Monday 12 December 2011

केजरीवाल को फटकार, झुक सकती है सरकार


नई दिल्ली.मजबूत लोकपाल की मांग पर अड़े अन्ना हजारे का एक दिन का सांकेतिक अनशन शुरू हो गया है। जंतर-मंतर स्थित मंच पर पहुंचने के बाद उन्‍होंने सबसे पहले हाथ हिलाकर अपने समर्थकों का अभिवादन किया और 'भारत माता की जय' के नारे लगाए। 
 
 
 
 
 
 


 मजबूत लोकपाल के लिए लड़ाई लड़ रहे टीम अन्‍ना की कई मांगों पर विपक्षी दलों की सहमति के बावजूद उनकी मर्जी का लोकपाल बन पाएगा, यह अभी निश्चित नहीं हैं।


रविवार को अरविंद केजरीवाल ने जब राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से लोकपाल के प्रमुख मुद्दों पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा तो उन्हें जन प्रतिनिधियों ने जोरदार फटकार लगाई। कांग्रेस ने भी अन्‍ना पर राजनीति करने की मंशा रखने का आरोप लगाते हुए निशाना साधा। हालांकि संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने यह कह कर कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री कार्यालय को लोकपाल के दायरे में रखना चाहते हैं, टीम अन्‍ना के लिए एक सकारात्‍मक संकेत भर दिया।

वैसे, माना जा रहा है कि मंगलवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में सरकार ग्रुप सी के कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाने पर राजी हो सकती है।
 
रुख पूछने पर विपक्षी नेताओं ने फटकारा  
केजरीवाल को रविवार को अरविंद केजरीवाल ने जब राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से लोकपाल के प्रमुख मुद्दों पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा तो उन्हें जन प्रतिनिधियों ने जोरदार फटकार लगाई। जंतर मंतर पर जैसे ही नेताओं के भाषण खत्म हुए केजरीवाल ने उनसे लोकपाल के गठन, सीबीआई निदेशक की नियुक्ति, शिकायत निवारण तंत्र पर अपनी राय व्यक्त करने का अनुरोध किया। केजरीवाल बोल रहे थे, जिनसे भाकपा नेता डी. राजा ने माइक छीन लिया। उन्होंने कहा कि लोकपाल बिल पर विस्तृत बहस संसद में होगी।

 नाराज नजर आ रहे भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा कि सभी दलों ने बुनियादी मुद्दों पर अपनी राय जाहिर कर दी है। टीम अन्ना की प्रमुख मांगों पर सहमति भी जता दी है। लेकिन विशिष्ट मुद्दों पर बहस का जिम्मा संसद पर ही छोड़ देना चाहिए। बीजद नेता पिनाकी मिश्रा ने कहा कि बिल के ड्राफ्ट पर संसदीय समिति की रिपोर्ट पत्थर की लकीर नहीं है। संसद में बहस के दौरान उसमें बदलाव संभव है। माकपा नेता वृंदा करात ने कहा कि मजबूत लोकपाल के लिए जो भी जरूरी होगा, वह करेंगे। केजरीवाल के उठाए मुद्दों पर संसद में ही बहस की जा सकती है।
 
किसने क्‍या कहा: 
॥लोकपाल पर स्थाई समिति ने लोकपाल को संवैधानिक दर्जा देने की सिफारिश राहुल गांधी की इच्छा के कारण की जबकि पीएम और सांसदों पर कोई निर्णय नहीं लिया। कई राजनीतिक दलों के सांसद निजी तौर पर हमारी मांगों से सहमत हैं लेकिन पार्टी हाईकमान उन्हें समर्थन के लिए मंजूरी नहीं दे रही है। हाईकमान कल्चर देश के लिए खतरनाक हो गया है। ममता बनर्जी एफडीआई मुद्दे की तरह इस मुद्दे पर भी सरकार पर दबाव बनाए। - अरविंद केजरीवाल  

