प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल कराने वाले गैंग के गुर्गे बड़े ही शातिराना तरीके से अपने काम को अंजाम देते हैं। चीटर गैंग जिस तकनीक का इस्तेमाल कर परीक्षा भवनों में बैठे परीक्षार्थी को सभी प्रश्नों का हल बताता है, उस तकनीक का खुलासा पुलिस की साइबर सैल के एक्सपर्ट ही कर सकते हैं। आरपीएससी भी इस गैंग की करतूत से हैरत में है।
आईटी एक्सपर्ट अरुण सिंह के मुताबिक परीक्षा में जिस ब्लू टूथ के माध्यम से नकल कराई जा रही है, वह दो भागों में विभाजित होता है। हैडफोन और माइक्रोफोन। इसमें दो प्रकार के ब्लू टूथ मोनो एरोल और डबल इयर पीस इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
इनकी फ्रीक्वेन्सी 1 गीगा हट्र्ज (जीएसजेड) से 2.1 गीगा हर्ट्स तक है। जो कि 35 फीट से 100 फीट के दायरे में बातचीत करने में सक्षम है। चीन निर्मित मटर के दाने के बराबर ब्लू टूथ और अमेरिकन तकनीक से बना ईपी ब्लू टूथ चीटर गैंग का मुख्य हथियार है।
ऐसे करते हैं परीक्षा भवन के लिए कारीगरी
परीक्षार्थी को स्पेशल ब्लू टूथ, माचिस या सिगरेट के डिब्बी जैसा मोबाइल फोन दिया जाता है। ब्लू टूथ का हैड फोन कान में ऐसे फिट किया जाता है कि वह दिखता नहीं है। जबकि ब्लू टूथ के माइक्रोफोन को दांतों के पास, पेन, अंगूठी, शर्ट के बटन, कॉलर, लॉकेट, मुंह में तालू पर चिपकी च्यूइंगम, चश्मा या फिर घड़ी में इस तरह से फिट किया जाता है कि कोई देख नहीं सके। मोबाइल फोन जूते के तलवे में छिपाया जा सकता है।
एमएमएस से पहुंचता है पेपर बाहर :
परीक्षा भवन के आसपास 100 फीट के दायरे में चार पहिया वाहन में गैंग के एक्सपर्ट बैठे रहते हैं। परीक्षा शुरू होते ही परीक्षा भवन में सक्रिय गैंग के लोग पेपर की मोबाइल से स्कैनिंग कर एमएमएस के जरिये एक्सपर्ट को भेजते हैं।
वैन में इंटरनेट कार्ड, लैपटॉप, प्रिंटर और अन्य उपयोगी साधन होते हैं। पेपर आते ही लैपटॉप पर सेव कर प्रिंट लिया जाता है। फिर साइट्स और एक्सपर्ट की मदद से हल करवाकर परीक्षार्थी को बताते रहते हैं।
हमारा एक्सपर्ट ‘गूगल देवता’
पेपर का प्रिंट प्राप्त होते के बाद वैन में बैठे एक्सपर्ट गूगल, एन विकीपीडिया सहित अन्य साइट्स के माध्यम से शार्टकट तरीकों से प्रश्नों का हल ढूंढते हैं। इन साइट्स में ज्यादातर में प्रश्न का शुरुआती अंश डालने पर ही उसका उत्तर मिल जाता है। इस प्रक्रिया में महज कुछ सेकंड लगते हैं। इस तरह से सभी प्रश्नों का उत्तर जाना जाता है। कुछ उत्तर एक्सपर्ट स्वयं भी हल करते हैं। इस तरह टीम वर्क कर यह काम किया जाता है।
लो आंसर ‘Ò1a2b3b4c5d1a...’
वैन में बैठे चीटर गैंग के गुर्गे परीक्षा भवन में बैठे परीक्षार्थी को ब्लू टूथ के माध्यम से कोड वर्ड में जल्दी-जल्दी सभी उत्तर ‘1))..’ इस तरह से परीक्षार्थी को बता देते हैं। सामान्यत: ब्लू टूथ का टॉकटाइम 3 से 4 घंटे होता है और परीक्षा का समय 3 घंटे।
ऐसे में ब्लू टूथ की बैटरी वीक होने का खतरा भी नहीं रहता। परीक्षा भवन के आसपास वैन में बैठे चीटर गैंग के शातिर और परीक्षार्थी ब्लू टूथ कनेक्टिविटी के माध्यम से संपर्क बनाए रखते हैं। परीक्षार्थी के कान के पर्दे के पास फिट ब्लू टूथ डिवाइस और जूते के तलवे में रखा मोबाइल फोन आसानी से तलाशी में पकड़ा भी नहीं जाता है।
भास्कर नॉलेज
ऐसे कसेगा शिकंजा..
:परीक्षा केंद्रों पर जैमर लगाया जाए। ताकि किसी भी तरह की रेडियो फ्रीक्वेंसी को बाधित किया जा सके।
:परीक्षा केंद्रों के आसपास के क्षेत्र पर पूरी तरह से निगरानी रखी जाए। खासतौर से वहां खड़े चौपहिया वाहनों की जांच पड़ताल की जाए।
:परीक्षा कंट्रोल रूम से सभी परीक्षा केंद्रों को सीसी टीवी कैमरों के माध्यम से कनेक्ट कर एक्सपर्ट टीम बराबर परीक्षा पर नजर रखे। जहां कोई भी संदिग्ध गतिविधि दिखे तो तुरंत कार्रवाई और संबंधित को सूचना की जाए।
No comments:
Post a Comment