Thursday 15 December 2011

भूख नहीं लगती या जी मचलाता है तो अपनाएं धनिये की पत्ती के आयुर्वेदिक प्रयोग



धनिये की हरी-हरी पत्तियों की सुगंध किसी भी व्यंजन की सुंगध और उसके स्वाद को कई गुना बढ़ा देती है। सब्जियों में हरे धनिये के साथ ही सुखे धनिये का उपयोग भी भारतीय भोजन में बहुत अधिक मात्रा में किया जाता है। 

लेकिन हरे धनिए की कोमल पत्तियां सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए ही नहीं डाली जाती बल्कि इनका औषधीय महत्व भी है। इसका सेवन जाने-अनजाने ही आपको कई बीमारियों से निजात भी दिलाता है। आइये जानें कि धनिया किन-किन बीमारियों या परेशानियों में मददगार हो सकता है... 

- आंखों के लिए धनिया बड़ा गुणकारी होता है। थोड़ा सा धनिया कूट कर पानी में उबाल कर ठंडा कर के, मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर लें। इसकी दो बूंद आंखों में टपकाने से आंखों में जलन, दर्द तथा पानी गिरना जैसी समस्याएं दूर होती हैं। 

- हरा धनिया 20 ग्राम व चुटकी भर कपूर मिला कर पीस लें। सारा रस निचोड़ लें। इस रस की दो बूंद नाक में दोनों तरफ टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर मलने से खून तुरंत बंद हो जाता है। 

- गर्भ धारण करने के दो-तीन महीने तक गर्भवती महिला को उल्टियां आती है। ऐसे में धनिया का काढ़ा बना कर एक कप काढ़े में एक चम्मच पिसी मिश्री मिला कर पीने से जी घबराना बंद होता है।

- पित्त बढ़ जाने से जी मिचलाना रहता हो तो हरा धनिया पीसकर उसका ताजा रस दो चम्मच की मात्रा में पिलाने से लाभ होता है। भोजन में हरे धनिये की ताजी पिसी चटनी का प्रयोग करते रहने से भी जी मिचलाना कम होता है। 

- धनिये की हरी पत्तियों को लहसुन, प्याज, गुड़, इमली, अमचूर, आंवला, नींबू, पुदीना आदि के साथ बारीक पीसकर चटनी के रूप में खाते रहने से पाचन क्रिया दुरुस्त बनी रहती है तथा भूख खूब लगती है। 

- सामान्य त्वचा रोगों तथा मौसम के बदलाव पर यदि खुजली होती हो तो उस स्थान पर हरे धनिया को पीसकर लगाने से खुजली दूर हो जाती है। 

- पित्त बढ़ जाने पर हरी-पीली उल्टियां आनी शुरू हो जाती हैं। इस अवस्था में हरे धनिया का रस निकालकर उसमें गुलाब जल मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।

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