुए माओवादी हमले में चारों तरफ से गोलियां चल रही थी। अंजली के छोटे भाई अभिजीत के पैर पर गोली लग गई थी। बिना हौसला खोए अंजली ने जख्मी छोटे भाई को कंधे पर लेकर बिना किसी की मदद लिए दौड़ कर अपनी व भाई की जान बचाई थी। अदम्य साहस को देखते हुए अंजली को राज्य वीरता पुरस्कार से इसी वर्ष नवाजा गया है।
बिनानी फाउंडेशन पुरस्कार के लिए भी चयनित हो चुकी है। अंजली अभी सरस्वती विद्या मंदिर में कक्षा 10 वीं में अध्ययनरत है। वह कहती है कि मुझे तो पहले मालूम ही नहीं था कि वीरता पुरस्कार भी दिया जाता है। मैने तो केवल अपने छोटे भाई की जान बचाई है जो मेरा फर्ज था।
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