Friday, 23 December 2011

जानिए जब अपनी औलाद दुश्मन हो जाए तो बूढ़े पेरंट्स क्या करें



मांओं ने जन्म दिया, पिताओं ने पाला-पोसा और बेटों ने बड़े होकर उनका जीना मुहाल कर दिया। आंसू पोंछने वाली आंखें बूढ़ी हुई तो उन्हें रुला दिया। चंडीगढ़ में बहुत से बुजुर्ग पेरंट्स और उनकी औलादों के बीच जिंदगी का फलसफा कुछ ऐसा ही रह गया है। 

जिस उम्र में साथ देना चाहिए उसी उम्र में बेटे तंग कर रहे हैं, मारपीट कर रहे हैं और रुला रहे हैं। वजह है मकान, जायदाद और पैसा। कोर्ट केस हो रहे हैं और पेरंट्स परेशान फिर रहे हैं। ऐसे में सीनियर सिटिजन्स की मदद के लिए कई कानून और हेल्पलाइन हैं। बुजुर्ग जानें कि अपनी सुरक्षा और अधिकार को वो कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं।

केस नं.1

मां-बाप 80 से ऊपर, बेटा 42 साल का। सेक्टर-42। कुछ महीने पहले उन्होंने बेटे को प्रॉपर्टी से बेदखल कर दिया। पर बहला-फुसला कर बेटे ने घर में एंट्री ले ली।पहले किराएदारों को बाहर निकाला, फिर नए किराएदार रखकर रेंट खुद लेने लगा।इस तरह पेरंट्स की आय का साधन बंद कर दिया। उसके बाद उन्हें फिजीकली परेशान करने लगा। जब पुलिस के पास शिकायत पहुंची तो बेटे के साथ बूढ़े बाप पर भी प्रिवेंटिव अरेस्ट के तहत 107/51 का केस दर्ज किया गया। इसके बाद पुलिस ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि यह सिविल मैटर है इसलिए सिविल सूट फाइल करो।

केस नं.2

लॉयर बेटा चंडीगढ़ में ही बूढ़े मां-बाप से अलग रहता था। मां को अकेला छोड़ स्वार्थवश पिता को साथ ले गया। अब बेटी घर के सामान और अकेली मां को अपने साथ ले जाना चाहती है। पर मां को डर है कि बेटा प्रॉब्लम न खड़ी करे। कहीं घर शिफ्ट करने के बाद रेंट पर दिया तो बाप-बेटा ये इल्जाम न लगा दे कि उसने पहले जानबूझकर पति को घर से बाहर निकाला। बेटी और मां को ये भी डर है कि बेटे के बहकावे में पिता कहीं मां से मारपीट न करे।

केस नं. 3


जीरकपुर। मां-बाप की उम्र 70 के ऊपर, बेटे ने प्रॉपर्टी झूठे दस्तखत से अपने नाम करवा ली। पेरंट्स को तब पता लगा जब लोन लेने के लिए प्रापर्टी के कागजात उन्हें गिरवी रखने थे। अब बेटा और मदद करने वाले सभी सरकारी अफसर जेल में हैं।

केस नं. 4

शकुंतला विधवा हैं और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों की मरीज भी।चल-फिर नहीं सकतीं। कुछ महीने पहले बेटा जॉब छोड़ वाइफ सहित साथ रहने आ गया। धीरे-धीरे उसकी वाइफ और वह मां को गालियां निकालने लगे। उन्हें मेंटली और फिजीकली तंग करने लगे। जब सारी हदें पार हो गई, तो बूढ़ी मां ने विवश होकर अपना ही घर छोड़ दिया। अब बाकी बच्चों के साथ कुछ-कुछ दिन के लिए रह रही हैं। पिछले साल बेटे-बहू के खिलाफ डॉमेस्टिक वॉयलेंस और वुमन प्रोटेक्शन एक्ट-2005 के तहत केस फाइल हुआ।

