गुड्डे-गुड़ियों से खेलने वाली उम्र में सुषमा वर्मा की हमसाया मोटी-मोटी
किताबें हैं. जिस उम्र में बच्चे सातवीं-आठवीं कक्षा में पढ़ाई कर शिक्षा
की शुरुआती सीढिय़ां चढ़ रहे होते हैं उस उम्र में सुषमा शैक्षिक सोपान के
अंतिम छोर की तरफ बढ़ रही है. 30 अगस्त को लखनऊ यूनिवर्सिर्टी में
माइक्रोबायलॉजी विभाग के मास्टर ऑफ साइंस (एमएससी) कोर्स में प्रवेश लेने
वालों की दूसरी सूची में नाम होने के साथ ही महज 13 वर्षीय सुषमा
यूनिर्वसिटी के इतिहास में सबसे कम उम्र की एमएससी स्टूडेंट बन गई.
इसी वर्ष जून की छह तारीख को आए नतीजे में सुषमा वर्मा ने जूलॉजी और
बायलॉजी विषयों के साथ ' बैचलर ऑफ साइंस (बीएससी) परीक्षा में 66 प्रतिशत
नंबरों के साथ पास किया था.
लखनऊ के दक्षिण में कानपुर रोड पर कृष्णा नगर थाने के तहत आने वाले मोहल्ले बरिगवां में रहने वाली सुषमा के पिता तेज बहादुर वर्मा दिहाड़ी मजदूर हैं. वर्मा के तीन बेटे-बेटियों में दूसरे नंबर की सुषमा की मेधा बचपन से ही सामने आने लगी थी जब महज 20 नवंबर 2002 को दो वर्ष, नौ महीने की उम्र में उसने लखनऊ के राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यक्रम 'जागृति में श्रीरामचरितमानस का पाठ करके सबको चौंका दिया था.
सुषमा का बड़ा भाई शैलेंद्र वर्मा ने भी महज साढ़े नौ वर्ष की उम्र में 2005 में हाइस्कूल की परीक्षा पास कर ली थी. भाई के नक्शे कदम पर चलते हुए सुषमा ने पांच साल की उम्र तक आते-आते हाईस्कूल की किताबें पढक़र उसे समझने लगी थीं. तेज बहादुर बताते हैं ' सुषमा कभी स्कूल नहीं गई और पांच साल की उम्र में उसकी कक्षा नौ के पाठ्यक्रम पर अच्छी पकड़ हो गई थी. इसीलिए 2005 में उसका दाखिला सीधे कक्षा नौ में कराया गया. पांच साल में सीधे कक्षा नौ में दाखिला कराना आसान नहीं था.
इसके लिए तेज प्रकाश को माध्यमिक शिक्षा परिषद से अनुमति लेनी पड़ी. जुलाई, 2005 में लखनऊ के सेंट मीराज इंटर कॉलेज में सीधे नवीं कक्षा में प्रवेश लेने के बाद सुषमा ने यहां से 2007 में सात साल की उम्र में यूपी बोर्ड की हाई स्कूल परीक्षा 59.6 फीसदी नंबरों के साथ पास की और इसके दो साल बाद 2010 में इंटरमीडियट परीक्षा में 63 फीसदी नंबर लाए. सेंट मीराज इंटर कॉलेज, हिंदनगर के प्रिसिंपल विनोद रात्रा बताते हैं ' 2005 में जब सुषमा मेरे कॉलेज में अपने पिता के साथ हाईस्कूल में एडमिशन लेने आई तो मैं हैरत में पड़ गया क्योंकि अमूमन इस उम्र में बच्चे नर्सरी में एडमिशन लेते हैं. हालांकि जब मैंने खुद सुषमा से बात की तो और अचंभा हुआ क्योंकि पांच वर्ष में कैसे एक बच्चा कक्षा आठ तक का पूरा कोर्स तैयार कर सकता है. यह एक असाधारण प्रतिभा है. 2007 में सुषमा देश में सबसे कम उम्र में हाई स्कूल पास करने वाली छात्रा बनीं और इसका नाम ' लिम्का बुक्स ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज हुआ.
2010 में इंटर करने के बाद 'कम्बाइंड प्री मेडिकल टेस्ट' (सीपीएमटी) में भी बैठी लेकिन इसमें उसकी कम उम्र आड़े आ गई. सीपीएमटी देने की न्यूनतम उम्र 17 वर्ष है. इसके बाद सुषमा ने लखनऊ विश्वविद्यालय अनुमति लेकर 10 वर्ष की उम्र में बीएससी में दाखिला लिया और अब माइक्रोबायलॉजी में मास्टर ऑफ साइंस(एमएससी) करने की तैयारी में जुट चुकी हैं. लेकिन गरीब पिता सुषमा की पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ हैं.
