Tuesday 29 November 2011

बच गई जोया की जान, डॉ. ने कहा हो गया 'चमत्कार'


 ब्रीच कैंडी अस्पताल के डॉक्टरों ने मोटापे की जानलेवा बिमारी की शिकार 11 महीने की मासूम बच्ची जोया का ऑपरेशन कर उसकी जान बचाने का चमत्कार कर दिखाया है। देश में अपने किस्म के इस पहले व अनोखे ऑपरेशन के बाद जोया का वजन करीब ३ किलो कम होने के साथ ही मोटापा बढ़ना रूका है। 

ब्रीच कैंडी अस्पताल के सर्जन डॉ. संजय बरुडे ने बताया कि जोया मोटापे की बिमारी से पीड़ित थी। जिस वक्त उसे इलाज के लिए अस्पताल में लाया गया था। उस समय उसकी उम्र महज 11 महीने होने के बावजूद वजन करीब 18 किलो था। उन्होंने बताया कि जोया की उम्र कम होने की वजह से उसका ऑपरेशन करना काफी खतरनाक था। 

परंतु इस नन्हीं बच्ची का जान बचाने का एकमात्र रास्ता ऑपरेशन करना ही था। लिहाजा ब्रीच कैंडी अस्पताल के एक अनुभवी डॉक्टरों की टीम ने करीब 3 घंटे चले ऑपरेशन को सफलतापूर्वक करके जोया के पेट का साइज छोटा करने का महत्वपूर्ण काम किया। डॉ. बरुडे के अनुसार जोया का पेट छोटा किये जाने से उसे ज्यादा भूख नहीं लगेगी और वह स्वथ्य रहेगी। 

इसके अलावा ऑपरेशन के दौरान जोया का मोटापा बढ़ाने वाले हार्मोन्स के हिस्स को काट कर अलग किया गया। ताकि उसका मोटापा बढ़ना रूके। उन्होंने इसे जेनेटिक बिमारी बताया है। जिसमें बच्चे के जन्म के छह महीने बाद उसका तेजी से वजन बढ़ता। डॉ. बरुडे के अनुसार जोया का मामला पूरी तरह से अलग था, क्योंकि उसका वजन जन्म के बाद से ही तेजी से बढ़ रहा था। और यदि उसका जल्द ऑपरेशन नहीं किया गया होता, तो उसकी जान जाने का खतरा था। 

जोया जितना खुशकिस्मत नहीं रहा उसका भाई :

ब्रीच कैंडी अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा जोया की जान बचाये जाने का चमत्कार कर दिखाये जाने पर उसकी मां ताज खातून काफी खुश है। मगर जोया से पहले इसी तरह की बिमारी के शिकार अपने बेटे फैजान की जान न बच पाने का दर्द उसकी आंखों में झलक रहा था। ताज खातून का कहना है कि मोटापे की बिमारी का शिकार फैजान ने 18 महीने की उम्र में दम तोड़ दिया था। यही वजह है कि जब जोया मोटापे की बिमारी का शिकार हुई, तो बिना समय गंवाये सबसे पहले नायर अस्पताल ले जाया गया। 

मगर जब वहां के डॉक्टरों ने करीब एक महीने तक चक्कर मरवाने के बाद जोया को इलाज के लिए ब्रीच कैंडी अस्पताल ले जाने की सलाह दी। तो पूरा परिवार सकते में आ गया, क्योंकि जोया के ऑपरेशन पर करीब दो से ढाई लाख रुपये का खर्च आने वाला था। और उनकी आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी। 

मगर ब्रीच कैंडी अस्पताल के डॉ. संजय बरुडे और उनके सहयोगियों ने इस जोया की बिमारी को चुनौती के रूप में लिया और पैसे की परवाह न करते हुए उसकी जान बचाने का फैसला लिया। जोया का ऑपरेशन सफल होने से खुश डॉ. बरुडे का कहना है कि अब उसका वजन तीन किलो घटकर 15 किलो है और उसे पूरी तरह से ठिक होने में करीब 2-3 साल लगेंगे।

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