Thursday 7 November 2013

थिसॉरस है बड़े काम की...

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किताबों की दुनिया भी गजब की है। तरह-तरह की किताबें हमारे पास हैं। कुछ किताबें रोज काम आने वाली होती हैं तो कुछ कभी-कभी। थिसॉरस ऐसी ही एक किताब है, जिसका इस्तेमाल करोगे तो तुम्हा री शब्द-संपदा यानी वर्डस पावर और बढ़ेगी। जिस तरह से डिक्शनरी होती है, उसी तरह यह थिसॉरस है। हिन्दी में कहें तो पर्यायवाची शब्दों का भंडार होता है थिसॉरस।
सामान्यत: जब हमें एक ही शब्द के अन्य पर्यायवाची शब्दों की जरूरत पड़ती है, तब हम बगलें झांकने लगते हैं। ऐसी स्थिति से हमें थिसॉरस उबारता है। जैसे चंद्रमा, सूर्य, पृथ्वी, आशा, ईश्वर आदि शब्दों के अन्य पर्यायवाची शब्दों की आवश्यकता पड़ती है तब थिसॉरस हमें इन शब्दों के पर्यायवाची शब्दों से परिचय कराता है। थिसॉरस में न केवल पर्यायवाची शब्द मिलते हैं, बल्कि उनका प्रयोग कैसे किया जाए, इसकी भी जानकारी उदाहरण के साथ दी जाती है। परीक्षा में तुमने देखा होगा कि हिन्दी, अंग्रेजी आदि विषयों में एक शब्द दिया होता है और तुमसे पूछा जाता है कि इसके पर्यायवाची शब्द लिखें और उसका वाक्य में प्रयोग करें। ऐसे में तुम्हें थिसॉरस ही मदद करता है। इस किताब में भी शब्दों का अरेंजमेंट ठीक डिक्शनरी की तरह ही होता है। कुछ थिसॉरस शब्दों को आधार बना कर बनाए जाते हैं। जैसे- आशा, कामना व अन्य शब्द। थिसॉरस तुम्हें इन शब्दों के पर्यायवाची शब्द और उनका वाक्य में प्रयोग करके बताता है। वहीं कुछ थिसॉरस में वर्णो के क्रमानुसार शब्दों की योजना मिलती है। लेकिन जो चीज समान होती है वह है शब्दों के तमाम पर्यायवाची शब्दों, उनके अर्थों को पाठकों को देना। यह किताब तुम्हारे लिए इसलिए भी खास महत्व रखती है, क्योंकि तुम्हें अपने वर्ड पावर यानी शब्द भंडार को बढ़ाना होता है। इसका इस्तेमाल लेख लिखने, अनसीन पैसेज को पढ़कर अपने शब्दों में लिखते वक्त काम आता है।

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