भारत में पाए जाने वाले चश्माधारी नाग को दूध पसंद नहीं है लेकिन भ्रमित धार्मिक श्रद्धालु अक्सर सपेरों के बहकावे में आकर इन्हें दूध पिलाने की कोशिश करते हैं। उनका मानना है कि नाग को दूध पिला कर वो भगवान को खुश कर रहे हैं। हालांकि वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि कोबरा दूध पीना पसंद नहीं करते हैं। लेकिन सपेरे इन नागों के साथ बेहद क्रूर खेल खेलते हैं।
सपेरे उनके विष के दांतों को ब्लेड से काटकर हटा देते हैं और उन्हें कई-कई दिनों तक प्यासा रखते हैं। और फिर जब इन प्यासे नागों को श्रद्धालुओं के पास ले जया जाता है और ये उनके सामने दूध रखते हैं तो प्यास से व्याकुल नाग दूध पीने लगते हैं और लोग समझते हैं कि उनकी पूजा भगवान ने स्वीकार कर ली।
पशु तस्करों का हमला
9 दिसंबर की रात को मंगेवाल फॉरेस्ट के वार्डेन गुरविंदर सिंह और दो गार्डो पर पशु तस्करों ने फायरिंग की जिसमें वो बाल-बाल बच गए। जानवरों को मारकर उनकी तस्करी करने वाले पशु तस्कर दो जीपों में सवार होकर आए थे।
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि ये पशु तस्कर (पोचर)फगवाड़ा के रहने वाले हैं। उन्होंने डबल बैरल गन से वनकर्मियों पर हमला किया। हालांकि वनकर्मी भाग्य से बच गए लेकिन हाल की इस घटना से जाहिर होता है कि पशु तस्करों का मनोबल पंजाब में बढ़ता जा रहा है और विभाग पशुओं की गैरकानूनी तरीके से हो रही हत्या और तस्करी को रोकने में नाकाम है।
जहां भगवान को अर्पित करते हैं तोता
तमिलनाडु स्थित मीनाक्षी मंदिर में लोग माता पावर्ती को श्रद्धा से पराकीट तोता अर्पित करते हैं। माता पार्वर्ती को तोता भेंट करने की परंपरा काफी पुरानी है। मीनाक्षी मंदिर में मां पार्वती की जो मूर्ति है उसमें मां ने अपने हाथ में पराकीट तोता ले रखा है।
इस धार्मिक परंपरा को निभाने के लिए हजारों की संख्या में तोते पकड़े जाते हैं। पकड़े गए उन तोतों में से अधिसंख्य मर जाते हैं। हालांकि तोतों पर हो रहे इस जुल्म के खिलाफ पिछले 40 सालों से संस्थाएं आवाज उठा रही हैं। चार दशकों के जागरूकता अभियान के बाद संस्था ब्लू क्रॉस के प्रमुख चिन्नी कृष्णा मीनाक्षी मंदिर के व्यवस्थापकों को यह समझाने में सफल रहे हैं कि अब इस परंपरा को बंद कर दिया जाना चाहिए।
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