सृष्टि जब पूरी तरह नहीं बनी थी, तब सब कुछ हवा में तैरता था। तभी बिग-बैंग हुआ, और उसी के साथ सभी ग्रहों, तारों, आकाशगंगाओं को भार मिल गया। लेकिन भार किस तत्व से मिला, इसका अब तक पता नहीं चल सका था।
जिनेवा के पास पृथ्वी की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए चल रहे महाप्रयोग-लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (एलएचसी) के वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने इसी तत्व की एक झलक देखी है। इसका नाम हिग्स बोसोन है। अगर वैज्ञानिकों का दावा सही है, तो सृष्टि की रचना से जुड़े कई रहस्यों पर से परदा उठ सकेगा।
क्या है हिग्स बोसोन?
शुरू में किसी चीज का आकार या वजन नहीं था। हिग्स बोसोन बिग बैंग के समय सिर्फ कुछ सेकंड के लिए जन्मा था। सभी चीजों को भार देकर वह गायब हो गया। वह अपने साथ भारी ऊर्जा लेकर आया। इससे सभी तत्व आपस में जुडऩे लगे। उनमें भार पैदा हो गया। इसी वजह से आकाशगंगाएँ, ग्रह, तारे और उपग्रह बने। वैज्ञानिक प्रयोग में वैसी परिस्थितियां पैदा कर रहे हैं, जिनमें हिग्स बोसोन आया था।
ऐसे हो रहा है महाप्रयोग
दो साल से चल रहे इस प्रयोग के लिए फ्रांस और स्विटजरलैंड में 27 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई गई है। यहां रखे एक बड़े से यंत्र में अणुओं को प्रकाश की गति से टकराया गया है। इनके टकराने से उतनी ऊर्जा पैदा होती है जितनी बिग बैंग यानी सृष्टि के जन्म के समय थी। वैज्ञानिकों के अनुसार ये अणु एक सेकंड में 11 हजार से भी अधिक चक्कर काटते हैं। इसका सारा डाटा वैज्ञानिक उपकरणों पर स्टोर हो रहा है। वैज्ञानिक यही देखना चाहते हैं कि जब प्रोटोन आपस में टकराए तो क्या कोई तीसरा तत्व मौजूद था जिससे प्रोटोन और न्यूट्रॉन आपस में जुड़ जाते हैं, नतीजतन मास या आयतन की रचना होती है।
आठ हजार वैज्ञानिक जुड़े हैं प्रयोग से
इस शोध पर अब तक अरबों डॉलर खर्च किए जा चुके हैं। लगभग आठ हजार वैज्ञानिक इस प्रयोग में शामिल हैं। प्रयोग में शामिल भारतीय वैज्ञानिक डॉक्टर अर्चना शर्मा ने बताया कि वैज्ञानिकों को ऐसा लग रहा है कि उन्हें हिग्स बोसोन की झलक दिखाई दी है। हालांकि अब तक इसकी वैज्ञानिक तरीके से पुष्टि नहीं की गई है।
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