Thursday 7 November 2013

ठंड से बचने को.. सो जाते हैं ये जानवर

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ठंड के मौसम में हम सभी गर्म कपड़े पहनते हैं, ताकि हम बाहर के कम तापमान से बीमा र न पड़ जाएं। लेकिन इस मौसम में बेचारे जानवर क्या करते होंगे। उनके पास तो स्वेटर भी नहीं होते ना। इसीलिए तो इनमें से कई इस समय में हाइबरनेशन यानी शीत निद्रा में चले जाते हैं। आज इन्हीं के बारे में जानते हैं आरती मिश्रा से
मौसम बदल रहा है। अब सुबह और शाम के समय थोड़ी-थोड़ी ठंड लगने लगी है। शाम भी तो जल्दी ही हो जाती है ना। मम्मी तुम्हें जल्दी से घर लौटने को कहती हैं तो तुम कहते हो ‘मां, अंधेरा हो गया है, पर अभी तो 6 ही बजे हैं’। दरअसल, दिन छोटे होने लगे हैं। आगे जब सर्दी का मौसम पूरी तरह शुरू हो जाएगा तो दिन और छोटे हो जाएंगे। तुम्हारी दिनचर्या भी कुछ बदलेगी जरूर। शाम को देर तक खेलने से ठंड लगेगी, इसलिए जल्दी ही सारे दोस्त घर चले जाएंगे। सुबह भी बिस्तर से निकलने का मन नहीं करेगा। तुम्हारी ही तरह प्रकृति में बदलाव का असर जानवरों पर भी होता है। उनकी भी जीवनशैली बदलती है। कुछ जीव तो सर्दियों को झेल ही नहीं पाते, इसलिए इस मौसम में हाइबरनेशन यानी शीत निद्रा में चले जाते हैं। चलो जानते हैं ऐसे ही जीवों के बारे में। एल्पाइन मेरमोट्स
मेरमोट्स पूरे साल में तकरीबन 8 से 9 माह के लिए हाइबरनेशन में चले जाते हैं। शीत निद्रा के दौरान वे हर मिनट में 2 या 3 बार ही सांस लेते हैं। यही नहीं, इनके दिल की धड़कन भी 120 बीट प्रतिमिनट से घट कर 3 या 4 बीट प्रति मिनट ही रह जाती है। ये मुख्य तौर पर मध्य और दक्षिण यूरोप में पाए जाते हैं। भालू
भालू की चार तरह की प्रजातियां सर्दियों का अधिकांश समय जमीन में खोदे गए गड्ढों, मांद, गुफाओं या खोखले पेड़ों में सो कर बिताते हैं। अमेरिकी काले भालू, एशियाई काले भालू, भूरे भालू और ध्रुवीय भालू या पोलर बीयर, ये चार ऐसी प्रजातियां हैं, जो सर्दियों के दिन नींद में बिताना पसंद करते हैं। शीत निद्रा के दौरान काले भालू का दिल प्रति मिनट ड्रॉप 40-50 से गिर कर 8 बार रह जाता है और वह लगभग 100 दिन तक बिना भोजन-पानी के आराम से रह सकता है। चमगादड़
अगर चमगादड़ अकेले हों तो वे सबसे लंबे समय तक शीत निद्रा में रह सकते हैं। जंगली भूरे चमगादड़ 64 से 66 दिनों तक और ज्यादा से ज्यादा 344 दिनों तक नींद की अवस्था में रह सकते हैं। इस दौरान इस छोटे से प्राणी को भोजन की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन अपनी प्यास बुझाने के लिए ये जागते हैं। कॉमन बॉक्स टर्टल
दक्षिणी-उत्तरी अमेरिका और इसके आसपास के इलाकों में ये छिपे हुए पाए जाते हैं। ये 77 से लेकर 154 दिनों के लिए सुप्तावस्था में जाते हैं। इस समय ये सांस लेने के लिए हवा का नहीं, बल्कि अपनी त्वचा का सहारा लेते हैं। इस समय इनके दिल की धड़कन 1 बीट प्रति 5-10 मिनट तक पहुंच जाती है। मधुमक्खी
जब ज्यादा सर्दी होती है और तापमान गिरता है तो काम करने वाली मधुमक्खियां मरती जाती हैं, लेकिन रानी मधुमक्खी खुद को हाइबरनेशन के जरिए बचाए रखती है। इसके लिए वह मिट्टी में छेद करके वहां रहती है या फिर किसी पेड़ में पनाह लेती है। 6 से 8 माह के बाद फिर वह निकलती है और अपनी टीम बनाती है। गार्टर स्नेक
मादा मधुमक्खी से अलग गार्टर स्नेक ग्रुप में शीत निद्रा में जाते हैं। कनाडा में हजारों सांप एक साथ शीत निद्रा में पाए गए हैं। सर्दियां खत्म होने पर ये बाहर आ जाते हैं। हेडगेहॉग
ये सबसे ज्यादा समय तक सोते रहते हैं। इस समय इनके शरीर का तापमान कम होता जाता है और ये धीरे-धीरे सांस लेते हैं। इनके शरीर में खास तरह के सेल्स होते हैं, जो इस समय में शरीर को गर्म बनाए रखते हैं। घोंघा
घोंघा सोने के लिए एक बिस्तर का निर्माण करता है। ये अपने खोल में चला जाता है और त्वचा के छेद को बंद करने के लिए चॉक और कीचड़ तैयार करता है। इस दौरान घोंघे के अंदर नमी बनी रहती है। शीत निद्रा के दौरान घोंघा जरा भी ऊर्जा का उपयोग नहीं करता, इसलिए उसे भोजन की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। कुछ क्षेत्रों में जहां कम बारिश होती है, वहां ये घोंघे साल भर के लिए सोते हैं। कॉमन पुअरविल
क्या तुम कभी सोच भी सकते हो कि कोई चिडियां भी हाइबरनेट करेगी। हां, ऐसी ही एक चिडियां है। यह ठंड के मौसम में पहाड़ों की ओट में जाकर छिप जाती है और वहां से 5 महीनों तक बाहर नहीं निकलती। यह अमेरिका में ज्यादा मिलती है।  ये है मजेदार...
शीत निद्रा में इन प्राणियों की सांस बहुत धीमी गति से चलती है।
इस दौरान ये न तो शिकार करते हैं और न ही खाते-पीते हैं।
इस अवस्था में ये प्राणी कोमा या बेहोशी की स्थिति में रहते हैं।
जीवित रहने के लिए शरीर में जमा चर्बी, वसा और पोषक तत्व मदद करते हैं।
जब मौसम बदलता है तो ये प्राणी अपनी शीत निद्रा से जागते हैं और धीरे-धीरे बाहर आकर सामान्य जीवन में वापस लौट आते हैं। क्या है हाइबरनेशन
हाइबरनेशन यानी शीत निद्रा या सुप्तावस्था। कुछ जानवर, पक्षी और सरीसृप जमीन के नीचे या ऐसी जगह में छिप जाते हैं, जहां उन पर ठंड का असर न हो। वे पूरी सर्दी लगातार सोए रहते हैं। लंबी नींद की इसी अवस्था को हाइबरनेशन या शीत निद्रा कहते हैं।

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