Sunday 2 February 2014

Defence Services देश को सलाम

कदम-कदम बढाए जा..
21 साल की उम्र में एक ऐसा जॉब, जिसमें नाइन-टु-नाइन का वर्क प्रेशर न हो। रेस्पेक्टेबल पे-पैकेज, वर्क के साथ एक्साइटमेंट हो, सोशल स्टेटस और सेफ्टी हो, तो क्या आप उसे नजरअंदाज कर पाएंगे। नहीं न। अब सवाल है कि ये सभी चीजें मिलेंगी कहां। जवाब है- इंडियन डिफेंस सर्विसेज में। यहां देश की सेवा के साथ ही हर दिन नए चैलेंज से फाइट करने और एडवेंचर एक्टिविटीज में शामिल होने का मौका मिलेगा। आपकी पहचान इंडिया ही नहीं, व‌र्ल्ड लेवल पर बनेगी, जब आप पीस मिशन पर दुनिया के अलग-अलग कंट्रीज में जाएंगे। इस तरह इंडिया को रिप्रेजेंट करने की जो खुशी मिलेगी, वह बेमिसाल होगी।
स्कोप फॉर ग्रोथ
ऐसा देखा जाता है कि एमएनसी कंपनियां अपने एंप्लाइज से मैक्सिमम आउटपुट लेने के लिए उन्हें फॉरेन असाइनमेंट्स पर भेजती रहती हैं, लेकिन क्या आपको मालूम है कि डिफेंस सर्विसेज में भी डिप्लोमेटिक वीजा रखने वाले ऑफिसर्स को डिफेंस अताशे के तौर पर विदेश भेजा जाता है। ये एक तरह की पीस पोस्टिंग होती है। उन्हें यूएन फोर्सेज के साथ काम करने और दुनिया घूमने का मौका मिलता है। ऑफिसर्स को हायर एजुकेशन के लिए भी विदेश के रेपुटेड डिफेंस कॉलेजेज में भेजा जाता है। नेवी हर साल कुछ सेलेक्टेड ऑफिसर्स को लंदन के रॉयल वॉर कॉलेज, यूएस के मरीन स्टाफ कॉलेज भेजती है। इन्हें जो लग्जरी दी जाती है, वह सचमुच लाजवाब होती है। जो नेवी ऑफिसर्स हायर स्टडीज में जाना चाहते हैं, वे अपने रिटायरमेंट तक कई डिग्रियां हासिल कर सकते हैं, क्योंकि ऑफिसर्स को दो साल की पेड स्टडी लीव मिलती है। इंडियन एयरफोर्स के पीआरओ के मुताबिक उनके यहां प्रोफेशनल ग्रोथ के पूरे मौके मिलते हैं। ऑफिसर्स को सर्विस की हर स्टेज पर अपनी क्वॉलिफिकेशन एनहांस करने की आजादी दी जाती है। जिन ऑफिसर्स को रिसर्च में इंट्रेस्ट होता है, उन्हें रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए एनकरेज किया जाता है।
जॉब सटिस्फैक्शन
नेवी में लेफ्टिनेंट कमोडोर अभिलाष कहते हैं कि मुझसे लोग पूछते हैं किकैसे कोई 17-18 साल एक ही काम करता है और बोर नहीं होता? इस पर मेरा एक ही जवाब होता है- नेवी कोई जॉब नहीं है। कम से कम कनवेंशनल जॉब तो नहींही है। हायर सेकंडरी के बाद मेरे सामने इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे करियर में जाने के ऑप्शन थे, लेकिन मैंने नेवी को चुना। मैं सटिस्फाइड हूं क्योंकि मुझे डेस्टरॉयर्स पर जाने, फ्लाइंग करने, शूटिंग करने और दुनिया की अलग-अलग जगहों को देखने का मौका मिला है। आर्मी में कैप्टन (बदला हुआ नाम) सुमित उपाध्याय कहते हैं कि डिफेंस सर्विसेज में रुटीन ऑफिस वर्क नहीं होता। हर दिन एक नया चैलेंज लेकर आता है। अगर किसी की स्पो‌र्ट्स में खास दिलचस्पी होती है और वह डिफरेंट कॉम्पिटिशंस में एक्सेल करता है, तो उसे प्रमोशन में वेटेज मिलता है।
जॉब सिक्योरिटी
प्राइवेट जॉब को लेकर इंडियन यूथ में एक्साइटमेंट होता है, लेकिन रिसेशन के बाद आए दिन होने वाले ले ऑफ और पिंक स्लिप थमाए जाने से इनसिक्योरिटी की फीलिंग बढने लगी है। ऐसे में जब बात जॉब सिक्योरिटी की हो, तो डिफेंस सर्विसेज से बेहतर कुछ नहीं। एयरफोर्स में सार्जेट के पद पर काम कर रहे हिमांशु (बदला नाम) ने बताया कि यहां करियर बनाने के ढेरों ऑप्शंस तो हैं ही, जॉब को लेकर इनसिक्योरिटी बिल्कुल नहीं। खासकर सिक्सथ पे-कमीशन के इंप्लीमेंशन के बाद से यह एक लुक्रेटिव करियर के रूप में सामने आया है।
इकोनॉमिक स्टैबिलिटी
