Wednesday 6 November 2013

दुनिया का सबसे छोटा द्वीप है बिशप रॉक

Image Loadingवैसे तो इस द्वीप पर कोई नहीं रहता, लेकिन इस पर 49 मीटर ऊंचे बने लाइट हाउस की वजह से यह आबाद है और दुनिया भर में अपनी पहचान बनाए हुए है। इस छोटे-से द्वीप पर बना लाइट हाउस यहां के आकर्षण का केंद्र है
तुमने अंडेमान-निकोबार, मालदीव्स जैसे द्वीप समूह (आइलैंड) के बारे में सुना होगा। एक ओ र तो ये द्वीप समूह चारों तरफ से समुद्र के पानी से घिरे हैं, दूसरी तरफ अपने एरिया के हिसाब से काफी बड़े हैं। वहां का प्राकृतिक वातावरण बहुत सुंदर है और बड़ी तादाद में जन-जीवन भी है। आज हम तुम्हें ऐसे द्वीप के बारे में बता रहे हैं, जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस ने कुछ समय पहले दुनिया भर के द्वीपों में सबसे छोटा द्वीप घोषित किया है। यह है-अटलांटिक महासागर में इंग्लैंड (ब्रिटेन) के दक्षिण-पश्चिम सिरे पर बना बिशप रॉक द्वीप। यह द्वीप ब्रिटेन के आसपास के 1,040 सिसिली द्वीप समूह से करीब 4 मील की दूरी पर स्थित है। यह 16 मीटर चौडम, 46 मीटर लंबा और 45 मीटर गहरा है। वैसे तो इस द्वीप पर कोई नहीं रहता, लेकिन इस पर 49 मीटर ऊंचे बने लाइट हाउस की वजह से यह आबाद है और दुनिया भर में अपनी पहचान बनाए हुए है। इस छोटे से द्वीप पर बना लाइट हाउस बैटरी और जेनरेटर से स्वचालित है, जिसे हारविच एसेक्स के मुख्यालय से नियंत्रित किया जाता है। यह लाइट हाउस न्यूयॉर्क बे-लोअर और ट्रांस-अटलांटिक शिपिंग मार्ग से जाने वाले समुद्री जहाजों के लिए उपयोगी है। यह जहाजों के लिए गाइड का काम करता है। इसी वजह से आज इस निर्जन बिशप द्वीप को ‘ब्लू रीबैंड’ और इस पर बने लाइट हाउस को ‘किंग ऑफ द लाइट हाउस’ से सम्मानित किया गया है। अब तुम यह सोच रहे होगे कि इस छोटे-से द्वीप पर लाइट हाउस कब और क्यों बना? कहा जाता है कि पहले सजा प्राप्त कैदियों को थोड़े-से सामान के साथ इस द्वीप पर छोड़ दिया जाता था, जिनकी बाद में मौत हो जाती थी। दरअसल सदियों पहले सिसिली द्वीप समूह के आसपास बनी चट्टानों से टकरा कर कई जहाज मलबे बने और ब्रिटिश बेड़े डूब गए। इसी को देखते हुए खतरे से बचने के लिए बिशप रॉक में लाइट हाउस बनाने का फैसला लिया गया। लाइट हाउस बनाने का काम 1847 में शुरू किया गया था, लेकिन यह पूरा होने से पहले ही टूट कर बह गया। आज यहां ग्रेनाइट पत्थर से बना जो लाइट हाउस है, उसे 1853 में बनाया गया था। एक सितंबर 1858 को मोमबत्ती और पैराफिन लैंप या लालटेन से पहली बार जलाया गया। पहले वहां तक जाने के लिए नाव या जहाज का इस्तेमाल होता था। इसमें आने वाली मुश्किलों को देखते हुए ट्रिनिटी हाउस ने 1976 में लाइट हाउस के ऊपर एक हैलीपैड बनाया और इसे 1992 में पूरी तरह स्वचालित कर दिया। आज इस लाइट हाउस में 10 मंजिलें हैं, जिनमें ऊपर की चार मंजिलों में स्टोर रूम, कंट्रोल रूम और एक कमरा भी है, जिनमें ऊपर हैलीपैड और नीचे द्वीप तक जाने के लिए सीढिम्यां हैं। लोग अब इस लाइट हाउस को  देखने दूर-दूर से आते हैं।

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