Thursday 12 January 2012

हैरान करने वाला है रियल लाइफ के मुन्नाभाई का यह कारनामा


आरटीओ में एक कर्मचारी ने ही 118 लोगों की ऑनलाइन लर्निग लाइसेंस की परीक्षा दे दी, सभी पास। एक व्यक्ति की तीन मिनट में होने वाली परीक्षा में समय भी सिर्फ एक मिनट ही लगा। यह तो सिर्फ बुधवार का आंकड़ा है जबकि एक महीने में 2500 से ज्यादा लर्निग लाइसेंस यहां बनते हैं। आवेदक परीक्षा देने आए बिना अधिकारियों-एजेंटों की सेटिंग से लर्निग लाइसेंसधारी बन जाते हैं।

विजयनगर आरटीओ के लाइसेंस सेक्शन में ऑनलाइन लर्निग लाइसेंस की परीक्षा में फर्जीवाड़े की हदें पार हो चुकी हैं। कुछ लोग ही नियमानुसार आते हैं। जिस आवेदक से सेटिंग हो जाती है उससे ही ऑनलाइन लर्निग लाइसेंस फॉर्म भरवाया जाता है, रसीद कटवाई जाती है और फोटो खिंचवाकर भेज दिया जाता है। इसके बाद शुरू होता है मिलीभगत का खेल। फॉर्म इकट्ठे होते हैं और विभाग का एक कर्मचारी बैठकर सभी की परीक्षा दे देता है।

एक-एक मिनट में बन गए लर्निग लाइसेंस
- विजयनगर आरटीओ में ऑनलाइन लर्निग लाइसेंस के लिए वैसे तो दो सिस्टम है लेकिन एक सिस्टम पर ही परीक्षा होती है।
- जो 118 ऑनलाइन लर्निग लाइसेंस बने हैं वह दोपहर 1.18 से 3.35 बजे के बीच (137 मिनट में) बने। यानी एक मिनट में एक लाइसेंस।
- वैसे यदि देखा जाए तो एक सिस्टम पर एक व्यक्ति बैठेगा। उसका डाटा खुलेगा, उसके बाद परीक्षा शुरू होगी।
- एक-एक करके व्यक्ति पूछे गए 10 प्रश्नों के जवाब देगा। इन सभी प्रक्रियाओं में कम से कम तीन मिनट का समय लगता है। परिवहन विभाग के अधिकारी और एक्सपर्ट भी इस बात को स्वीकारते हैं कि एक मिनट में नियमानुसार परीक्षा संभव नहीं है।

परीक्षा ऐसे ..
- आवेदक को ऑनलाइन आवेदन भरना होता है। व्यक्ति को परीक्षा के लिए निश्चित दिन और समय मिलता है।
- व्यक्तिआरटीओ पहुंचकर फोटो खिंचवाता है। इसके बाद परीक्षा होती है।

ऐसे होती है मिलीभगत
- ज्यादातर एजेंट ही ऑनलाइन फॉर्म भर तारीख ले लेता है।
- व्यक्ति को परीक्षा से पहले ही फोटो खिंचवाकर भेज दिया जाता है।
- सभी फॉर्म एकत्रित कर लिए जाते हैं और परिवहन विभाग का एक कर्मचारी बैठकर परीक्षा दे देता है। उसे सभी प्रश्नों के जवाब और तरीके पता है इसलिए कम समय लगता है।
- २00 रु. प्रति लाइसेंस लिए जाते हैं।

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