Thursday 12 January 2012

टी सी उम्र में इस लड़के ने वो कर दिया, जो बड़े ना कर पाएं


 

स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की अध्यक्षता में निर्णायक मंडल की बैठक में प्रदेश के पांच साहसी बालकों का चयन किया गया है। निर्णायक मंडल ने शहर के उत्तम कुमार सार्वा का चयन किया है। साथ ही विश्वनाथ चौहान रायगढ़, शुभम तिवारी, विपिन पटेल और राजू ध्रुव बिलासपुर का चयन किया है। उल्लेखनीय है कि राज्य शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा अदम्य साहस, सूझ-बूझ, वीरता और बुद्धिमता का परिचय देते हुए प्रशंसनीय कार्य करने वाले बच्चों को पुरस्कृत करने के उददेश्य से वर्ष 2004 से राज्य वीरता पुरस्कार दिया जा रहा है। पुरस्कार के रूप में प्रत्येक चयनित बच्चे को दस हजार नगद, मेडल और प्रशस्ति पत्र दिए जाते हैं। राज्य वीरता पुरस्कार के लिए चयनित बच्चों को महामहिम राज्यपाल 26 जनवरी 2012 को स्थानीय पुलिस मैदान में आयोजित गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में पुरस्कृत करेंगे।


बैठक में राज्य वीरता पुरस्कार से सम्मानित बच्चों को पुलिस विभाग तथा अन्य विभागों में भर्ती में प्राथमिकता देने, उनकी शिक्षा की पूरी व्यवस्था करने, पुरस्कार राशि बढ़ाने तथा छात्रवृत्ति की राशि में वृद्धि करने का प्रस्ताव राज्य शासन को भेजने का निर्णय लिया गया । निर्णायक मंडल के अध्यक्ष श्री अग्रवाल ने महिला एवं बाल विकास विभाग के बजट के पुरस्कार मद में राशि बढ़ाकर पांच लाख रूपए करने के लिए जरुरी कार्रवाई करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए। निर्णायक मंडल की बैठक में छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष मोहन चोपड़ा, प्रमुख सचिव गृह एनके असवाल, कलेक्टर रायपुर डॉ. रोहित यादव, छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के महासचिव पीपी सोती, एनसीसी बटालियन रायपुर के लेफ्टिनेंट कर्नल जीपी कुमार, राज्य वीरता पुरस्कार के संयोजक एवं छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के सदस्य सचिव राजेन्द्र निगम तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की संयुक्त संचालक क्रिसटिना एस लाल उपस्थित थे।


ऐसे बचाई जान


धमतरी के कोष्टापारा निवासी नौ वर्षीय बालक उत्तम सार्वा पिता विरेन्द्र सार्वा ने रविवार 13 नवम्बर 2011 को शाम 5 बजे संदीप यादव की तीन वर्षीय पुत्री पवनी को तालाब में डूबने से बचाया था। उत्तम ने पवनी को पचरी पर लिटाने के बाद उसका पेट दबाकर पानी बाहर निकाला,फिर पवनी को सामुदायिक भवन उनके दादा-दादी के पास ले गया। इस प्रकार बालक के साहस एवं सूझबूझ से पवनी की जान बच गई।

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