Saturday, 10 December 2011

बादाम के आयुर्वेदिक प्रयोग: सर्दी में इन्हें अपनाकर पाएं तलवार सा तेज दिमाग



उम्र चाहे कोई भी हो भूलने की समस्या आजकल बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सब में देखी जा सकती है। खान-पान मौसम के अनुसार न होने के कारण व अत्याधिक काम के बोझ के कारण याद्दाश्त का कमजोर होना एक आम समस्या बन गई है। हर आदमी अपनी भूलने की आदत से परेशान है लेकिन अब आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि बादाम के ये आयुर्वेदिक प्रयोग अपनाकर आप भी इस बीमारी से मुक्ति पा सकते हैं।

- भीगे हुए बादाम को काली मिर्च के साथ पीस लें या ऐसे ही खूब चबाचबाकर खाएं और ऊपर से गुनगुना दूध पी लें।

- बादाम की छिलका रहित गिरी 100 ग्राम को गाय दूध 200 ग्राम में अच्छी तरह पीस लें। इसमें 400 ग्राम मिश्री मिलाएं और कलईदार या स्टील के पात्र में धीमी आंच पर गाढ़ा होने तक पकाएं। फिर नीचे उतार कर चौड़े मुंह वाले पात्र में भरकर खूब घोंटे। जब ये श्वेत रंग का तैयार खमीरा खूब गाढ़ा हो जाए तब इसमें चांदी के वर्क तथा दस ग्राम छोटी इलायची का महीन चूर्ण मिला दें। ठण्डा होने पर कांच की बरनी में भर दें। इस प्रकार तैयार खमीरा बादाम की 10 से 30 ग्राम तक मात्रा प्रात: सेवन करते रहे दिमागी कमजोरी दूर हो जाती है।

- सात बादाम के रात को भिगोकर सुबह छिलका उतार कर बारीक पीस लें । इस पेस्ट को करीब 250 ग्राम दूध में डालकर तीन बार उबाल लें। इसके बाद इसे नीचे उतार कर एक चम्मच घी और दो चम्मच शक्कर मिलाकर ठंडा कर पीएं। 15 से 20 दिन तक इस विधि को करने से याददाश्त तेज होती है।

- एक चाय का चम्मच शंखपुष्पी का चूर्ण दूध या मिश्री के साथ रोजाना तीन से चार हफ्ते तक लें।

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