Monday 14 October 2013

हादसे के बाद भी मंदिर में उमड़े श्रद्धालु, अधिकारी निलंबित

Image Loadingमध्यप्रदेश के दतिया जिले में रतनगढ़ स्थित देवी मंदिर में हादसे के दूसरे दिन सोमवार को हजारों की संख्या में श्रद्घालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। यहां हादसे पर आस्था भारी पड़ती दिख रही है। रविवार की तुलना में सोमवार को सुरक्षा के इंतजाम कहीं बेहतर हैं। इस बीच राज्य सरकार ने निर्वाचन आयोग की अनुमति मिलने के बाद दतिया के कलेक्टर, एसपी सहित चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया।
सरकार ने 115 लोगों की मौत के मामले में प्रथमदृष्टया जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व (एसडीएम), अनुविभागीय अधिकारी पुलिस (एसडीओपी) को जिम्मेदार मानते हुए निलंबित कर दिया। राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से निर्वाचन आयोग से अनुमति मिलने के बाद यह कार्रवाई की गई।
सोमवार सुबह से ही मंदिर में हजारों लोगों के पहुंचने का क्रम बना हुआ है। नाचते-गाते लोग टोलियों में मंदिर पहुंच रहे हैं और पूजा-अर्चना का दौर जारी है। वहीं बड़ी संख्या में लोग सिंध नदी में स्नान कर रहे हैं।
रविवार को मची भगदड़ से सीख लेते हुए प्रशासन ने बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की है। पुल से वाहनों को गुजरने नहीं दिया जा रहा है। इससे श्रद्घालुओं को कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है।
मध्य प्रदेश के दतिया से लगभग 60 किलोमीटर दूर रतनगढ़ स्थित देवी मंदिर में नवरात्रि पर्व के कल अंतिम दिन देवी दर्शन के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं में भगदड़ मचने से मरने वालों की संख्या आज 115 तक पहुंच गई है, वहीं 100 से अधिक श्रद्धालु घायल हैं।
     
पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) डी के आर्य ने रतनगढ़ से बताया कि अब तक प्राप्त सूचना के अनुसार हादसे में मरने वालों की संख्या 115 हो गई है और घायलों की संख्या 100 से अधिक है। उन्होंने कहा कि मरने वाले 115 लोगों में कितने पुरूष, महिलाएं एवं बच्चे हैं, यह बताना इस समय संभव नहीं है। कई लोग अपने प्रियजनों के शव लेकर चले गए थे, लेकिन अब पोस्टमॉर्टम कराने के लिए आ रहे हैं, जो मुआवजा लेने के लिए आवश्यक है।
     
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घटना की कल न्यायिक जांच की घोषणा की, जो वर्ष 2006 में हुए ऐसे ही एक हादसे की पुनरावृत्ति है, जिसमें 57 लोग मारे गए थे। तब सिंध नदी में अचानक बांध से छोड़े गए अतिरिक्त पानी की वजह से इस तरह की घटना हुई थी। इसकी न्यायिक जांच रिपोर्ट भी अब तक सामने नहीं आई है। यह जांच वर्ष 2007 में न्यायमूर्ति एस के पाण्डेय ने की थी।
      
वर्ष 2006 से अब तक रतनगढ़ में केवल यह बदला है कि राज्य शासन ने सिंध नदी पर वहां एक पुल का निर्माण करा दिया है। भगदड़ का कथित कारण इसी पुल के टूटने की अफवाह को बताया जा रहा है।
     
दतिया जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉक्टर आर एस गुप्ता ने कहा कि आज सुबह तक 111 शवों का पोस्टमॉर्टम किया जा चुका है, जबकि इससे पहले पुलिस ने कहा था कि हादसे में 89 लोगों की मृत्यु हुई है, जिनमें 41 पुरूष, 31 महिलाएं एवं 17 बच्चे शामिल हैं।
     
रतनगढ़ मंदिर में कल नवरात्र के अंतिम दिन देवी दर्शन के लिए दतिया जिले एवं पड़ोसी उत्तर प्रदेश से भारी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं में उस समय भगदड़ मच गई थी, जब कथित रूप से सिंध नदी का पुल टूटने की अफवाह फैली थी। लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे और कई श्रद्धालु पुल से नदी में कूद गए। 
    
इससे पहले प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया था कि कुछ श्रद्धालुओं ने मंदिर में दर्शन की लाइन तोड़कर आगे जाने का प्रयास किया, जिससे उन पर काबू पाने के लिए पुलिस द्वारा हल्का बल प्रयोग किए जाने से यह भगदड़ मची। यह स्थान प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 320 किलोमीटर दूर है।
     
राज्य शासन ने निर्वाचन आयोग से मंजूरी मिलने के बाद हादसे की न्यायिक जांच कराने तथा मारे गए लोगों के परिवारों को डेढ़-डेढ़ लाख और गंभीर रूप से घायल लोगों को 50-50 हजार एवं अन्य घायलों को 25-25 हजार रूपये की तात्कालिक मदद देने की घोषणा की है।
     
इस बीच भाजपा उपाध्यक्ष एवं प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती तथा केन्द्रीय उर्जा राज्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार अभियान समिति अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया आज ग्वालियर होते हुए रतनगढ़ पहुंच रहे हैं। वे वहां हादसे की जानकारी लेने के साथ ही मृतकों के परिवारों एवं घायलों से मुलाकात कर संवेदना प्रकट करेंगे।

No comments:

Post a Comment