Thursday 24 October 2013

हंसते-खेलते ले आओ हरियाली

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‘ग्रीन सिटी, क्लीन सिटी’ या ‘गो ग्रीन’ के होर्डिग्स तुमने देखे ही होंगे। इनका मकसद यही है कि लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हो सकें। दरअसल, पर्यावरण को हरा-भरा रखने की जिम्मेदारी सिर्फ बड़ों की ही नहीं, बल्कि तुम लोगों की भी है। आज अनम खान तुम्हें बता रही हैं कि किस तरह तुम घर और स्कूल के पर्यावरण को हरा-भरा कर सकते हो
जिस घर के आसपास हरियाली या फिर बगीचा होता है, वो तुम्हें ज्यादा पसंद आता होगा। इसी तरह स्कूल में भी पार्क अगर बड़ा हो और हरा-भरा हो तो वहां खेलने का मजा ही बढ़ जाता है। हरियाली लाना कोई कठिन बात नहीं है। तुम भी अपने घर में या स्कूल में इस काम में मदद कर सकते हो। पेड़ हमें कितना कुछ देते हैं. फल, फूल, ऑक्सीजन, छाया और खूबसूरती। लेकिन हम पेड़ों को इसके बदले में क्या देते हैं, कभी सोचा है तुमने। उल्टा हम उन्हें अपने स्वार्थ के लिए काट देते हैं, उनके फूल तोड़ लेते हैं, पत्तों को खींचते हैं, उनसे लटकते हैं। ऐसा करने से उनको दर्द होता है, क्योंकि पेड़ों में भी जान होती है। तुम्हारी ही तरह वो भी दिन में जगते हैं और रात में सो जाते हैं। लेकिन कभी तुमने सोचा है कि आखिर पेड़ों की हमारे जीवन में क्या उपयोगिता होती है और कैसे हम इन्हें लगाकर हरियाली ला सकते हैं? नहीं सोचा, कोई बात नहीं। आज हम तुम्हें बताते हैं। सबसे पहले बात करते हैं इनके फायदों की- हवा से प्रदूषण को फिल्टर करते हैं।
कार्बनडाईऑक्साइड लेते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं।
पानी को स्वच्छ करते हैं, छाया देते हैं।
जानवरों के लिए घर बन जाते हैं।
खूबसूरत और शांत वातावरण का निर्माण करते हैं।
कई पेड़ों की पत्तियों का प्रयोग आयुर्वेद की दवाओं में होता है।
इनके तनों और लकडियों का फर्नीचर आदि में प्रयोग होता है।
इनके फल और फूलों का हम प्रयोग करते हैं।
इनके कारण ही वन्यजीवन सुरक्षित है।
स्वच्छ हवा मिलती है।
बारिश होने के स्रेत हैं।
हवा की दशा और दिशा कंट्रोल करते हैं।
हवा के प्रदूषण, जैसे ओजोन, सल्फर डाईआक्साइड को भी सोखते हैं। ऐसे ला सकते हो हरियाली
लगाओ पौधे

