Sunday 8 January 2012

इस सुअरमार किले की कमाल की है विशेषता, अब बहुरेंगे इसके भी दिन!


छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल ने जिले के सुअरमार गढ़ को राज्य के पर्यटन स्थलों की श्रेणी में शामिल किया है। छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के प्रबंध संचालक तपेश झा ने इस आशय का परिपत्र कलेक्टर महासमुंद को भेजा है।



परिपत्र में श्री झा ने बताया कि बागबाहरा ब्लाक के सुअरमार में तात्कालीन राजवंश की ऐतिहासिक जानकारियां हैं। सुअरमाल की पहाड़ी में पुरातात्विक अवशेष हैं। सांस्कृतिक जानकारियों से लबरेज इस गढ़ की प्राकृतिक छटा भी मनोहारी है। पर्यटन मंडल ने बताया है कि सुअरमार में प्राचीन गढ़ (किला) के अवशेष मौजूदा लोगों को राजाओं की किलाबंदी से अवगत कराता है। यहां बने जलाशयों के अवशेष आज भी प्राकृतिक रूप से मौजूद हैं। पहाड़ी में गुफा के साथ वन क्षेत्र शैक्षणिक भ्रमण की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।



तैयार हो प्लानिंग



पर्यटन मंडल ने कलेक्टर से सुअरमार गढ़ में पर्यटकों को आवश्यक मूलभूत सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से विकास कार्यो के लिए प्रतिवेदन प्रस्तुत करने कहा है। पर्यटन मंडल की मंशा है कि सुअरमार पहुंचने वाले पर्यटकों को आसानी से सभी जानकारियां उपलब्ध हो जाए ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। सुअरमार में काम कर रही संस्था जय महामाया सुअरमारगढ़ ने राज्य शासन को पहले से ही यह सुझाव दिया है कि सुअरमाल के अस्तित्व को बचाने के लिए व्यापक कार्ययोजना तैयार की जानी चाहिए। पर्यटकों के रुकने के लिए विश्राम भवन का निर्माण पहली आवश्यकता होगी।



जिले में 5 पर्यटन स्थल



महासमुंद जिले में सुअरमारगढ़ को मिलाकर 5 पर्यटन स्थल हो गए हैं। मंडल की सूची के मुताबिक जिले के सिरपुर में लक्ष्मण मंदिर, बौद्ध और स्वास्तिक विहार के अलावा अनेक पुरातात्विक धरोहरें हैं। तुरतुरिया को लवकुश की जन्म स्थली के रूप में चिन्हित किया गया है। यहां बौद्ध विहार भी लोगों को अपनी ओर खींचता है। खल्लारी में प्राचीन देवालयों के साथ भीम पांव और खल्लारी माता का मंदिर दर्शनीय है। कनेकेरा के देवालय को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा रहा है।



पुरातन काल से ही अस्तित्व में रहा गढ़



प्राचीन काल से ही राज्य की सुरक्षा के लिए दुर्ग या गढ़ प्रमुख केंद्र माने जाते रहे हैं। मध्यकाल तक गढ़ों का निर्माण होता रहा, हैह्यवंशीय राज्य की स्थापना और मराठा काल में भी इनका महत्व कम नहीं हुआ। रतनपुर और रायपुर राज्य के अंतर्गत 18-18 गढ़ों का विवरण मिलता है। रतनपुर में विजयपुर, रतनपुर, खरौद, मारो, कोटगढ़, नवागढ़, सोंधी, औखर, पडुरभट्टा, सेमरिया, चांपा, लाका, छुरा, केंदा, मातीन, उपरोड़, पेंड्रा और कुनकुरी कंड्री तथा रायपुर राज्य में रायपुर, पाटन, सिमगा, सिंगारपुर, लवन, अमेरा, दुर्ग, सारधा, सिरसा, मोहंदी, खल्लारी, सिरपुर, फिंगेश्वर, सिंघनगढ़, राजिम, सुअरमार, टेंगनागढ़ और अकलतरा शामिल हैं।



पर्यटन मंडल ने सुअरमाल को पर्यटन स्थलों की सूची में शामिल कर जिले के ऐतिहासिक महत्व को तवज्जो दी है। सुअरमाल के विकास के लिए कार्ययोजना तैयार करने जल्द ही प्रबुद्धजनों की बैठक आहुत की जाएगी और बैठक में आए सुझावों के आधार पर पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं देने का प्रयास किया जाएगा।
अलरमेल मंगई डी, कलेक्टर महासमुंद



शासन की मंशा के अनुरूप राज्य के सभी ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थलों को चिन्हित किया जा रहा है, पर्यटन केंद्रों की सूची में शामिल सभी स्थलों में मूलभूत सुविधाओं के विस्तार के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है, सुअरमारगढ़ के लिए भी जरूरी प्रारंभिक कार्ययोजना पर जल्द से जल्द काम शुरू किया जाएगा।
तपेश झा, एमडी, छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड



कैसे पहुंचेंगे सुअरमाल गढ़



छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल की सूची में शामिल होने के बाद सुअरमालगढ़ में पर्यटकों का पहुंचना शुरू हो रहा है। स्थल जानकारी के अभाव में लोग भटक रहे होते हैं। सुअरमाल पहुंचने के सड़क और रेलमार्ग की सुविधाएं शामिल हैं। महासमुंद से खरियार रोड के बीच बागबाहरा से 15 किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 353 में सुअरमालगढ़ स्थित है। वहीं दक्षिण पूर्व रेलवे के संबलपुर डिवीजन के कोमाखान, बागबाहरा और खरियाररोड से भी इस गढ़ तक पहुंचा जा सकेगा।

 

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