Friday, 3 January 2014

यह थी देश की पहली महिला टीचर, लड़कियों को पढ़ाने पर खाने पड़े पत्थर

यह थी देश की पहली महिला टीचर, लड़कियों को पढ़ाने पर खाने पड़े पत्थरपुणे। देश की पहली महिला अध्यापिका व नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता। जिन्होंने उन्नीसवीं सदी में छुआ-छूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह, तथा विधवा-विवाह निषेध जैसी कुरीतियां के विरूद्ध अपने पति के साथ मिलकर काम किया। ऐसी समाज सुधारिका एवं मराठी कवयित्री सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में नायगांव नामक छोटे से गॉव में हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था।
 
उन्होंने अपने पति महात्मा ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर स्त्रियों के अधिकारों एवं शिक्षा के लिए बहुत से कार्य किए। सावित्रीबाई भारत के प्रथम कन्या विद्यालय में प्रथम महिला शिक्षिका थीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य की अग्रदूत माना जाता है। 1852 में उन्होने दलित बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की थी।

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