Sunday 23 February 2014

काम आएंगी ये ‘बेवकूफियां’?

Image Loadingबिकना है तो बिकिनी पहनो। फिल्मी दुनिया के इस सच से फिल्मी सुंदरियों का कभी न कभी साबका जरूर पड़ा है और लगभग हर किसी ने देर-सवेर इसे स्वीकारा भी है। इस कतार में नया नाम जुड़ा है सोनम का। जी हां, वही सोनम जो अभी तक गर्ल नेक्स्ट डोर वाली इमेज रखती आई हैं। पर लगता है उन्हें यह समझ में आ गया है कि इस इमेज वाली लड़कियां यहां फिल्में भले ही पा लें, पर हॉट-बेब की वह इमेज नहीं पा सकतीं, जो लाखों-करोड़ों लोगों को एक साथ दीवाना बना सकती है और जिसकी एक झलक भर देखने के लिए लोग मतवाले हो उठते हैं।
सोनम के करियर ग्राफ पर गौर करें तो साफ महसूस होता है कि भले ही उन्होंने संजय लीला भंसाली जैसे फिल्ममेकर की ‘सांवरिया’ से करियर शुरू किया हो, उसके बाद ‘दिल्ली 6’, ‘मौसम’, ‘रांझणा’ या ‘भाग मिल्खा भाग’ जैसी संजीदा फिल्में भी मिली हों, लेकिन उन्हें न तो वह कामयाबी ही मिली, जिसके दम पर कोई अदाकारा बॉक्स-ऑफिस को हिलाने का दम भर सकती है और न ही वह इमेज जो लोगों के दिल-दिमाग को हिला सके। जाहिर है कि ऐसे में किसी भी फिल्मी बाला का अगला और उचित कदम वही होता, जो सोनम ने उठाया। यानी एक बोल्ड रोल और उसमें भी एक अदद बिकनी के जरिए अपनी काया का प्रदर्शन। यहां यह याद करना मुनासिब होगा कि सोनम अपने पापा अनिल कपूर की इजाजत से फिल्मों में आई हैं। इन दोनों के बीच शुरू से ही यह  समझ बनी हुई है कि वह कैमरे के सामने एक हद से आगे नहीं जाएंगी। हालांकि अनिल ‘सोनम जो चाहे करे’ किस्म की बातें कहते रहते हैं, लेकिन खुद सोनम ने ही करीब दो साल पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि वह कभी बिकिनी नहीं पहनेंगी, क्योंकि न तो उनके अंदर इतना कॉन्फिडेंस है और न ही उन्हें लगता है कि उनकी फिगर बिकिनी पहनने लायक है। पर अब अचानक ‘बेवकूफियां’ में बिकिनी पहन कर आने का फैसला क्यों? साफ है कि सोनम की फिगर या कॉन्फिडेंस में भले ही बदलाव न आया हो, उनके इरादे जरूर बदल चुके हैं। वैसे खुद सोनम अपने इस नए कदम को लेकर काफी खुश हैं और तमाम विवादों  की बातों को दरकिनार करते हुए कहती हैं कि उनके बिकिनी वाले प्रोमोज के बाद उन्हें जो रिस्पांस मिल रहा है, वह काफी पॉजिटिव है। बात सही भी है और यह भी तय है कि इससे सोनम को फायदा भी मिलेगा। अपनी हॉट इमेज की बदौलत बहुत जल्द अगर सोनम पहली कतार की हीरोइनों को टक्कर देने का दावा करती नजर आएं तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। कभी-कभी ‘बेवकूफियां’ असल में समझदारियां भी बन जाती हैं।

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