Sunday 27 November 2011

मां वैष्णव दरबार या चित्र के सामने बोलें यह मंत्र..जल्द पूरी होगी मन्नत

महाकाली, महासरस्वती व महालक्ष्मी की त्रिगुणात्मक स्वरूपा साक्षात महाशक्ति हैं - मां वैष्णवी। पौराणिक मान्यताओं में जगतजननी दुर्गा ही दुष्ट प्रवृत्तियों के रूप में फैले कलह व दु:ख के नाश के लिए ही इस स्वरूप में प्रकट हुई और सत्व वृत्तियों व धर्म की रक्षा की। त्रिगुण स्वरूपा होने से मां वैष्णवी की उपासना ज्ञान, शक्ति व ऐश्वर्य देने वाली मानी गई है। 



यही कारण है कि मां वैष्णवी का दरबार हो या अन्य कोई स्थान या स्थिति माता के लिए श्रद्धा, स्नेह व आस्था से भक्ति तमाम मुसीबतों से छुटकारा व हर मन्नत को जल्द पूरा करने वाली मानी गई है। धार्मिक आस्था है कि माता को हृदय से पुकारने पर भक्त की झोली मनचाही मुरादों से भर जाती है। 

शास्त्र कहते हैं कि प्रेम जब आत्मा से जुड़ता है तो साधना रूपी शक्ति में बदल जाता है। बस, मां वैष्णवी की भक्ति से मिली यही शक्ति जीवन में सुख-संपन्नता लाने वाली मानी गई है। जिसके लिये कुछ विशेष मंत्र का स्मरण माता के दरबार, घर या किसी भी मुश्किल हालात में करें तो शुभ फल मिलते हैं। 

जानते हैं माता के स्मरण का ऐसा ही मंत्र और उपासना का सरल उपाय -

- घर में शुक्रवार, नवरात्रि या विशेष देवी उपासना के दिनों में वैष्णवी देवी दरबार में या मां की तस्वीर की, विशेष लाल पूजा सामग्रियां अर्पण कर पूजा करें। 

- पूजा में माता की तस्वीर लाल चौकी पर विराजित कर विशेष रूप से लाल चंदन, लाल फूल, लाल अक्षत, लाल चुनरी के साथ दूध, हलवा, चने का प्रसाद अर्पित करें व नीचे लिखे मंत्र से मां वैष्णवी का स्मरण करें - 

शंङ्खचक्रगदापद्मधारिणीं दु:खदारिणीम्।

वैष्णवीं गरुडारूढां भक्तानां भयहारिणीम्।।

अनन्यशरणां ज्ञात्वा प्रपद्ये शरणं तव।

त्वदेकशरणं मात: त्राहि मां शरणागताम्।। 

- मंत्र स्मरण कर माता के सामने मनचाही मुराद प्रकट करें, दरबार या तस्वीर के सामने मत्था टेकें। धूप-दीप आरती कर बुरे कर्म व विचारों के लिए क्षमा मांगे व ऐसे कामों से दूर रहने का संकल्प लें।

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