Wednesday, 10 July 2013

आईआईटी में सीटें खाली, पड़ा स्टूडेंट्सं का टोटा

IIT
Indian Institute of Technology
मुंबई। कुछ वर्ष पूर्व तक देश की प्रमुख प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी में एडमिशन पाना किसी सपने के पूरे होने जैसा माना जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। धीरे-धीरे इस संस्थान से छात्रों का मोह भंग होने लगा है। यही वजह है कि इस बार पहले राउंड में एडमिशन के बाद 769 सीटें खाली रह गई। या यूं कहें इतने छात्रों ने आईआईटी में दाखिले से इन्कार कर दिया।
ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि आईआईटी जैसी प्रतिष्ठित संस्थानों में ऐसी स्थिति देखने को मिले। लेकिन इस बार कुछ ऐसा हुआ है जिसे छात्रों की सोच में बदलाव की झलक मिलती है। पहले तो अक्सर आरक्षित कोटे की सीटें खाली रह जाया करती थी, लेकिन इस बार सामान्य वर्ग में भी दर्जनों सीटें खाली हैं जिसके लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा देखी जाती थी।
इन सीटों के खाली रहने की सबसे बड़ी वजह नए आईआईटी कॉलेजों का खुलना माना जा रहा है। यहां लोकप्रिय विषय आवंटित न होने के कारण छात्रों के बीच ये कॉलेज अपना विश्वास नहीं जमा पा रहे हैं।
दूसरे राउंड का एडमिशन बुधवार से शुरू हो रहा है। संयुक्त इजीनियरिंग परीक्षा (एडवांस) के चेयरमैन एचसी गुप्ता ने कहा कि सभी वर्गो में छात्रों के लिए सैकड़ों सीटें उपलब्ध हैं। हम आशा करते हैं कि दूसरे राउंड में सीटें भर जाएंगी।
दूसरे राउंड सीट आवंटन से पहले एडमिशन पाने वाले छात्रों के लिए आंतरिक बेहतरी की पेशकश की गई थी। इसके तहत यदि मान लिया कि 1100 की रैंकिंग वाले छात्र ने एडमिशन नहीं लिया तो उसके बाद के रैंक वाले छात्रों को मौका दिया जाएगा, बशर्ते उन्होंने प्राथमिकता के रूप में उस विषय को चुना हो। हालांकि सभी प्रमुख आईआईटी कॉलेजों में सीटें भर चुकी हैं, लेकिन आईएसएम धनबाद, आईआईटी भुवनेश्वर में काफी संख्या में सीटें खाली हैं।
2009 में पहले राउंड का एडमिशन खत्म होने के बाद 505 सीटें, 2011 में 300 सीटें खाली रह गई थीं। लेकिन कुछ वर्ष पूर्व तक आईआईटी में दूसरे राउंड में एडमिशन नहीं होता था।

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