Sunday 2 February 2014

CARING FOR केयरर्स

बीते कुछ सालों में सोशल सेक्टर में यंग एंटरपे्रन्योर्स की दिलचस्पी बढी है। खासकर इनोवेशन, एक्सपेरिमेंट में भरोसा रखने वाली पीढी अब सिर्फ शॉर्ट टर्म प्रॉफिट ही नहीं देख रही, बल्कि कुछ ऐसा करने की कोशिश में लगी है, जिससे अपनी सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी भी पूरी कर सके। यही वजह है कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों का कॉन्सेप्ट अब भारत में सक्सेसफुल बिजनेस वेंचर की शक्ल लेने लगा है। पैरेंट केयर आउटसोर्रि्सग ऐसा ही एक डेवलपिंग सेक्टर है, जिसमें यंग और ब्राइट माइंड्स काफी इंटरेस्ट ले रहे हैं। साइकोलॉजी, फिजियोथेरेपी, जेरेंटोलॉजी, फिजिकल साइंस, एलायड हेल्थ साइंस में मास्टर्स डिग्री रखने वाले लोग एल्डरली केयर स्पेशलिस्ट के रूप में अपने करियर को नया शेप दे सकते हैं।
क्रिएटिव वर्क
इपोक एल्डरली केयर के साथ स्पेशलिस्ट के रूप में काम कर रहीं नेहा सिन्हा कहती हैं कि बेशक यह एक नया कॉन्सेप्ट है, लेकिन इस काम में प्रोफेशनल और पर्सनल दोनों तरह का सटिस्फैक्शन है। इसमें क्रिएटिविटी की पूरी गुंजाइश है। नए-नए लोगों से मिलने और उनके साथ वक्त बिताने के बाद काम बोरिंग नहीं लगता है।
होम केयर फॉर एल्डरली
भारत में वैसे तो सोशल सेक्टर में काम करने वाले युवाओं की अच्छी-खासी तादाद है, लेकिन सोशल एंटरप्रेन्योरशिप के जरिए बुजुर्र्गो को होम केयर पहुंचाने का यह कॉन्सेप्ट ट्रेडिशनल ओल्ड एज होम से कहीं ज्यादा इफेक्टिव माना जा रहा है। यही कारण है कि आज की तारीख में इपोक एल्डरली हेल्थकेयर, फ‌र्स्ट सीनियर्स, इंडिया होम हेल्थ केयर, माया केयर जैसी कई कंपनियां बुजुर्र्गो को हेल्थ केयर से लेकर उनकी दूसरी जरूरतों को पूरा करने में जुटी हैं। यहां काम करने वाले एल्डरली केयर स्पेशलिस्ट हफ्ते में तीन-चार दिन सीनियर सिटीजंस के घर जाते हैं, उनसे बातें करते हैं, शॉपिंग के लिए जाते हैं, उनके साथ क्वॉलिटी टाइम स्पेंड करते हैं, जिससे बुजुर्र्गो का अकेलापन तो दूर होता ही है, उनमें जीने की उमंग भी पैदा होती है। ईसीएस नेहा ने बताया कि होम केयर फैसिलिटी के तहत सबसे पहला काम बुजुर्र्गो के साथ वक्त बिताना होता है। उसके अलावा उनकी हेल्थ केयर जरूरतों को पूरा करना, क्योंकि आज भारत में करीब हर पांच में से एक बुजुर्ग अकेला रह रहा है, जिससे वह डिमेंशिया और पार्रि्कसन जैसी लाइलाज बीमारियों का शिकार हो रहा है। ऐसे में बच्चों से दूर रहने वाले इन बुजुर्र्गो का विश्वास जीतकर उनका दोस्त बनना अपने आप में एक चैलेंजिंग जॉब है।
न्यू जेनरेशन में बढा अट्रैक्शन
