अमेरिकी संसद ने 662 अरब डॉलर का रक्षा विधेयक पारित कर दिया है। इसके तहत पाकिस्तान को दी जाने वाली कुछ मदद पर रोक लगाने, ईरान के सेंट्रल बैंक पर पाबंदी लगाने सहित कई बंदिशें शामिल हैं। अमेरिकी संसद ने संदिग्ध आतंकवादियों की अनिश्चितकालीन कैद को भी मंजूरी दे दी है।
डेमोक्रेट की अगुवाई वाली सीनेट ने ‘डिफेंस अथॉराइजेशन बिल’ को 86-13 के मत से पारित कर दिया जिसे प्रतिनिधि सभा ने पहले ही 136 के मुकाबले 283 मतों से पारित कर दिया था। राष्ट्रपति बराक ओबामा के इस बिल पर दस्तखत करते ही यह विधेयक कानून की शक्ल ले लेगा। अब चूंकि इस बिल को लेकर वीटो का कोई खतरा नहीं है ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि ओबामा इस हफ्ते ही इस बिल पर हस्ताक्षर कर देंगे।
डेमोक्रेट की अगुवाई वाली सीनेट ने ‘डिफेंस अथॉराइजेशन बिल’ को 86-13 के मत से पारित कर दिया जिसे प्रतिनिधि सभा ने पहले ही 136 के मुकाबले 283 मतों से पारित कर दिया था। राष्ट्रपति बराक ओबामा के इस बिल पर दस्तखत करते ही यह विधेयक कानून की शक्ल ले लेगा। अब चूंकि इस बिल को लेकर वीटो का कोई खतरा नहीं है ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि ओबामा इस हफ्ते ही इस बिल पर हस्ताक्षर कर देंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति हर साल सामने आने वाले ऐसे विधेयक को लेकर आपत्ति कर रहे थे और इस बार भी उन्होंने वीटो की धमकी दी थी। ओबामा के प्रवक्ता जे कार्ने ने कहा है कि मौजूदा विधेयक पर भी राष्ट्रपति को कुछ शक है लेकिन वह जल्द ही इस पर दस्तखत कर देंगे।
मौजूदा विधेयक यदि कानून बनता है कि पाकिस्तान को दी जाने वाली 70 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद रोक दी जाएगी। आईईडी नष्ट करने में पाकिस्तान की ओर से किसी मदद का अश्वासन नहीं मिलने के बाद अमेरिका ने यह कदम उठाया। ये आईईडी अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ जंग में जुटी अमेरिकी और गठबंधन सैनिकों के खिलाफ आतंकवादियों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले सबसे प्रभावी हथियार हैं।
अमेरिका सुरक्षा और आर्थिक मदद के नाम पर 2001 से करीब 20 अरब डॉलर की रकम पाकिस्तान को आवंटित कर चुका है। इनका अधिकतर हिस्सा आतंकवादियों के खिलाफ जंग में मदद के लिए खर्च के तौर पर इस्तेमाल किया जाना था। लेकिन अमेरिकी सांसदों को पाकिस्तान की नीयत पर संदेह है और आईआईडी धमाकों की घटनाओं में अमेरिकी सैनिकों के मरने से अमेरिकी सांसदों की हताशा बढ़ रही है।
इस विधेयक के तहत प्रावधान है कि अमेरिका के खिलाफ हमले या ऐसी साजिश करने वाले अल कायदा के आतंकवादियों को सेना की हिरासत में रखा जाएगा न कि सिविल पुलिस की हिरासत में। वैसे इस बारे में राष्ट्रपति का आदेश आखिरी फैसला होगा। बिना ट्रायल के अनिश्चितकाल तक कैद में रखा जा सकता है। अल कायदा या सहयोगी आतंकवादी गुटों में शामिल होने वाले अमेरिकी लोगों के भविष्य पर फैसला सुप्रीम कोर्ट या आने वाले राष्ट्रपति की मर्जी पर निर्भर करेगा।
पाकिस्तान सबसे ज्यादा अमेरिका सहायता पाने वाले देशों में है। पाकिस्तान ने मदद में कटौती के खिलाफ चेतावनी दी है और कहा है कि इससे जनमत में अमेरिका विरोधी भावना और बढ़ जाएगी। पाकिस्तान का कहना है कि वह अल कायदा और तालिबान से लड़ने के लिए जितना कर सकता है उतना कर रहा है और 2001 से इस लड़ाई में उसने हजारों सैनिक खोए हैं। उसका आरोप है कि नाटो ने जानबूझकर पिछले महीने एक हमले में 24 पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला। उसके बाद इस्लामाबाद ने नाटो की सप्लाई को रोक दी और अमेरिका तथा नाटो के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार कर रहा है।
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