हौसला हो तो मंजिल खुद दरवाजे तक पहुंचकर दस्तक देती है। सीतामढ़ी के डुमरा थाना क्षेत्र के शांतिनगर में रहने वाली लक्ष्मी शर्मा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। 8वीं में पढ़ती थीं तो उनकी शादी हो गई।
पति और जेठ का सहयोग मिला, अब वे ‘खबर लहरिया’ नामक पाक्षिक अखबार की सह संपादक हैं। अभी वो बीए पार्ट टू में पढ़ रही हैं। खबर लहरिया अखबार की शुरुआत बिहार में अक्टूबर 2010 में निरंतर ट्रस्ट दिल्ली के सहयोग से की गयी। पटना आईं अखबार की सह संपादक लक्ष्मी शर्मा ने बताया कि इस अखबार में उनके अलावा एक अन्य सह संपादक समेत 9 महिला पत्रकार कार्यरत हैं। यह अखबार सीतामढ़ी और शिवहर के सुदूर ग्रामीण इलाकों की खबरों को प्रकाशित करता है।
पैदल घूम जुटाती हैं समाचार
इस हाईटेक युग में खबर लहरिया की महिला पत्रकार पैदल घूमकर ही खबरें लाती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में घूम-घूम कर लोगों से उनकी समस्या जानना, फिर उसके बारे में अधिकारियों से पूछना यह इनके काम का हिस्सा है। अखबार छपने के बाद पत्रकार स्वयं पैदल जाकर पाठकों तक अखबार पहुंचाती हैं। लक्ष्मी ने बताया कि रोजाना एक पत्रकार को करीब 15 से 20 किमी पैदल चलना पड़ता है। अखबार के लिए पाठकों से सहयोग के रूप में 2 रुपये लिये जाते हैं। कुल 8 पेज के अखबार में 4 पेज रंगीन है। शिवहर और सीतामढ़ी में करीब एक हजार पाठकों को यह अखबार बेचा जाता है।
हर जिले की हो खबरें
लक्ष्मी ने बताया कि उनकी योजना है कि हर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की खबरें खबर लहरिया में प्रकाशित हो। इसके लिए प्रयास भी किए जा रहे हैं। उनका मानना है कि आम तौर पर अखबार शहरी खबरों को प्रमुखता देता है। यही कारण है कि उनलोगों को अखबार निकालने की आवश्यकता महसूस हुई।
अधिकारियों से नहीं मिलती है मदद
लक्ष्मी बताती हैं कि उन्हें प्रशासनिक अधिकारियों से कभी मदद नहीं मिलती। जब भी किसी समस्या या विषय पर उनसे कुछ पूछा जाता है तो वे बताने से इनकार करते हैं। अखबार में भी इस बात की चर्चा की जाती है।
बज्जिका भाषा में है अखबार
अखबार की खासियत यह है कि यह बज्जिका भाषा में छपती है। लक्ष्मी बताती हैं कि स्थानीय भाषा में ग्रामीण बेहतर तरीके से खबरों को समझ सकते हैं। बज्जिका तिरहुत प्रमंडल के चार जिलों शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, वैशाली और दरभंगा प्रमंडल के समस्तीपुर और मधुबनी जिला के पश्चिमी भाग में बोली जाती है। खबर लहरिया की पहली शुरुआत उत्तरप्रदेश से हुई।
वर्ष 2002 में इसका पहला प्रकाशन चित्रकूट से हुआ। वर्ष 2006 में महिलाओं ने मिलकर बंदा जिले से भी इसका प्रकाशन शुरू किया। आज यहां इसके पाठकों की संख्या हजारों में है। बिहार के सीतामढ़ी और शिवहर में प्रकाशन शुरू हुए करीब एक वर्ष बीता है, लेकिन ग्रामीण पाठकों की रूचि यह साबित करती है कि महिला पत्रकारों के काम में दम है।
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