इपोक एल्डरली केयर की एचआर हेड तनवी दलाल कहती हैं, आज की जेनरेशन इस नए कॉन्सेप्ट को काफी पसंद कर रही है। उन्हें बुजुर्र्गो के साथ समय बिताने में किसी तरह की परेशानी महसूस नहीं होती। तनवी ने बताया कि 20 से लेकर 35 साल के युवाओं के सैकडों एप्लीकेशन हर दिन आते हैं। इसके बाद उनकी पूरी स्क्रीनिंग की जाती है कि वे सीनियर सिटीजंस के हेल्थ, उनके मूड को हैंडल कर सकते हैं या नहीं। इस तरह दस एप्लीकेशन में से कोई एक कैंडिडेट सक्सेसफुल होता है। तनवी कहती हैं कि वैसे तो उनके यहां ट्रेंड लोगों को ही रखा जाता है, लेकिन इंग्लिश और हिस्ट्री ग्रेजुएट भी एल्डरली केयर स्पेशलिस्ट बन सकते हैं। इपोक एल्डरली केयर की स्पेशलिस्ट नेहा सिन्हा ने बताया कि 2012 में कंपनी की शुरुआत के बाद से आज 30 से ज्यादा एल्डरली केयर स्पेशलिस्ट उनकी फर्म से जुड चुके हैं। वहीं, इनके क्लाइंट्स की संख्या भी 130 से ज्यादा हो गई है। कंपनी दिल्ली, एनसीआर के अलावा मुंबई और पुणे जैसे शहरों में होम केयर सर्विस प्रोवाइड करती है।
ग्रोइंग सेक्टर
इसी तरह फ‌र्स्ट सीनियर्स देश के आठ शहरों में करीब तीन हजार बुजुगरें को सर्विस प्रोवाइड कर रही है। चेन्नई और बेंगलुरु में इंडिया होम हेल्थ केयर की एचआर मैनेजर एमिली रूथ ने बताया कि उनके क्लाइंट्स में वैसे लोग हैं, जो विदेशों में रह रहे हैं, लेकिन उनके पैरेंट्स भारत में अकेले हैं। इनमें कुछ एल्डर्स तो फिट होते हैं, लेकिन ज्यादातर डिप्रेशन और दूसरी ओल्ड एज प्रॉब्लम्स से पीडित हैं, उनकी हमारे स्पेशलिस्ट काउंसिलिंग करते हैं। डिप्रेशन से बाहर निकालने की कोशिश करते हैं। इसी तरह फॉल रिस्क एसेसमेंट सर्विस के तहत सीनियर सिटीजंस को बताया जाता है कि वे घरों में सेफली कैसे रह सकते हैं। वैसे इस सर्विस पर आने वाला खर्च हर कोई अफोर्ड नहीं कर सकता, लेकिन सीनियर सिटीजन्स से जुडकर काम करने का ये अंदाज नई पीढी के बदलते मिजाज और एस्पीरेशन को शो करता है। कह सकते हैं कि इंस्टैंट सक्सेस और फेम के पीछे भागने वाली जेनरेशन इस तरह के ऑफबीट प्रोफेशन में आने को लेकर एक्साइटेड है।
ईसीएस ने बनाया टेक सेवी
गुडगांव की 65 साल की सरिता लाल अब से चार-पांच महीने पहले तक अमेरिका में रह रहे बच्चों से फोन पर ही बात कर पाती थीं, लेकिन जब से एल्डरली केयर स्पेशलिस्ट स्वाति से उनका मिलना हुआ है, वे बच्चों और अपने फ्रेंड्स के साथ फेसबुक के जरिए कनेक्टेड रहती हैं। उन्हें अपनी पिक्चर्स मेल करती हैं। नेट से सॉन्ग्स डाउनलोड करती हैं, ब्राउजिंग करती हैं। इतना ही नहीं, हाल ही में उन्होंने स्वाति की हेल्प से एक इलेक्ट्रॉनिक नोटबुक भी खरीदी है। दोनों एक-दूसरे के साथ काफी टाइम स्पेंड करती हैं। एक फैमिली मेंबर की तरह। सरिता उम्र के इस पडाव पर लाइफ को फुल एंजॉय कर रही हैं। एल्डरली केयर की सर्विस लेने के बाद उन्हें कंपैनियनशिप की जरूरत नहीं पडती।