सुषमा की अनोखी प्रतिभा को देखते हुए कई लोग उसकी आर्थिक मदद करने को सामने आए हैं. इनमें प्रसिद्घ गीतकार जावेद अख्तर भी हैं. अख्तर ने लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन से सुषमा के बारे में जानकारी मांगी है. यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर मनोज दीक्षित बताते हैं कि सुषमा की पढ़ाई में किसी प्रकार का आर्थिक अवरोध नहीं आने दिया जाएगा.
लखनऊ के दक्षिण में कानपुर रोड पर कृष्णा नगर थाने के तहत आने वाले मोहल्ले बरिगवां में रहने वाली सुषमा के पिता तेज बहादुर वर्मा दिहाड़ी मजदूर हैं. वर्मा के तीन बेटे-बेटियों में दूसरे नंबर की सुषमा की मेधा बचपन से ही सामने आने लगी थी जब महज 20 नवंबर 2002 को दो वर्ष, नौ महीने की उम्र में उसने लखनऊ के राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यक्रम 'जागृति में श्रीरामचरितमानस का पाठ करके सबको चौंका दिया था.
सुषमा का बड़ा भाई शैलेंद्र वर्मा ने भी महज साढ़े नौ वर्ष की उम्र में 2005 में हाइस्कूल की परीक्षा पास कर ली थी. भाई के नक्शे कदम पर चलते हुए सुषमा ने पांच साल की उम्र तक आते-आते हाईस्कूल की किताबें पढक़र उसे समझने लगी थीं. तेज बहादुर बताते हैं ' सुषमा कभी स्कूल नहीं गई और पांच साल की उम्र में उसकी कक्षा नौ के पाठ्यक्रम पर अच्छी पकड़ हो गई थी. इसीलिए 2005 में उसका दाखिला सीधे कक्षा नौ में कराया गया. पांच साल में सीधे कक्षा नौ में दाखिला कराना आसान नहीं था.
इसके लिए तेज प्रकाश को माध्यमिक शिक्षा परिषद से अनुमति लेनी पड़ी. जुलाई, 2005 में लखनऊ के सेंट मीराज इंटर कॉलेज में सीधे नवीं कक्षा में प्रवेश लेने के बाद सुषमा ने यहां से 2007 में सात साल की उम्र में यूपी बोर्ड की हाई स्कूल परीक्षा 59.6 फीसदी नंबरों के साथ पास की और इसके दो साल बाद 2010 में इंटरमीडियट परीक्षा में 63 फीसदी नंबर लाए. सेंट मीराज इंटर कॉलेज, हिंदनगर के प्रिसिंपल विनोद रात्रा बताते हैं ' 2005 में जब सुषमा मेरे कॉलेज में अपने पिता के साथ हाईस्कूल में एडमिशन लेने आई तो मैं हैरत में पड़ गया क्योंकि अमूमन इस उम्र में बच्चे नर्सरी में एडमिशन लेते हैं. हालांकि जब मैंने खुद सुषमा से बात की तो और अचंभा हुआ क्योंकि पांच वर्ष में कैसे एक बच्चा कक्षा आठ तक का पूरा कोर्स तैयार कर सकता है. यह एक असाधारण प्रतिभा है. 2007 में सुषमा देश में सबसे कम उम्र में हाई स्कूल पास करने वाली छात्रा बनीं और इसका नाम ' लिम्का बुक्स ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज हुआ.
2010 में इंटर करने के बाद 'कम्बाइंड प्री मेडिकल टेस्ट' (सीपीएमटी) में भी बैठी लेकिन इसमें उसकी कम उम्र आड़े आ गई. सीपीएमटी देने की न्यूनतम उम्र 17 वर्ष है. इसके बाद सुषमा ने लखनऊ विश्वविद्यालय अनुमति लेकर 10 वर्ष की उम्र में बीएससी में दाखिला लिया और अब माइक्रोबायलॉजी में मास्टर ऑफ साइंस(एमएससी) करने की तैयारी में जुट चुकी हैं. लेकिन गरीब पिता सुषमा की पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ हैं.
सुषमा की अनोखी प्रतिभा को देखते हुए कई लोग उसकी आर्थिक मदद करने को सामने आए हैं. इनमें प्रसिद्घ गीतकार जावेद अख्तर भी हैं. अख्तर ने लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन से सुषमा के बारे में जानकारी मांगी है. यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर मनोज दीक्षित बताते हैं कि सुषमा की पढ़ाई में किसी प्रकार का आर्थिक अवरोध नहीं आने दिया जाएगा.
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