Sunday 9 February 2014

...तो डॉक्टरों को कैपिटल लेटर्स लिखना होगा दवा का नाम

स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक प्रस्ताव को अगर मंजूरी दे दी तो आपके डॉक्टर को अंग्रेजी के बड़े अक्षरों में दवा का नुस्खा लिखना होगा.
भारतीय चिकित्सा परिषद ने उस अधिसूचना के मसौदे को मंजूरी प्रदान कर दी है, जिसमें डॉक्टरों के लिए नुस्खे को बड़े अक्षरों में लिखने को अनिवार्य किया गया है. यह कदम इसलिए उठाया गया है, क्योंकि अक्सर इस प्रकार की शिकायतें आती रही हैं कि डॉक्टरों की लिखी भाषा को कैमिस्ट पढ़ नहीं पाते और दवाओं के मिलते-जुलते नामों के कारण मरीज को गलत दवा दे देते हैं.
सरकारी सूत्रों ने बताया कि अधिसूचना का मसौदा स्वास्थ्य मंत्रालय की मंजूरी के बाद ही प्रभाव में आएगा. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय इस विचार को अमली जामा पहनाने का इच्छुक है.
इस संबंध में एक बार फैसला लिए जाने के बाद देशभर में डॉक्टरों को निर्देश जारी कर उन्हें इनका पालन करने को कहा जाएगा. डॉक्टरों की लिखी भाषा को पढ़ नहीं पाने का मुद्दा सालों से बहस में रहा है लेकिन पिछले कुछ सालों से इस मुद्दे का समाधान किए जाने की मांग लगातार बढ़ रही थी.
एक अधिकारी ने बताया, 'हम कई सालों से इस समस्या का सामना कर रहे थे. विचार अच्छा है और हमें इसके सभी पहलुओं को देखना होगा.' हालांकि सूत्रों ने बताया कि डॉक्टरों को यह विचार सुखद नहीं लग रहा है.
सूत्रों ने बताया कि डॉक्टरों का कहना है कि वे पहले से ही मरीजों के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों से जूझ रहे हैं और अब बड़े अक्षरों में नुस्खा लिखने से उनका समय बर्बाद होगा.

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