कबीर को नानी से मिली प्रेरणा
26 साल के कबीर चड्ढा अपना बिजनेस शुरू करना चाहते थे। मन में कई आइडियाज थे, लेकिन बात नहीं बन पा रही थी। आखिर प्रेरणा घर से ही मिली, अपनी नानी से, जो 84 साल की हैं। कबीर ने उन जैसी दूसरी सीनियर सिटीजंस के लिए ऐसी होम केयर सर्विस शुरू की, जिसके जरिए न सिर्फ दादा-दादी, नाना-नानी की जिंदगी के खालीपन को दूर किया जा सके, बल्कि उन्हें जरूरी मेडिकल फैसिलिटी दी जा सके। स्टैनफोर्ड, न्यूयॉर्क से ग्रेजुएट कबीर ने साल 2012 में दिल्ली में इपोक एल्डरली केयर फर्म की स्थापना की। शुरुआत छोटी रही है, प्रॉफिट न के बराबर है। फिर भी हौसले बुलंद हैं और इस नए प्रोजेक्ट को सक्सेसफुल बनाने की पूरी कोशिश जारी है। कबीर की इस दूरदृष्टि का ही नतीजा है कि इस समय इपोक दिल्ली, नोएडा, गुडगांव, फरीदाबाद के अलावा मुंबई और पुणे में सीनियर सिटीजंस की हेल्थ केयर से लेकर उन्हें इमोशनल सपोर्ट भी प्रोवाइड कर रही है।
बुजुर्र्गो की कंपैनियन बनी माया केयर
सीनियर सिटीजंस की केयर में कुछ और भी ऑर्गनाइजेशन्स लगे हैं जैसे कि माया केयर। ये बुजुर्र्गो को लोनलीनेस से निजात दिलाने के मकसद से शुरू किया गया है। पहले सर्विस के लिए चार्जेज लगते थे, मगर अब ये फ्री ऑफ कॉस्ट अवेलेबल है। माया केयर की दिल्ली की रिप्रेजेंटेटिव सुप्रिया ने सीए की अपनी जॉब छोडकर सीनियर सिटीजंस की मदद करने का फैसला लिया और एक वॉलंटियर के तौर पर इससे जुडीं। सुप्रिया ने बताया कि उनके वॉलंटियर्स बुजुर्गो के साथ डॉक्टर के पास जाते हैं, उन्हें एयरपोर्ट, स्टेशन, मार्केट लेकर जाते हैं। उनके लिए लेटर्स लिखते हैं, ईमेल करते हैं। उन्हें उनके पसंद की चीजें पढकर सुनाते हैं। इसके अलावा बुजुर्र्गो की हेल्थ रिलेटेड प्रॉब्लम्स की जानकारी ऑनलाइन अवेलेबल कराते हैं, ताकि ओल्ड एज की समस्याओं को नई जेनरेशन ठीक से समझ सके और फिर उसके मुताबिक एक्ट कर सके। वॉलंटियर सुप्रिया के अनुसार, फिलहाल माया केयर दिल्ली, एनसीआर, मुंबई के अलावा पुणे, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, मेरठ, अहमदाबाद, नासिक और नागपुर में एल्डरली केयर सर्विस प्रोवाइड करा रही है। इसके अलावा इसने कुछ कॉरपोरेट हाउसेज के साथ भी पार्टनरशिप की है, जिससे कि उन एंप्लाइज के ग्रैंड पा और ग्रैंड मा का खयाल रखा जा सके, जो जॉब के चलते देश के बाहर चले जाते हैं।

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