Thursday, 15 December 2011

8 साल की बच्ची ने कहा- मैं तो मर गई थी, लेकिन अब...



हिसार.फतेहाबाद.गांव मानावाली की 8 वर्षीय बच्ची ने पुनर्जन्म का दावा किया है। यह बच्ची गांव के राजकीय उच्च विद्यालय में दूसरी कक्षा में पढ़ती है। वह पहले जन्म के माता-पिता, भाई, बहन, चाचा और उसके व्यवसाय के बारे में बताती है। 

  
उसका कहना है कि पहले वह भट्टूकलां रेलवे स्टेशन के पास बंसी लाल के घर पैदा हुई थी। बुखार के कारण उसकी मौत हो गई। उसका पहले का नाम धापी था और वर्तमान में भी उसे इसी नाम से बुलाया जाता है। बच्ची के इस खुलासे की चर्चा गांव और स्कूल में है। परिवारजन और शिक्षक इसे आश्चर्यजनक मान रहे हैं। दैनिक भास्कर ने घर जाकर बच्ची और उसके परिवारजनों से बातचीत की। धापी का घर गांव के दूसरे छोर से गुजरने वाली नहर किनारे पर है। उसके पिता का नाम कोहर सिंह व मां का नाम लक्ष्मी देवी है।

  
कोहर सिंह दिहाड़ी-मजदूरी करते हैं। उनके सिर्फ पांच लड़कियां हैं। इनका कहना है कि धापी चौथे नंबर पर पैदा हुई थी। जब वह दो साल की थी, तभी से पुनर्जन्म की बातें करने लगी थी। शुरूआत में वह थोड़ा बहुत बताती थी। उसका कहना था कि पहले उसका जन्म भट्टूकलां रेलवे स्टेशन के पास हुआ था।

  
उसके पिता का नाम बंसी लाल और मां का नाम सुमन था। उसके पिता मंदिर में झाड़ू लगाते थे। उसके चाचा का नाम सुनील है, जो भट्टूकलां में दुकान करते हैं। बुखार के कारण 8-9 साल की उम्र में उसकी मौत हो गई। धापी की मां लक्ष्मी ने बताया कि डिंग में उनकी रिश्तेदारी में दो साल पहले शादी थी। डिंग जाने वाली ट्रेन में सवार होने के लिए वे भट्टूकलां रेलवे स्टेशन पर गए। वहां पहुंचते ही धापी ने जिद पकड़ ली कि उसका घर यहीं और वह वहां जाएगी। वे बड़ी मुश्किल से उसे डिंग लेकर गए। इसके बाद वह कई दिनों तक उदास रही।

  
स्कूल में रहती है सामान्य : स्टाफ

  
धापी की इन बातों की चर्चा स्कूल में भी है। स्टाफ सदस्य डा. सुदामा शास्त्री, नीलम सिहाग, देवीलाल, बलदेव कुमार आदि इसे आश्चर्यजनक मान रहे हैं। इनका कहना है कि धापी के पुनर्जन्म के बारे में कई बार सुना है। स्कूल में वह सामान्य रहती है।

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