मांडू/धार. खाचरौद के सत्य सिद्धि पब्लिक स्कूल की बस मांडू से डेढ़ किमी पहले उंडाखो मार्ग की लगभग 50 फीट गहरी खाई में जा गिरी। हादसे में तीन बच्चों सहित छह की मौत हो गई। 30 से अधिक घायल हो गए, जिनमें से 14 की हालत नाजुक है। घायलों में स्कूल संचालक भी शामिल है।
हादसा रविवार तड़के 5.45 बजे हुआ। घायलों को इंदौर और धार के अस्पतालों में भर्ती किया गया है। क्रिसमस की छुट्टी होने पर स्कूल प्रबंधन ने मांडू ट्रिप के लिए अन्य स्कूल की बस (एमपी-13-पी-287) नागदा से किराए पर बुलाई थी। इसमें छह से 15 साल की उम्र के विद्यार्थी बैठे थे। हादसा ब्रेक पैडल में ड्राइवर के पैर फंसने से या झपकी आने से हुआ। इसका खुलासा नहीं हो सका है।
इनकी हुई मौत : स्कूल चौकीदार कालूराम पिता नानूराम (60), उनका पोता सुनील पिता भरतलाल (10), छात्रा नेहा पिता जाकिर (10), हलवाई कैलाशचंद्र पिता रतन परमार (32), उनकी सहयोगी चंदाबाई पति जगदीश (50) सभी निवासी खाचरौद और स्कूल प्राचार्य का भतीजा शिवम पिता प्रदीप रावल (12) निवासी शाजापुर।
ये हैं गंभीर घायल : ड्राइवर दिलीप भंवरसिंह बड़नगर, रेखा श्रीकांत नागदा, प्रदीप बलवंत (12), सिद्धि और बहन श्रेया सक्सेना, स्कूल संचालक विजय सक्सेना खाचरौद, बाबू, मीत लोहाना, गौरव दारासिंह जाट, दीपक लालचंद्र, अनुराग रामसिंह, रीना हरीश , जितेंद्र बसंतीलाल निवासी खाचरौद।
32 सीट की क्षमता, बैठी थी 55 सवारी : 2008 मॉडल की 32 सीटर क्षमता वाली बस में स्कूल संचालक, चार-पांच शिक्षक, एक हलवाई, उनकी दो सहयोगी, ड्राइवर व 45 बच्चों सहित 55 लोग सवार थे। प्राचार्य अर्चना सक्सेना तबीयत खराब होने के चलते नहीं आ पाई थीं। बस मारुति विद्यालय नागदा के नाम से रजिस्टर्ड है।
मृतकों को एक-एक लाख रुपए : मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मृतकों को एक-एक लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की है। धार जिला प्रशासन द्वारा मृतकों को 10-10 हजार और गंभीर घायलों को 5-5 हजार रुपए आर्थिक सहायता दी जा रही है।
कफन में कोमल पैर देख फूट पड़ी मां...
धार. शनैश्चरी अमावस्या की स्याह रात को जब नन्हे मासूम शाल, मफलर और स्वेटर में दुबककर बस में चढ़ रहे थे तो किसी को भी अंदाजा नहीं था कि मौत उन्हें चंद घंटों बाद अपने आगोश में ले लेगी।
मांडू का शुरुआती सफर हंसी और अंताक्षरी के साथ शुरू हुआ था। समवेत स्वर में सारे के सारे बच्चे जब ‘.सारे के सारे गामा को लेकर गाते चले..पापा नहीं हैं. धानी सी दीदी.दीदी के साथ हैं सारे.’ गीत गुनगुना रहे थे। कुछ देर बाद सभी बच्चे ऊंघने लगे और एक दूसरे के कंधों पर सिर रखकर सो गए। वहीं स्कूल चौकीदार कालूराम भी अपने पोते सुनील (10) को साथ में लेकर बैठा था।
मांडू का पहाड़ी इलाका शुरू हुआ ही था तभी किसी बच्चे ने ड्राइवर को आवाज लगाई और कहा अंकल! बस रोको नीचे उतरना है.ड्राइवर ने उसे सुना-अनसुना कर दिया। तभी एक जोरदार आवाज आई और बस लुढ़कती चली गईं। फिर क्या था चीत्कार और चीख-पुकार के सिवाय कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। ग्राम सूली बयड़ी के एक किसान ने इस मंजर को देखा तो उसने दौड़ लगा दी।
हादसा देख उसने ग्रामीणों को फोन कर बुला लिया। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हुआ। किसी मासूम के सिर से खून झर रहा था तो कोई अपने पैर को बार-बार उठाने की कोशिश करता रहा। उसे नहीं मालूम था कि पैरों की हड्डियां टूट चुकी हैं। ग्रामीणों व पर्यटकों की मदद व निजी वाहनों से घायलों को नालछा लाया गया। किसी के कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
तीन बच्चे अभी भी बिना किसी हरकत के निस्तेज पड़े हैं तभी एक ग्रामीण चिल्लाया इस बच्चे में तो जान ही नहीं है। यह दृश्य देख मददगारों की आंखों में भी दर्द का सैलाब बहने लगा। अपनी कार के नजदीक खड़ी एक महिला पर्यटक आकाश की ओर आंखें करके बुदबुदाई हे भगवान! तूने ये क्या कर डाला। ग्रामीणों ने अपनी शालों से इन मासूमों के शव ऊपर लाए। सात बजे तक तो घटनास्थल पर वाहनों की कतारें लग गई थीं।
मासूम शिवम की शिनाख्त पहले शुभम के रूप में हुई। धार जिला अस्पताल के पोस्टमार्टम कक्ष में जब कफन में लिपटा शिवम बिल्कुल शांत था तभी शाजापुर से धार पहुंची उसकी मां नीता ने सिर्फ इकलौते बेटे के कफन में लिपटे पैर देखकर ही उसे पहचान लिया कि वह उसका लाडला शिवम ही है।
इसके बाद तो मानो उस पर दुखों का समंदर फट पड़ा। वह कभी अपने पति प्रदीप रावल से लिपटतीं तो कभी शिवम के शव से और खुद को कोसती कहती जा रही थी कि मैंने क्यों तुझे मांडू घूमने भेज दिया। बड़ी मुश्किल से लोगों ने उसे पकड़ा।
बार-बार कभी ईश्वर को पुकारती तो कभी शिवम की रोजमर्रा की शरारतों का रुआंसे स्वर में जिक्र करती। फिर बेहोश हो गई। पोस्टमार्टम कक्ष के दूसरी ओर कालूराम और उसका पोता सुनील भी एक ही साथ कफन में लिपटे थे। जैसे यहां भी दादा अपने लाडले पोते की देखभाल कर रहा हो।
सहयोग की अद्भुत मिसाल
धार में जिसे भी हादसे की सूचना मिली वह उसी समय घायलों की मदद के लिए दौड़ पड़ा। एसडीएम रवींद्र चौधरी ट्रैक सूट में थे तो कांग्रेस व भाजपा के राजनेता सहित अन्य सामाजिक संगठन के लोग बिना किसी औपचारिकता के मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे थे। ब्लड के लिए डॉक्टरों पूछे बगैर कईयों ने अपने ग्रुप टेस्ट करवा कर हाथ आगे बढ़ा दिए थे। इसके लिए तो धार शहर एक बार फिर सहयोग की अद्भुत मिसाल बन गया।
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