जापान की सरकार ने अमेरिका में वाशिंगटन से बाल्टिमोर के बीच सबसे तेज चलने
वाली रेलगाड़ी ‘सुपर-मैग्लेव’ चलाने का वादा किया है। यह ट्रेन इन दोनों
शहरों के बीच का सफर मात्र 15 मिनट में पूरा करेगी। फिलहाल इस दूरी को तय
करने में एक घंटा लगता है। इस ट्रेन की गति करीब 500 किलोमीटर प्रति घंटा
है।
जापान की सरकार इस योजना में लगने वाले कुल 8 अरब डॉलर की आधी धनराशि का ऋण देने के लिए भी तैयार है। जापान की केंद्रीय रेलवे कंपनी के महाप्रबंधक मासाहीरो नकायामा ने बताया कि अमेरिका की केंद्रीय सरकार इसके लिए राजी हो गई है। राज्य प्रशासन भी इस योजना को लेकर उत्साहित हैं। वाशिंगटन से बाल्टिमोर की दूरी 60 किलोमीटर है। जापान की केंद्रीय रेलवे कंपनी के मुताबिक पिछले साल फरवरी में जापान के प्रधानमंत्री शिन्जो अबे और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की मुलाकात में इस संबंध में बातचीत हुई थी। दो तरह की होती हैं सुपर मैग्लेव ट्रेन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सस्पेंशन
इस तकनीक में विद्युत तरंगें एक केंद्रीय जनेटर से उत्पन्न होती हैं, जिससे पूरे ट्रैक पर इलेक्ट्रोमैग्नेट्स का संचार होता है। 0.4 से 4 इंच तक ट्रेन ट्रैक से ऊपर चलती है इलेक्ट्रोमैग्नेटिक डायनमिक
विद्युत तरंगों की बजाय सुपर कंडक्टिंग मैग्नेट्स को बहुत कम तापमान पर ठंडा किया जाता है जो ऊर्जा उपलब्ध कराता है। ट्रैक से 4 इंच ऊपर चलती है यह ट्रेन दुनिया की मैग्लेव ट्रेन चीन: चीन ने शंघाई एयरपोर्ट तक बीस मील लंबी लाइन तैयार की ।
जर्मनी: 25 मील लंबी लाइन मुनीच से एयरपोर्ट तक बनाने की योजना।
जापान: 2025 तक टोक्यो-ओसाका तक लाइन बिछाने की योजना है, इसका परीक्षण जारी है। कैसे काम करती है सुपर मैग्लेव
इस ट्रेन में पहिये नहीं होते हैं। यह ट्रैक के इलेक्ट्रोमैगनेटिक प्रभाव से आगे बढ़ती है। ट्रैक और पहिये के बीच कोई घर्षण नहीं होने की वजह से इसी गति इतनी तेज होती है। इस तरह की तकनीक दुनिया भर में छोटी दूरी की ट्रेन चलाई जा रही हैं।
जापान की सरकार इस योजना में लगने वाले कुल 8 अरब डॉलर की आधी धनराशि का ऋण देने के लिए भी तैयार है। जापान की केंद्रीय रेलवे कंपनी के महाप्रबंधक मासाहीरो नकायामा ने बताया कि अमेरिका की केंद्रीय सरकार इसके लिए राजी हो गई है। राज्य प्रशासन भी इस योजना को लेकर उत्साहित हैं। वाशिंगटन से बाल्टिमोर की दूरी 60 किलोमीटर है। जापान की केंद्रीय रेलवे कंपनी के मुताबिक पिछले साल फरवरी में जापान के प्रधानमंत्री शिन्जो अबे और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की मुलाकात में इस संबंध में बातचीत हुई थी। दो तरह की होती हैं सुपर मैग्लेव ट्रेन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सस्पेंशन
इस तकनीक में विद्युत तरंगें एक केंद्रीय जनेटर से उत्पन्न होती हैं, जिससे पूरे ट्रैक पर इलेक्ट्रोमैग्नेट्स का संचार होता है। 0.4 से 4 इंच तक ट्रेन ट्रैक से ऊपर चलती है इलेक्ट्रोमैग्नेटिक डायनमिक
विद्युत तरंगों की बजाय सुपर कंडक्टिंग मैग्नेट्स को बहुत कम तापमान पर ठंडा किया जाता है जो ऊर्जा उपलब्ध कराता है। ट्रैक से 4 इंच ऊपर चलती है यह ट्रेन दुनिया की मैग्लेव ट्रेन चीन: चीन ने शंघाई एयरपोर्ट तक बीस मील लंबी लाइन तैयार की ।
जर्मनी: 25 मील लंबी लाइन मुनीच से एयरपोर्ट तक बनाने की योजना।
जापान: 2025 तक टोक्यो-ओसाका तक लाइन बिछाने की योजना है, इसका परीक्षण जारी है। कैसे काम करती है सुपर मैग्लेव
इस ट्रेन में पहिये नहीं होते हैं। यह ट्रैक के इलेक्ट्रोमैगनेटिक प्रभाव से आगे बढ़ती है। ट्रैक और पहिये के बीच कोई घर्षण नहीं होने की वजह से इसी गति इतनी तेज होती है। इस तरह की तकनीक दुनिया भर में छोटी दूरी की ट्रेन चलाई जा रही हैं।
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