॥सारा संसार इस आंदोलन को देखकर आश्चर्यचकित है। अन्ना को देखकर गांधी जी जरूर खुश होंगे। गांधी जी की दी हुई सीख को अन्ना ने देशभर के युवाओं में फैला दिया है। भ्रष्टाचार को मिटाने का अन्ना ने जो बीड़ा उठाया है वह देश के लोकतंत्र को और परिपक्व कर रहा है। लोकपाल से भ्रष्टाचार कम होगा। जैसे ही लोकपाल निष्पक्ष जांच शुरू करेगा और कुछ लोग जेल जाएंगे वैसे ही डर से भ्रष्टाचार कम होना शुरू हो जाएगा। - शांति भूषण  

॥अहिंसा और संवैधानिक दायरे में रहकर आंदोलन करने के बावजूद सरकार जनता की मांगे मानने से इंकार कर रही है। स्थाई समिति में एक राय नहीं है इसलिए रिपोर्ट को नहीं माना जा सकता। सरकार इस आशंका को पुख्ता कर रही है कि अगले आम चुनाव में जनता उसके विरोध में वोट देगी। हालांकि कारपोरेट कंपनी और मीडिया को लोकपाल के दायरे में लाना अच्छा कदम है। - मेधा पाटकर  

॥प्रधानमंत्री को दो बातों का भारी घमंड है कि उन्होंने देश की राष्ट्रीय आय की दर और विदेशी निवेश हिंदुस्तान में बढा दिया है। लेकिन आम आदमी की स्थिति से उनका कोई सरोकार नहीं है। सरकारी नीतियां आम आदमी के लिए नहीं बल्कि निजी कंपनियों के मुनाफे के लिए बना रही है। सेज इसका उदाहरण है। हमने जहां से लड़ाई शुरू की थी वापस वहीं पहुंच गए हैं। - प्रशांत भूषण 

पीएमओ को लोकपाल के दायरे में लाना चाहते हैं पीएम : बंसल 
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने रविवार को चंडीगढ़ में कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री कार्यालय को लोकपाल के दायरे में रखना चाहते हैं। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक जीवन में निष्ठा और ईमानदारी के सिद्धांतों को कायम रखा है। लोकपाल पर संसदीय समिति के उठाई गई सभी चिंताओं पर गौर किया जाएगा। सामंजस्यपूर्ण माहौल में विधेयक में बदलाव लाया जाएगा।’
बंसल ने कहा, ‘मुझे दुख है कि अन्ना हजारे लोकपाल विधेयक के मौजूदा स्वरूप का विरोध कर रहे हैं... अन्ना को अपने सुझावों के साथ आगे आना चाहिए। संसद अप्रासंगिक नहीं है। तीन-चार दिन उन्हें इंतजार करना चाहिए। लोकपाल बिल पर सर्वसम्मति के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। सभी राजनीतिक दल भ्रष्टाचार से लडऩे के लिए प्रतिबद्ध है।’ उन्होंने कहा, डी श्रेणी में 30 लाख सरकारी कर्मचारी हैं। यदि उन्हें लोकपाल के दायरे में लाया गया तो फैसला सुनाना मुश्किल हो जाएगा।
 
संसद का अपमान कर रहे हैं अन्ना : कांग्रेस 
उधर, कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि अन्नाजी के पास विरोध में धरने पर बैठने का संवैधानिक अधिकार है। लेकिन जिस तरीके से वे राहुलजी और सोनियाजी पर निशाना साध रहे हैं, इससे साफ लगता है कि वे राजनीति करना चाहते हैं। कानून जंतर मंतर पर नहीं बनाया जाता। मुझे यह कहने में जरा भी हिचक नहीं है कि अन्नाजी संसद का अपमान कर रहे हैं।
आपकी राय
रविवार के एक दिन के सांकेतिक अनशन से टीम अन्ना और लोकपाल आंदोलन को क्या हासिल हुआ? क्या टीम अन्ना सरकार पर दबाव बनाने में कामयाब रही? क्या मजबूत लोकपाल का सपना जल्द सच होगा? इन मुद्दों पर अपनी संतुलित राय जाहिर कीजिए।

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