Sunday 27 November 2011

जयपुर के टैलेंट को बॉलीवुड का सलाम!

मिल जाए बॉलीवुड का टिकट। इस ख्वाब को संजोए हजारों की संख्या में जयपुराइट्स शनिवार को सेंट विल्फ्रेड स्कूल में दैनिक भास्कर और आर्क एंजल के टैलेंट हंट में उमड़े। 

इस मौके पर एक्ट्रेस उदिता गोस्वामी और फिल्म निर्माता सरोश खान ने जयपुराइट्स के एक्टिंग टैलेंट को परखा। शहर के उभरते सितारों ने जजेज को एक्टिंग के अलग-अलग एक्सप्रेशन दिखाकर कभी हंसाया, कभी रुलाया, तो कभी चौंका दिया।



















सिल्वर स्क्रीन, गोल्डन चांस

बस एक बार चांस मिल जाए, तो दुनिया को भी पता चल जाएगा कि हम भी क्या चीज हैं? वैसे अगर सलेक्ट न भी हो पाए, तो भी कोई गम नहीं हम तो एक्ट्रेस उदिता गोस्वामी से मिलने आए हैं। शनिवार को सेंट विल्फ्रेड स्कूल में हुए ऑडिशन के लिए जयपुराइट्स में इतना उत्साह था कि वे समय से पहले ही ऑडिशन के लिए लाइनों में लग गए। 

स्क्रिप्ट मिलने के बाद तो सभी को मौका मिल गया खुद को बेहतर एक्टर साबित करने का। यहां कई लोग दूसरे शहरों से भी ऑडिशन देने आए थे। काफी इंतजार के बाद जब उदिता गोस्वामी आईं तो हर कोई बस उनकी एक झलक पाने को बेताब हो उठा। ऑडिशन लेते वक्त भी उदिता की तरफ से बडिंग एक्टर्स को अच्छे कमेंट्स ही मिले।




अलग-अलग वेशभूषा

एक्टिंग के साथ कुछ ऐसा भी होना चाहिए, जिससे पहली बार में ही ऑडिशन लेने वाले इंप्रेस हो जाए। कुछ इसी बात को ध्यान में रखकर कई लोग अलग-अलग गेटअप में आए। जहां दीपक राजस्थान पगड़ी और गॉगल्स पहने फ्यूजन लुक में थे, वहीं महेश और उसके फ्रेंड काव्यांश का काऊबाय स्टाल भी कम नहीं था। 

रितिक का फैन अभिनव रितिक के स्टाइल में सभी का ध्यान बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर रहा था।

मां याद नहीं हो रहा

जहां यंगस्टर्स अपने फ्रेंड्स के साथ आए, वहीं छोटे उस्ताद अपनी मम्मियों के साथ आए। फॉर्म जमा होने के बाद सभी को स्क्रिप्ट दी जा रही थी। मदर्स भी यहां अपने बच्चों की टीचर बनी हुई थीं। 

किसी को स्क्रिप्ट याद नहीं होने पर यह समझाया जा रहा था कि सिर्फ एक ही तो पैराग्राफ है ,चैप्टर भी तो याद करते हो, बेटा जल्दी से लर्न कर लो। इसी प्रकार कई मम्मियां एक्सप्रेशन की ट्रेनिंग दे रही थीं। 

अपने बेटे गौरव और नितिका को लेकर आईं हाउसवाइफ योगिता बोलीं बस, सब कुछ सिखा और समझा दिया है, अब देखना यह है कि ये ऑडिशन के वक्त कितना बेस्ट कर पाते हैं।

क्लास काम में आई 

एक्टिंग के वक्त सहज होना उस एक्ट को स्ट्रॉन्ग करता है, मुंबई के एक एक्टिंग स्कूल की स्टूडेंट श्रुति ने कहा कि जयपुर वेकेशंस में आई हूं। एक्टिंग क्लास में यही सिखाया गया है कि एक्ट दूसरों को एक्ट लगे, लेकिन खुद के लिए तो वो एक सच होना चाहिए। 

वे कहने लगीं, ऑडिशन तो दे दिया है और चयनकर्ताओं की ओर से कमेंट भी अच्छे ही मिले हैं। यहां सभी प्रतिभागी एक दूसरे को सपोर्ट कर रहे थे। ऐसे ही जब सुमन को स्क्रिप्ट याद हो गई, लेकिन वह एक्सप्रेशन नहीं दे पा रही थी, तो उसे उसके पास लाइन में लगे लोग समझा रहे थे कि वह किस तरह बेहतर परफॉर्म कर सकती है।

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