केस नं. 5

बेटा रहता था ऑस्ट्रेलिया में, मां सेक्टर-16 में।पिता की मौत के बाद बेटे ने कहा कि घर बेचकर ओल्ड एज होम चले जाओ, मैं खर्चा दे दूंगा। मां राजी नहीं हुई तो फिर बेटे ने कहा कि घर बेच मेरे पास ऑस्ट्रेलिया आ जाओ। वह चली गईं। बेटे के पास चंडीगढ़ के घर को बेचने के तकरीबन 8-10 करोड़ रुपये आ गए और ऑस्ट्रेलिया में मां को ओल्ड एज होम में डलवा दिया। वहां बुजुर्गो को ताउम्र ओल्ड एज होम्स में रखने के 40-45 लाख रुपये ही लगते हैं। इस तरह बेटे ने करोड़ों रुपये डकार लिए।

क्या करें सीनियर सिटीजन

शहर के बुजुर्गो के हक के लिए लड़ रही ‘दादा दादी सोसायटी’ के सीईओ जोरावर सिंह कहते हैं कि हर सीनियर सिटीजन को अपने सेक्टर के बीट बॉक्स अधिकारियों, अखबार वालों, चौकीदार और सब्जी वालों के बारे में पता होना चाहिए। अपना सोशल नेटवर्क भी बनाएं ताकि मुसीबत में लोग उनकी मदद के लिए आगे आ सकें। ऐसे केस देख रहे लॉयर डॉ. अवनीश जॉली के मुताबिक खुद को सुरक्षित करने के लिए ‘सीनियर सिटीजन रिवर्स मॉर्टगेज’ और ‘द मेनटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट’ का सहारा ले सकते हैं। 
कोई परेशानी हो तो पुलिस हेल्पलाइन नंबर 1090 या 9888888848 पर कॉल कर सकते हैं।

क्या है रिवर्स मॉर्टगेज

रिवर्स मॉर्टगेज के तहत घर और दूसरी प्रॉपर्टी को बैंक में गिरवी रखकर सीनियर सिटिजन बदले में एक निर्धारित इंस्टॉलमेंट की रकम का लाभ ले सकते हैं। उनके बाद उनकी प्रॉपर्टी का हकदार उतने पैसे चुकाकर प्रॉपर्टी को अपने नाम पर ट्रांसफर करवा सकता है। 

क्या है द मेनटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरंट्स एंड सीनियर सिटिजन एक्ट


अगर कोई बुजुर्ग अपनी मूल जरूरतें पूरी करने में असमर्थ है तो वह इस एक्ट के तहत इलाके के एसडीएम को एक अर्जी दे सकते हैं। इसमें बुजुर्ग की प्रॉपर्टी के हकदार को एसडीएम पांच हजार रुपये प्रति व्यक्तिमुआवजा देने का आदेश दे सकता है। आदेश की पालना न करने पर छह महीने की जेल हो सकती है।

ऐसे मामलों में पुलिस का दखल ज्यादा नहीं हो सकता। यह पूरी तरह से सिविल सूट हैं। फिर भी अगर किसी सीनियर सिटीजन को उनकी संतान परेशान कर रही है तो हमसे संपर्क करें। सभी सेक्टरों के बीट बॉक्स के प्रभारियों को भी निर्देश हैं कि वह समय-समय पर सीनियर सिटीजन्स का हाल जानते रहें और उनकी हर संभव मदद करें।- नौनिहाल सिंह एसएसपी चंडीगढ़

हालात एकदम से खराब नहीं होते। जब भी किसी बुजुर्ग को लगे कि हद पार हो रही है तो फैमिली काउंसलर और सीनियर सिटीजन संगठनों से कंसल्ट करें। -जोरावर सिंह सीईओ दादा, दादी सोसायटी

अपना बुढ़ापा सुरक्षित रखने के लिए बुजुर्गो को चाहिए कि अपनी प्रॉपर्टी के लीज राइट्स अपने पास रखें। रेंट डील भी अपने पास रखें और पुलिस को किराएदारों की सूचना भी खुद दें। इसके साथ ही रेंट भी बैंक के माध्यम से लें। ज्यादा-से-ज्यादा सरकारी रिकॉर्डस में उनका नाम दर्ज होगा तो अच्छा होगा।- डॉ. अवनीश जॉली, लॉयर

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