तुम अगर हरियाली को बढ़ावा देना चाहते हो तो इसकी शुरुआत अपने स्कूल में या घर के आसपास पौधे लगाकर कर सकते हो। ऐसा करने से तुम्हारे दोस्त तुम्हें देखेंगे और वो भी इसे अपने घर और कॉलोनी में बढ़ावा देंगे। अलग रखो सूखा-गीला कूड़ा
तुम्हारे पास चॉकलेट, पेंसिल, कागज और पेस्ट्री की पैकिंग का कूड़ा बहुत होता है ना। अरे तो तुम्हें कुछ नहीं करना है, सिर्फ सूखे और गीले कूड़े को अलग-अलग रखना है। जैसे तुम पेंसिल और कागज के कूड़े को एक साथ रख सकते हो और चॉकलेट व पेस्ट्री रैपर्स को एक साथ रख सकते हो। फिर सूखे कूड़े को रीसाइकिल यूनिट में दो। बचाओ पानी की हर बूंद
प्रकृति और पानी इन दोनों का भी एक अटूट रिश्ता है। जब पर्यावरण में पानी ही नहीं होगा तो पेड़-पौधे हरे होने से पहले ही मुरझा जाएंगे, इसलिए पानी बचाओ। शॉवर की जगह बाल्टी से नहाओ। सुबह ब्रश करते हुए नल खुला मत छोड़ों। नो टू प्लास्टिक
तुम अगर प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हो तो उसे बंद कर दो। टिफिन, पेसिंल बॉक्स, खिलौने और पॉलिथीन के लिए मना करो और इनकी जगह तुम स्टील और आइरन का इस्तेमाल कर सकते हो। पॉलिथीन सबसे ज्यादा हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। पटाखे हैं बेकार
दिवाली बेहद करीब है और तुमने ढेर सारे पटाखे खरीदने का मन बना ही लिया होगा, लेकिन तुम्हें पता है कि ये पटाखे प्रकृति में प्रदूषण के स्तर को कई गुना ज्यादा बढम देते हैं, जिससे तुम्हारे साथ-साथ पौधों का भी दम घुटता है। किताबें लो उधार
इस उधार का मतलब पैसे उधार लेना नहीं, बल्कि किताबें उधार लेना है। तुम्हें पता है एक किताब या कॉपी बनाने के लिए एक पेड़ काटा जाता है। ऐसे में अगर तुम एक-दूसरे से किताबें शेयर करके पढ़ोगे तो कितने पेड़ कटने से बच जाएंगे।  इलेक्ट्रॉनिक चीजें हों रीसाइकिल
घर में खराब हो जाने वाले कैलकुलेटर, घड़ी, बैटरी आदि चीजों को अगर तुम कूड़े में फेंकते हो, तो अब इस आदत को तुरंत बदल दो। ये ऐसी चीजें होती हैं, जो सीधे कूड़ेदान में जाती हैं और जमीन को गहरा नुकसान पहुंचाती हैं। अगर मम्मी भी ऐसा कुछ करें तो उन्हें तुरंत रोको।  बचाओ ऊर्जा को
तुम्हें ये तो पता ही होगा कि बिजली पानी से बनती है और अब तो कहीं-कहीं इसको बनाने के लिए वेस्ट प्रोडक्ट का भी इस्तेमाल होने की बात सुनने को मिल रही है। जब पानी से ऊर्जा का निर्माण किया जाता है तब बांध से पानी को रोका जाता है। ऐसे में पानी को नुकसान भी पहुंचता है, क्योंकि आगे की नदियां सूखने लगती हैं, इसलिए बिजली का प्रयोग तब ही करो जब उसकी जरूरत हो। आज ही मम्मी-पापा को बोल दो कि वे घर पर केवल सीएफएल का ही प्रयोग करें। तुम्हें पता होना चाहिए कि आम बल्ब और ट्यूब जब खराब हो जाने के बाद कूड़े में फेंके जाते हैं, तब वे जमीन को कितना अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। वहीं सीएफएल से ऊर्जा तो बचती ही है, साथ ही प्रकृति को होने वाला बड़ा नुकसान भी नहीं होता है। इसलिए इनका प्रयोग करें। गो ग्रीन पहल की शुरुआत
इस पहल की शुरुआत 2002 में कैलिफोर्निया में हुई थी और इसको शुरू करने वाले शख्स का नाम जिल बक है। आज यह प्रयास यूएस के 50 राज्यों और 13 देशों में किया जा रहा है ताकि प्रकृति के विनाश को रोका जा सके और इसे अधिक से अधिक हरा-भरा बनाया जा सके। ऐसे लगाओ पौधे
एक गड्ढा करो और पौधे को लगाओ। जो पौधा तुम खरीदकर लाए हो, अगर वह गमले में है तो उसे आराम से गमले से निकालो। ध्यान रखो कि उसकी जड़ को कोई नुकसान न हो। पौधे को जड़ सहित गड्ढे में डालो और मिट्टी से उसे बंद कर दो। इस बात का ध्यान रखना कि गड्ढा पूरी तरह से बंद हो और उसमें हवा जाने का स्पेस न बचे। मिट्टी को समतल कर दो। अब उसे अच्छी तरह से पानी दो। उसके आसपास मिट्टी या पत्तियों से कुछ साइड बना दो, जिससे पौधे पर पानी टिका रहे। अब हर रोज पौधे को देखो। वह सूखने न पाए, इसलिए उसे नियमित तौर पर पानी देते रहना। रीसाइकलिंग का कमाल
तुम अपने घर में पड़े कंटेनर और कैन को रीसाइकलिंग सेंटर में जाकर दे सकते हो। इससे तुम कई सुंदर चीजें वहां से ले सकते हो, जो इसी तरह के वेस्ट मैटीरियल से बनाई जाती हैं। पेंसिल के छिल्कों से सुंदर आर्ट बना सकते हो, जिससे इस वेस्ट मैटीरियल का सुंदर उपयोग हो सकता है। कागज को हमेशा दोनों तरफ से इस्तेमाल करो। खाली पड़े पेपर से रफ नोटबुक भी बना सकते हो।

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