आज इंडियन मिलिट्री एकेडमी, ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी और दूसरे ऑफिसर रैंक के कैडेट्स को महीने में 21 हजार रुपये का स्टाइपेंड दिया जाता है। पहले यह सिर्फ आठ हजार रुपये था। इसके अलावा डिफेंस फोर्सेज के तीनों विंग (आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) के ऑफिसर्स का बेसिक पे 40 परसेंट तक बढ चुका है। आज आर्मी का लेफ्टिनेंट हो, नेवी का सब लेफ्टिनेंट या एयरफोर्स का फ्लाइंग ऑफिसर, इनकी मंथली सैलरी औसतन 35 हजार रुपये तक पहुंच गई है। इसमें अगर अलाउंसेज को जोड लें, तो फिगर 45 हजार के करीब पहुंच जाता है। उन्हें कई तरह के अन्य अलाउंसेज भी मिलते हैं।
क्वॉलिटी ऑफ लाइफ
आर्मी के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल राज कादियान कहते हैं, डिफेंस फोर्सेज अपने ऑफिसर्स की फैमिली का पूरा खयाल रखती है। आर्मी ऑफिसर्स के बच्चों की स्कूलिंग फ्री होती है। फ्री मेडिकल फैसिलिटीज दी जाती हैं। इनकी कैंटीन से सब्सिडाइच्ड रेट पर डेली नीड्स की चीजें ली जा सकती हैं।
इसके अलावा, जैसे-जैसे सर्विस में सीनियर होते जाएंगे, कार और एकोमोडेशन, साल में एक बार देश में कहीं भी फैमिली के साथ जाने के लिए फ्री एयर टिकट्स दिए जाते हैं। इसके अलावा, रीक्रिएशन क्लब्स, जिम और गोल्फ कोर्स क्लब की मेंबरशिप बेहद कम रेट पर दी जाती है। इसी तरह रिटायरमेंट के समय पेंशन के रूप में हैंडसम अमाउंट घर मिलता है। अगर वे प्राइवेट सेक्टर में काम करना चाहें, तो उसके लिए उन्हें अपने स्किल्स को बढाने का मौका दिया जाता है। डिफेंस मिनिस्ट्री के अंतर्गत आने वाला डायरेक्टोरेट जनरल रिसेटलमेंट (डीजीआर) देश के लीडिंग बिजनेस ग्रुप्स के साथ टाई अप कर ऑफिसर्स को आगे बढने का मौका देता है।
आर्मी बनाती है लीडर
-आर्मी किसी यूथ के लिए सूटेबल करियर कैसे हो सकती है?
डिफेंस सर्विस ऑफिसर्स में एक सेंस ऑफ प्राइड, फीलिंग ऑफ ऑनर होता है। यहां ऑफिसर्स और उनकी फैमिलीज के बीच डीप बॉन्डिंग होती है। सब कुछ बेहद ऑर्गनाइच्ड मेथड से चलता है। आर्मी में यंग ऑफिसर्स की फिजिकल फिटनेस से लेकर उनकी हॉबीज का पूरा खयाल रखा जाता है, जिससे एक ऑफिसर या जवान ड्यूटी के साथ-साथ स्पो‌र्ट्स और दूसरी एडवेंचरस एक्टिविटीज में पूरे कॉन्फिडेंस के साथ पार्टिसिपेट करता है। एक बात और। आर्मी की ट्रेनिंग ऐसी होती है कि आपकी पूरी पर्सनैलिटी में चेंज आ जाता है। वहीं, अगर आप इन बॉर्न लीडर हैं या लीड करना अच्छा लगता है, तो डिफेंस सर्विस में आपको इसका पूरा मौका दिया जाता है।
-क्या यूथ का अट्रैक्शन कम हुआ है?
आर्मी च्वाइन करने के लिए एप्लीकेशंस तो बहुत आते हैं, लेकिन राइट पर्सन इज नॉट कमिंग। अच्छे कैंडिडेट्स प्राइवेट सेक्टर या अपने घर के करीब रहने में दिलचस्पी रख रहे हैं।
-कैसे चेंज करेंगे परसेप्शन?
यूथ को मोटिवेट करना होगा। आर्मी को सोसायटी में पॉॅजिटिव इमेज क्रिएट करनी होगी। अपनी विजिबिलिटी सही चीजों में बढानी होगी। कंट्रोवर्सीज से बचना होगा। अमेरिका, यूरोप और इंग्लैंड में शाही खानदानों के राजा-प्रिंस सेना में जिम्मेदारी संभालकर एक एग्जांपल सेट करते हैं, जो इंडिया में नहीं हो पा रहा। गवर्नमेंट के अलावा सोसायटी का भी फर्ज बनता है कि निगेटिव माहौल को खुद पर हावी न होने दें। जब ईमानदार ऑफिसर्स आएंगे तो तस्वीर खुद-ब-खुद बदल जाएगी।
मेजर जनरल (रिटा.) जी.डी.बख्शी
नेवी की सबसे बडी स्पेशिएलिटी है कि ये आपको बडे रिस्क लेने की छूट देती है। हालांकि आपकी सेफ्टी का भी पूरा ख्याल रखा जाता है, जिससे कुछ गलत न हो। नेवी में कुछ लोग ही डेस्क जॉब करते हैं क्योंकि हर दिन एक नए एडवेंचर से सामना होता है। मेरी एक ख्वाहिश थी कि मैं ग्लोब का चक्कर लगाऊं। मुझे सीनियर कमोडोर का असिस्टेंट बनने का मौका मिला और मेरा सपना पूरा हुआ।

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