Monday 24 February 2014

चार साल बीत गए..क्या याद है वो दिन, जब थम गया था देश!

नई दिल्ली। ग्वालियर का वो कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम, पिच पर नीले कपड़ों में मौजूद एक छोटे कद का खिलाड़ी, उसको घेरे हुए हरे कपड़ों में मौजूद कई विदेशी दिग्गज धुरंधर, खचखच भरा स्टेडियम और पूरे देश की सड़कों पर पसरा सन्नाटा..यही था माहौल आज के दिन, ठीक चार साल पहले। वो दिन, जिसे शायद ही कोई भारतीय कभी भूल पाएगा क्योंकि उस दिन हुआ था कुछ ऐसा, जो यूं तो दो बार फिर हुआ..लेकिन 'वैसा' कभी नहीं हुआ।
24 फरवरी, 2010..मुकाबला था दक्षिण अफ्रीका और भारत के बीच। तीन वनडे मैचों की सीरीज में भारत एक जीत के साथ पहले ही बढ़त बना चुका था और अब बारी थी सीरीज मुट्ठी में करने की। भारत ने टॉस जीता, पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और पिच पर आ गए दो भारतीय शेर ओपनर, वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर। शुरुआत धुआंधर रही लेकिन चौथे ओवर की पांचवीं गेंद पर सहवाग (9) के रूप में भारत को पहला झटका लग गया। ये धक्का देने वाली खबर थी लेकिन फिर शुरू हुआ वो जो इतिहास के पन्नों पर सदा के लिए दर्ज हो गया। मास्टर ब्लास्टर सचिन रमेश तेंदुलकर ने दुनिया को दिखाया कि आखिर उनको क्यों इस खेल के 'भगवान' का दर्जा दिया गया था। पहले वो सइद अनवर और जिंबॉब्वे के चा‌र्ल्स कवेंट्री के 194 रनों के सर्वाधिक वनडे स्कोर के आगे निकले और देखते-देखते आ गया पारी का अंतिम ओवर। सचिन 199 पर नाबाद थे, गेंदबाज थे लेंगवेल्ट और स्ट्राइक पर सचिन नहीं, धौनी थे। पूरे देश की निगाहें इस ओवर पर टिक चुकी थीं और सड़कों पर सन्नाटा इस बात का गवाह था कि हर भारतीय इस एतिहासिक पल को अपनी आंखों से देखना चाहता था। पहली गेंद पर धौनी ने छक्का जड़ा और दूसरी गेंद पर उन्होंने आखिर एक रन लेकर सचिन को स्ट्राइक दे दी। फिर क्या था ऑफ स्टंप के बाहर जाती उस गेंद को सचिन ने बस पोइंट दिशा में ढकेल दिया और जैसा ही वो रन पूरा हुआ मैदान से लेकर देश भर की दुकानों तक और घरों से लेकर दफ्तरों तक हर जगह सचिन-सचिन की गूंज सुनाई दी। रंगीन कपड़ों में पहली बार किसी ने दोहरा शतक जो जड़ा था।

सचिन ने 226 मिनटों तक पूरे 50 ओवर बल्लेबाजी की और मात्र 147 गेंदों पर 136.05 की स्ट्राइक रेट से वनडे क्रिकेट इतिहास का पहला दोहरा शतक ठोंक डाला। उन्होंने अपनी इस नायाब पारी के दौरान 25 चौके और 3 छक्के जड़े जिस दौरान उन्होंने किसी भी दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाज को नहीं बख्शा। भारत ने उनकी इस पारी के दम पर 3 विकेट के नुकसान पर 401 रनों का विशाल पहाड़ खड़ा किया और 248 रनों के अंदर द. अफ्रीका को समेटते हुए ना सिर्फ 153 रनों से विशाल जीत हासिल की बल्कि सीरीज में भी 2-0 की अजेय बढ़त हासिल कर ली।

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